खौफ़ में क्यों जी रहीं अफ़गानी महिलाएं?
25 Sep, 2024 | शालिनी बाजपेयी15 अगस्त 2021 से अफगानिस्तान में तालिबान के दोबारा कब्जे के बाद से सबसे ज़्यादा कोई खौफ में है तो वो हैं वहां की महिलाएं और बेटियां। बीते तीन सालों में तालिबानी सरकार ने उनकी...
15 अगस्त 2021 से अफगानिस्तान में तालिबान के दोबारा कब्जे के बाद से सबसे ज़्यादा कोई खौफ में है तो वो हैं वहां की महिलाएं और बेटियां। बीते तीन सालों में तालिबानी सरकार ने उनकी...
जीवन में भय किसने नहीं देखा। परीक्षा में फेल होने का भय, मृत्यु का भय, अपनों के चले जाने का भय, असफलता का भय, हिंसा का भय, संपत्ति के नष्ट हो जाने का भय, अपमान का भय, असफल होने पर...
कहते हैं कि हादसे कभी चेतावनी देकर नहीं आते। यह बात सही भी है लेकिन कुछ हादसे चेतावनी देकर आते हैं। सालों से आ रही महामारियां इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। बाढ़, सूखा, भूकंप,...
कुछ समय पहले तक लाशों से पटे श्मशानों, सामने होते हुए भी अंतिम समय में अपनों को छू न पाने का गम, मीलों की दूरी पैदल चलकर अपने गांवों व घरों को लौटते प्रवासी मज़दूरों की छवि...
इंदौर का रहने वाला मानस बेंगलुरु की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है और टू बीएचके के फ्लैट में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता है। आज मानस ऑफिस से देर से घर पहुँचा है।...
दिल एक धड़कता हुआ बहुत ही खूबसूरत शय है, यह न होता तो न हम होते और न ही हमें प्यार का दिलकश अहसास होता। बॉलीवुड के गानों और संवादों में भी इसे बहुत ही खूबसूरत तरीके से पिरोया...
चारों तरफ हरे-भरे खेत, पेड़-पौधे, पहाड़, पक्षियों की चहचहाहट, नदियों का कल-कल निनाद करता हुआ जल, बारिश की फुहारें और गुनगुनी सी धूप किसे पसंद नहीं होतीं। ज़ाहिर सी बात है कि हर...
विवाह को परिवार का स्तंभ माना जाता है लेकिन धीरे-धीरे यह स्तंभ दरकने लगा है। पहले संयुक्त परिवार एकल परिवारों में बदले, फिर महिलाओं और पुरुषों ने अकेले ही बच्चों की...
भारतीय सभ्यता की श्रेष्ठता को संपूर्णता के रूप में प्रस्तुत करने वाले महात्मा गांधी के विचारों ने दुनिया भर के लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि करुणा और शांति के...
बीते दिनों की बात है मैं सुबह-सुबह बस स्टेशन पर बैठकर अपनी बस के आने का इंतज़ार कर रही थी। उसी बीच मेरे पास दो छोटे बच्चे आए, जिनमें एक की उम्र करीब 5 साल और दूसरे की 6 साल के...
वह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गया माँ के आँखें मूँदते ही घर अकेला हो गया हृदय को भेदने वाली मुनव्वर राना की ये पंक्तियाँ इस धरती पर माँ के दर्जे को बखूबी बयां कर रही...
''मैं हमेशा ये सोच के रोता रहा कि छोरा होता तो देश के लिये गोल्ड लाता। ये बात मेरे समझ में न आई कि गोल्ड तो गोल्ड होता है, छोरा लावे या छोरी।'' साल 2016 में आई आमिर खान की फिल्म 'दंगल'...
वृद्धाश्रम में रहने वाली 75 वर्षीय एक वृद्ध महिला के दो बेटे थे। बड़े बेटे ने यह कहकर अपनी माँ का सामान घर से बाहर फेंक दिया कि मेरे घर में तुम्हारे लिये जगह नहीं है, और न ही...
धरती के इस छोर से उस छोर तकमुट्ठी भर सवाल लिये मैंछोड़ती-हाँफती-भागतीतलाश रही हूँ सदियों से निरंतरअपनी ज़मीन, अपना घरअपने होने का अर्थ! भारतीय समाज की नारी की स्थिति को...
हम से अधिकांश लोगों से जब क्रिकेट के किसी खिलाड़ी का नाम पूछा जाता है तो हम तुरंत बिना कुछ सोचे सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली या अन्य किसी पुरुष खिलाड़ी का नाम बता देते हैं;...
शाम को अपने परिवार के साथ बैठे सुरेंद्र को रेडियो पर एक खबर सुनाई पड़ती है- ‘पिछले साल खराब मानसून के कारण सूखे जैसे हालात थे और इस बार भी मानसून के अच्छे रहने के संकेत नहीं...
मानव सभ्यता का भविष्य या तो हरा होगा या होगा ही नहीं। बॉब ब्राउन की लिखी ये पंक्तियाँ जलवायु परिवर्तन से त्रस्त धरती के प्रत्येक जीव की तकलीफ को बहुत संजीदगी से बयां करती...
"झूठ नहीं बोलेंगी हवाएँझूठ नहीं बोलेगी पर्वत-शिखरों परबची हुई थोड़ी-सी बर्फझूठ नहीं बोलेंगे चिनारों के शर्मिंदा पत्तेउनसे ही पूछोसुमित्रा के मुँह में चीथड़े ठूँसकरउसे...
इस लेख में हम मैक्स वेबर के नौकरशाही सिद्धांतों के बारे में जानेंगे। नौकरशाही किसी भी संगठन का एक ज़रूरी हिस्सा है। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह छोटा हो या बड़ा किसी न किसी...
आईआईटी की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के कारण रोहन बहुत उदास था। वह अपने माँ-बाप के गले लगकर जी भरकर रोना चाहता था और कहना चाहता था कि, वह उनकी इच्छाओं पर खरा नहीं...