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पुस्तक मेले: सांस्कृतिक विविधता और साहित्यिक समागम के केंद्र (विश्व पुस्तक मेला, 2025 का संदर्भ देते हुए)

  • 29 Jan, 2025

पुस्तक मेला एक ऐसा सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्सव होता है, जहाँ शब्द, विचार तथा भावनाएँ एक मंच पर सजीव हो उठती हैं। ये केवल पुस्तकों की खरीद-बिक्री का स्थान नहीं, बल्कि ऐसे आयोजन हैं, जो साहित्यिक संवाद, सांस्कृतिक विविधता और ज्ञान के आदान-प्रदान के प्रतीक बन गए हैं। पुस्तक मेले का सांस्कृतिक और साहित्यिक महत्त्व अतुलनीय है। ये न केवल भाषाई और साहित्यिक विविधता को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को एक मंच पर लाकर उनके विचारों को साझा करने का अवसर भी प्रदान करते हैं। इस अवसर पर साहित्यिक-सांस्कृतिक परंपराओं का समावेश इसे एक बहुआयामी अनुभव बनाता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पुस्तक मेले न केवल साहित्यिक चेतना को सजीव करते हैं, बल्कि गहरी सांस्कृतिक चेतना का पोषण भी करते हैं।

विश्व पुस्तक मेला, 2025 

भारत में पठन-संस्कृति को बढ़ावा देने और साहित्यिक उत्सवों का आयोजन करने के उद्देश्य से भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित नोडल एजेंसी नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) द्वारा विश्व पुस्तक मेला, 2025 का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला 1 से 9 फरवरी, 2025 तक नई दिल्ली में भारत मंडपम (प्रगति मैदान) में आयोजित होगा। पिछले 52 वर्षों से इस मेले की जो विशिष्ट विरासत रही है, उसे आगे बढ़ाते हुए इस बार बीते वर्षों की तुलना में अधिक वृहद् आयोजन किया जा रहा है।

इस वर्ष के मेले का थीम "हम, भारत के लोग..." रखा गया है, जो भारतीय संविधान की प्रस्तावना के प्रारंभिक शब्दों से ग्रहित है। इस थीम के चयन का उद्देश्य भारतीय गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाना है। इस बार भी विश्व पुस्तक मेला न केवल पुस्तकों का उत्सव होगा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर, साहित्यिक समृद्धि और विविधता का उत्सव मनाने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर बनेगा।

पुस्तक मेले का इतिहास और विकास

  • भारत और विश्व में पुस्तक मेलों की परंपरा
    • पुस्तक मेलों की परंपरा भारत और विश्व में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। प्राचीन भारत में भी पांडुलिपियों के आदान-प्रदान और साहित्यिक संवाद की परंपरा थी। आधुनिक युग में, पुस्तक मेले का आयोजन पहली बार यूरोप में 15वीं शताब्दी में हुआ। गुटेनबर्ग द्वारा मुद्रण तकनीक के आविष्कार के बाद पुस्तकों का वितरण तेज़ी से बढ़ा और इसने पुस्तक मेलों के आयोजन को प्रेरित किया। भारत में पुस्तक मेलों की आधुनिक परंपरा 1970 के दशक में प्रारंभ हुई, जब नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) ने दिल्ली में पहले विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया। ये मेले न केवल साहित्यिक संवाद का माध्यम बने, बल्कि विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने का एक प्रमुख मंच भी बन गए।
  • पुस्तक मेलों का उद्देश्य
    • पुस्तक मेलों का मुख्य उद्देश्य लेखकों, प्रकाशकों और पाठकों को एक मंच पर लाना है। ये मेले विचारों और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिये अनूठा अवसर प्रदान करते हैं।
      • लेखकों और प्रकाशकों को जोड़ना: पुस्तक मेले में लेखक अपनी कृतियों को प्रस्तुत कर सकते हैं और प्रकाशकों के साथ संवाद कर सकते हैं।
      • पाठकों के लिये ज्ञान का विस्तार: मेले में विभिन्न विषयों की पुस्तकों और विचारों की उपलब्धता पाठकों को नई दृष्टि प्रदान करती है।
  • विश्व पुस्तक मेला का इतिहास
    • वर्ष 1972 में दिल्ली के प्रगति मैदान में पहला विश्व पुस्तक मेला आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय साहित्य को एक मंच पर लाना था। समय के साथ यह मेला अपने स्वरूप में व्यापक और आधुनिक बना।
      • प्रारंभिक वर्षों में सीमित भागीदारी: आरंभ में यह मेला मुख्यतः भारतीय प्रकाशकों और लेखकों पर केंद्रित रहा था।
      • वैश्विक विस्तार: आज यह मेला विश्व के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से एक है, जिसमें 50 से अधिक देशों के प्रकाशक और लेखक भाग लेते हैं।
      • विकासशील तकनीक का समावेश: 21वीं सदी में डिजिटल युग के आगमन ने पुस्तक मेले के स्वरूप को भी बदला है। अब ई-बुक्स, ऑडियोबुक्स और वर्चुअल प्लेटफॉर्म ने इसे और समृद्ध किया है।

सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन

  • विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों का समागम
    • पुस्तक मेला केवल साहित्यिक संवाद का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विविधता के उत्सव का भी प्रतीक है। विश्व पुस्तक मेला भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को पूरे वैभव के साथ प्रस्तुत करता है। यहाँ भारतीय भाषाओं के साहित्य के साथ ही विदेशी साहित्य को प्रतिनिधित्व मिलता है। अंतर्राष्ट्रीय लेखक और प्रकाशक अपनी कृतियों को प्रदर्शित करते हैं, जिससे साहित्यिक सीमाएँ धुंधली हो जाती हैं। विदेशी साहित्य के अनुवाद भारतीय पाठकों को वैश्विक साहित्य के निकट लाते हैं, जबकि भारतीय साहित्य का अनुवाद विदेशी पाठकों के बीच भारतीय संस्कृति को लोकप्रिय बनाता है।
  • साहित्य में विविधता और वैश्विक दृष्टिकोण
    • पुस्तक मेला विविध सांस्कृतिक परंपराओं और वैश्विक दृष्टिकोण के संवाद का अवसर प्रदान करता है। इस अवसर पर विभिन्न देशों के साहित्यिक प्रतिनिधिमंडल की सहभागिता होती है, जो अपने सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और साहित्यिक दृष्टिकोण को साझा करते हैं।
    • विश्व पुस्तक मेला, 2025 में ऐसे सत्र आयोजित किये जाएंगे, जहाँ विभिन्न देशों के लेखकों और विद्वानों के बीच संवाद होगा। ऐसे संवाद न केवल साहित्यिक विविधता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों के बीच आपसी समझ और सम्मान की भावना भी विकसित करते हैं।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भूमिका
    • पुस्तक मेला केवल किताबों तक सीमित नहीं है; यह सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का भी एक मंच है। मेले में आयोजित नाट्य, संगीत, लोक कला और परंपरागत प्रस्तुतियाँ इसे एक समग्र अनुभव बनाती हैं।
      • नाट्य और संगीत प्रदर्शन: भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, जहाँ साहित्य एवं कला का अनूठा संगम होता है।
      • सांस्कृतिक स्टॉल: विभिन्न देशों और भारतीय राज्यों के स्टॉल में उनकी सांस्कृतिक धरोहर तथा साहित्य को प्रदर्शित किया जाता है।
      • लोक कला और परंपरा: ग्रामीण और पारंपरिक कलाओं को भी मंच मिलता है, जो शहरी दर्शकों को भारतीय संस्कृति की गहराई से परिचित कराता है।

