शिक्षा में नैतिक मूल्यों की प्रासंगिकता
21 Aug, 2024 | राहुल कुमारजॉन डेवी का मानना है “शिक्षा जीवन की तैयारी नहीं है; शिक्षा स्वयं जीवन है।” दरअसल शिक्षा हासिल करते हुये मनुष्य अवगुणों को त्याग रहा होता है व सद्गुणों को आमंत्रित कर...
जॉन डेवी का मानना है “शिक्षा जीवन की तैयारी नहीं है; शिक्षा स्वयं जीवन है।” दरअसल शिक्षा हासिल करते हुये मनुष्य अवगुणों को त्याग रहा होता है व सद्गुणों को आमंत्रित कर...
भारत चुनावों का देश है। भौगोलिक विस्तार और बहुदलीय संसदीय प्रणाली के दृष्टिकोण से हम इतने विशाल हैं कि यहाँ चुनावों का मौसम हावी रहता है। चुनाव से लोकतंत्र मजबूत होता है।...
सी.वी. रमन कहते हैं - “हमेशा सही सवाल पूछें, फिर देखना प्रकृति अपने सभी रहस्यों के द्वार खोल देगी।” वे ये भी कहते हैं कि “शिक्षा का उद्देश्य लोगों को स्वतंत्र रूप से...
सिनेमा सभी कलाओं का संगम है। इनमें गायन-वादन, नृत्य, दृश्य-पात्र संवाद और पटकथा लेखन इत्यादि शामिल हैं। साहित्य से सिनेमा का सूत्रपात हुआ है। साहित्य और सिनेमा दोनों का...
यदि कहा जाए कि व्यक्ति और राष्ट्र की आत्मनिर्भरता का सही मायने में तर्कसंगत संबंध लघु उद्योगों से है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति न होगी! गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था के चार पहिये...
“मरीजों का देखकर हाल सबका दिल कांपता है,ये डॉक्टर के बस की बात है जो संभालता है।” मसीहा क्या करते हैं, विकट परिस्थितियों में भी डटकर खड़े रहते हैं, चुनौतियों का सामना करते...
एक कहावत है- “उत्तम खेती, मध्यम बान : अधम चाकरी, भीख निदान।” अर्थात् खेती करना सबसे अच्छा कार्य है। खेती के बाद व्यापार करना अच्छा कार्य है। इसके बाद चाकरी यानी नौकरी को...
अतीत के बारे में जानना हो तो विरासत स्थलों की भेंट कर आइए! तमाम विरासत स्थल इतिहास और संस्कृति को मूर्त रूप में जिंदादिली के साथ बयां करते हुए पाए जाएंगे। प्रत्येक समाज की...
दुनिया की तमाम सभ्यताएँ नदियों के किनारे फली-फूली हैं। सदियों से विभिन्न उद्योग-धंधे नदियों के दम पर विकास की रफ़्तार भरते रहे हैं। परिवहन, पर्यटन, विभिन्न उद्योग, पशुपालन...
जिस भाषा में इंसान सबसे पहले बोलना सीखता है वही उसकी मातृभाषा होती है यानी माँ की गोद की भाषा को मातृभाषा कहते हैं। दादी-नानी के द्वारा सुनाई जानी वाली लोरियों की भाषा और...