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दृष्टि आईएएस ब्लॉग

सपने के प्रति समर्पण न हो तो रणनीतियाँ महज कागजी पुतले होते हैं

हम सभी ने बचपन से वयस्क होने के क्रम में 'समय' के महत्व को लेकर तमाम किस्से सुने होते हैं;  इनमें से कुछ सच्चाई पर आधारित होते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जो सच भले ही ना हों पर जीवन की सच्चाई को आलोकित करते ही हैं। इसी तरह के एक किस्से में समय को उस व्यक्ति की तरह बताया जाता है जिसके सिर पर आगे तो बाल हैं पर पीछे नहीं और समय चूक जाने के बाद वो हमारी पहुँच से दूर होता जाता है अर्थात जीवन की भाषा में कहें तो अगर हमने अपने सपनों को टालने की प्रवृत्ति अख्तियार कर ली तो निश्चित ही हम केवल उतना प्राप्त करेंगे जितना लगातार अपने सपनों पर निवेश करने वाले हमारे लिए छोड़ेंगे!!

किसी भी लंबी लड़ाई की तैयारी दूरदर्शी लोग उसी दिन से शुरू कर देते हैं जिस दिन से वह उस सपने को जीने लगते हैं क्योंकि सबसे सही समय तत्क्षण ही होता है। अगर प्रतियोगी परीक्षाओं के संदर्भ में सपाट बयानी के रूप में कहा जाए तो इन परीक्षाओं की ईमानदारीपूर्ण तैयारी का सबसे सही समय यही पल है। भारत की सबसे प्रतिष्ठित सेवा सिविल सेवा के सबसे पहले और सबसे महत्त्वपूर्ण चरण प्रारंभिक परीक्षा के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है, फिर भले ही वह संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा हो या राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाएँ।

मोटे तौर पर परीक्षा संबंधी रणनीति को पूरे विश्वास और मनोयोग से धरातल पर उतारने का वक़्त आ गया है क्योंकि आप अगर अभी भी नहीं चेते तो निश्चित तौर पर इतनी देर हो जाएगी जो 1 वर्ष या जीवन पर्यंत सपने के अधूरेपन की कीमत के रूप में हो सकती है। उसैन बोल्ट ने 9.58 सेकेंड की अपनी 100 मीटर की स्वप्न दौड़ को पाने के लिए वर्षों अथक परिश्रम किया था और इस तरह अपने सपने की बुनियाद रखी थी। एस्पिरेन्ट्स को भी चाहिए कि अब अपनी सारी ऊर्जा को समेकित कर उस लक्ष्य पर केंद्रित कर दें जिसके ख़्वाब को वो अपने सीने में वर्ष-दर-वर्ष अपने पूरे परिवार, दोस्तों के साथ पाले रखे हैं।

अपने संघ लोक सेवा आयोग की 5 सफल प्रारंभिक परीक्षा के अनुभव के आधार पर रणनीति के बारे में कहूं तो अभ्यर्थी साथियों को अब परंपरागत विषयों को तेजी से पढ़ना प्रारंभ कर देना चाहिए जिससे कि पर्याप्त रिवीजन के लिए समय बच सके। इसके लिए उन्हें सबसे पहले बीते वर्षों में प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का अवलोकन करना चाहिए तथा उसी के आधार पर संबंधित विषय की मूल पुस्तक तथा क्लास नोट्स को सघनता से पढ़ना चाहिए। साथ ही प्रश्नों के अभ्यास हेतु किसी पुस्तक का सहारा भी ले लेना चाहिए जिससे आत्म मूल्यांकन भी साथ-साथ होता चले।

एक साथ कम से कम 2 विषयों को साधना एक उचित रणनीति मानी जाती है। दिन के दूसरे हिस्से में हमें करंट अफेयर्स से संबंधित कंटेंट को समय देना चाहिए जिससे सम्बंधित विषय को अद्यतन भी किया जा सके। साथ ही सीसैट में अगर आपके हाथ तंग हैं तो उसका भी ख्याल रखना चाहिए। इसी तरह दो-दो विषय करके अगले 50 दिन में सभी विषयों को एक बार तेजी से पढ़ लेना चाहिए।

इन विषयों को दूसरी बार पढ़ते समय रिवाइज करने के क्रम में संक्षिप्त नोट्स भी तैयार करते रहना चाहिए जिससे कि उन चीजों को आप बार-बार दोहरा सकें जिनको आप भूल रहे हैं। रिवीजन करते वक्त आप अगर अपने साथियों से छोटी-छोटी चर्चा कर सकें तो यह और भी कारगर सिद्ध होगा। यही वक्त टेस्ट सीरीज के आलोक में खुद को आज़माने का होता है जिससे आप समय के सापेक्ष अपने प्रश्न हल करने की क्षमता का मूल्यांकन कर सकें। टेस्ट सीरीज़ के अंकों से ज्यादा आप लगातार अपनी उन कमियों को खोजें जिनकी वजह से आप लगातार उत्तर को गलत दिशा में ले जा रहे हैं; यह आपका अल्प ज्ञान हो सकता है, आपका पढ़ने के समय फोकस का अभाव हो सकता है, चीजों को याद ना रखने की प्रवृत्ति हो सकती है, ओवरकॉन्फिडेंस या अंडरकॉन्फिडेंस जैसी बातें भी कई बार देखी जाती हैं। हो सकता है कि आप प्रश्नों को हल करने की कोई विशिष्ट रणनीति की जानकारी ना रखते हों लेकिन आपको अपने खास पैटर्न पर लगातार फोकस करना चाहिए तथा अपना बेस्ट वर्जन प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए तथा अपने कमजोर पक्षों पर लगातार काम करना चाहिए। मई का महीना आपकी पूरी तैयारी को समग्रता से बांधने का होना चाहिए तथा परम्परागत विषयों व करंट अफेयर्स का रिवीजन तथा टेस्ट- सीरीज को तेजी से हल करने की दिशा में काम करने का होना चाहिए।

याद रखें प्रारंभिक परीक्षा वह पास नहीं करता जो सबसे अधिक तथ्य-ज्ञान रखता है बल्कि वह सफल होता है जो सबसे कम गलतियाँ करता है। इसलिए अधिक पढ़ने की जगह पढ़े हुए को याद रखने की प्रवृतियाँ अर्जित करें तथा कोशिश करें कि जो पढ़ रहे हैं उसके परीक्षा में महत्त्व और अनुप्रयोग से भी भिज्ञ हो लें। पढ़ने के अलावा जो अधिक महत्वपूर्ण बात है वह है आपका खुद के प्रति अनुशासन तथा अपने सपने के प्रति जुनून। अगर आप अपनी स्वप्न-भावना में अनुशासन, प्रतिबद्धता और समर्पण का निवेश नहीं कर सकते हैं तो रणनीतियाँ महज कागजी पुतले होते हैं जो बिना आंतरिक ऊर्जा के किसी काम के नहीं होते हैं…।

साथी अभ्यर्थियों को मेरी शुभकामनाएँ।

आलोक कुमार

(लेखक उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारी हैं)

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