साहित्यिक समागम का केंद्र

  • लेखक-पाठक संवाद
    • पुस्तक मेला लेखकों और पाठकों के बीच एक सेतु का काम करता है। यहाँ साहित्यिक चर्चाएँ, सेमिनार और पुस्तक विमोचन जैसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिनमें पाठकों को अपने प्रिय लेखकों से मिलने एवं संवाद करने का अवसर मिलता है। प्रतिष्ठित लेखक और साहित्यकार अपने विचार साझा करते हैं तथा पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते हैं। विश्व पुस्तक मेला, 2025 में भी लेखक-पाठक संवाद के लिये विशेष पैनल चर्चा और सत्र आयोजित किये जाएंगे, जहाँ समकालीन विषयों पर गहन विचार-विमर्श होगा। 
  • नए और उभरते लेखकों का मंच
    • पुस्तक मेले नए और उभरते लेखकों के लिये मंच प्रदान करते हैं, जहाँ वे अपनी कृतियों को प्रदर्शित कर सकते हैं तथा अपनी पहचान बना सकते हैं। युवा लेखकों की पुस्तकों के विमोचन के लिये विशेष सत्र आयोजित किये जाते हैं, जो उनकी रचनात्मकता को प्रोत्साहित करते हैं।
      • रचनात्मक लेखन कार्यशालाएँ: युवाओं के लिये रचनात्मक लेखन और साहित्य सृजन पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं।
      • प्रकाशकों के साथ संवाद: नए लेखक अपनी पांडुलिपियों को प्रदर्शित कर प्रकाशकों के साथ सहयोग स्थापित कर सकते हैं।

विश्व पुस्तक मेला, 2025 के मुख्य आकर्षण:

  • थीम मंडप (हॉल 5): इसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन, अहमदाबाद द्वारा अभिकल्पित किया गया है। यह भारत के गणतंत्रीय आदर्शों को किताबों, वृत्तचित्रों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रस्तुत करेगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय फोकस मंडप (हॉल 4): 'रूस से आई किताबें' नामक प्रदर्शनी के माध्यम से रूस की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाया जाएगा।
  • लेखक कॉर्नर (हॉल 5) और लेखक मंच (हॉल 2): इस मंच पर प्रमुख लेखकों, कवियों और अनुवादकों के साथ साहित्यिक चर्चाएँ आयोजित की जाएंगी।
  • बच्चों का मंडप (हॉल 6): यहाँ बच्चों के लिये कथावाचन, लेखन कार्यशालाएँ और अन्य रचनात्मक गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।
  • सभी के लिये पुस्तकें: दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग और नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के संयुक्त तत्त्वावधान में हॉल 6 में ब्रेल पुस्तकों का निशुल्क वितरण किया जाएगा।
  • सांस्कृतिक मंच: इस मंच पर भारत की विविधता और समृद्ध विरासत का उत्सव मनाया जाएगा तथा प्रतिदिन शाम 6 से 8 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
  • चित्रकारों का कोना: यहाँ प्रकाशन कला और व्यंग्यात्मक कार्टून की प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

पुस्तक मेले का आर्थिक और तकनीकी पक्ष

  • प्रकाशन उद्योग पर पुस्तक मेले का प्रभाव
    • पुस्तक मेले का आर्थिक पक्ष प्रकाशन उद्योग के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यह मेला लेखक, प्रकाशक और पाठक के बीच प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करता है, जो न केवल साहित्यिक विकास में सहायक होता है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है।
      • प्रकाशन और लोकार्पण: पुस्तक मेले में हर साल सैकड़ों नई पुस्तकें प्रस्तुत की जाती हैं और नए लेखक सामने आते हैं। मेले का माहौल प्रकाशकों के लिये आदर्श होता है क्योंकि यह उन्हें अपनी नई कृतियों का प्रचार-प्रसार करने का व्यापक मंच प्रदान करता है।
      • बिक्री और विपणन के अवसर: पुस्तक मेले में हज़ारों पुस्तकें बेची जाती हैं, जो प्रकाशकों और लेखकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती हैं। पुस्तक मेला 2025 में, विशेष रूप से पाठकों को आकर्षित करने के लिये छूट और ऑफर की योजना बनाई गई है।
  • डिजिटल युग में पुस्तक मेले का महत्त्व
    • तकनीकी प्रगति के साथ, पुस्तक मेले ने डिजिटल युग के नए आयामों को अपनाया है। यह न केवल ई-पुस्तकों और ऑडियोबुक्स को शामिल करता है, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर वर्चुअल बुक फेयर का भी आयोजन करता है।
      • ई-बुक्स और ऑडियोबुक्स: डिजिटल युग में पाठक तेज़ी से ई-बुक्स और ऑडियोबुक्स की ओर आगे बढ़ रहे हैं। पुस्तक मेला इस डिजिटल रूपांतरण को प्रोत्साहित करता है, जिससे पाठकों को व्यापक विकल्प प्राप्त होते हैं।
      • वर्चुअल बुक फेयर: वर्चुअल बुक फेयर, जिसे वर्ष 2025 के मेले में विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाएगा, उन पाठकों के लिये लाभप्रद होगा जो मेला स्थल पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकते।
  • मेले में तकनीकी नवाचार
    • तकनीकी नवाचार पुस्तक मेले को और अधिक आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाते हैं।
      • इंटरैक्टिव स्टॉल: मेले में इंटरैक्टिव स्टॉल का आयोजन किया जाता है, जहाँ पाठक और लेखक तकनीक की सहायता से संवाद कर सकते हैं।
      • AI और VR तकनीक: वर्ष 2025 के पुस्तक मेले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और वर्चुअल रियलिटी (VR) का उपयोग किया जाएगा। इन तकनीकों की मदद से पाठक किसी भी पुस्तक का डिजिटल अनुभव ले सकेंगे।

पाठकों और दर्शकों का अनुभव

  • पुस्तक मेले में जाने का रोमांच
    • पुस्तक मेले का अनुभव हर पाठक और दर्शक के लिये अद्वितीय होता है। मेले में न केवल किताबों की विविधता देखने को मिलती है, बल्कि साहित्यिक माहौल भी आनंददायक होता है।
      • बच्चों और युवाओं के लिये विशेष आयोजन: बच्चों के लिये कहानी सुनाने के सत्र, चित्रकथाओं के स्टॉल और इंटरैक्टिव सत्र विशेष आकर्षण होते हैं। युवा पाठकों को प्रेरित करने के लिये रचनात्मक लेखन कार्यशालाएँ और साहित्यिक प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।
      • परिवार और साहित्य प्रेमियों के लिये आकर्षण: पुस्तक मेला हर आयु वर्ग के लिये विशिष्ट होता है। परिवार के सदस्य साथ मिलकर किताबों की खरीदारी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं।
  • साहित्यिक चर्चा के लिये मंच
    • पुस्तक मेला केवल खरीदारी का स्थान नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच भी है जहाँ विचारों और अनुभवों का आदान-प्रदान होता है।
      • विचारों का आदान-प्रदान: लेखक, पाठक और विद्वान आयोजित साहित्यिक चर्चाओं में भाग लेते हैं। ये चर्चाएँ पाठकों को नई सोच और दृष्टिकोण प्रदान करती हैं।
      • पठन संस्कृति को बढ़ावा: पुस्तक मेला पठन संस्कृति को पुनर्जीवित करता है। यहाँ पाठक नई पुस्तकों और साहित्यिक विधाओं से परिचित होते हैं।
  • मेले का सांस्कृतिक अनुभव
    • पुस्तक मेले में दर्शक केवल पुस्तकों से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से भी जुड़ते हैं। नाट्य प्रदर्शन, कवि सम्मलेन और संगीत कार्यक्रम मेले के मुख्य आकर्षण होते हैं।
      • सांस्कृतिक प्रदर्शन: विभिन्न देशों और भारतीय राज्यों के सांस्कृतिक स्टॉल दर्शकों को वैश्विक तथा स्थानीय संस्कृति से परिचित कराते हैं।
      • साहित्य का उत्सव: पुस्तक मेला साहित्य का उत्सव है, जहाँ दर्शक और पाठक अपनी रुचि एवं पसंद की पुस्तकों तथा कार्यक्रम का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की संभावनाएँ: पुस्तक मेले में विदेशी प्रकाशकों और लेखकों की भागीदारी से वैश्विक स्तर पर साहित्यिक संवाद बढ़ सकता है। विभिन्न देशों की साहित्यिक कृतियों का अनुवाद और प्रचार-प्रसार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • साहित्य को वैश्विक मंच पर ले जाने की भूमिका: पुस्तक मेला साहित्य को सीमाओं से परे ले जाने का माध्यम बन सकता है। वर्ष 2025 के मेले में भारत की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को वैश्विक दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने की व्यापक योजना बनाई गई है।
  • तकनीकी नवाचार और भविष्य की दिशा: तकनीकी विकास पुस्तक मेले के लिये संभावनाओं के नए द्वार खोलता है। वर्चुअल रियलिटी और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग जैसी तकनीकों के साथ, भविष्य में पुस्तक मेला डिजिटल दर्शकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकता है।

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