संरक्षण कृषि (कंज़र्वेशन एग्रीकल्चर) क्या है? भारत में संरक्षण कृषि की क्षमताओं और संभावनाओं पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
14 Dec 2021 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | पर्यावरण
हल करने का दृष्टिकोण:
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वर्ष 2010 से 2050 के बीच दक्षिण एशियाई क्षेत्रों की आबादी में 2.4 बिलियन की वृद्धि की संभावना के साथ अनाज की मांग में भी लगभग 43 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। भारतीय कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, संरक्षण कृषि के प्रयोग से न केवल फसल की उत्पादकता व आय में वृद्धि होगी तथा प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में कमी आएगी बल्कि जलवायु परिवर्तन के भी लाभ प्राप्त होंगे।
संरक्षण कृषि एक कृषि प्रणाली है, जिसके अंतर्गत:
भारत में पिछले कई वर्षों में शून्य जुताई (जीरो टीलेज) और संरक्षण कृषि को अपनाने से लगभग 1.5 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि का विस्तार हुआ है।
संरक्षण कृषि अपनाने से फसल की गहनता; गन्ना, दालों, सब्जियों आदि की रिले कृषि; गेहूँ और मक्का के साथ अंत:फसल आधारित गहनता और विविधता हेतु आवश्यक विविधिकृत मार्ग भी प्रशस्त होता है। संरक्षण कृषि आधारित संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियाँ निम्न और उच्च क्षमता वाले वातावरण दोनों में फसल, पशुधन, भूमि और जल प्रबंधन अनुसंधान को एकीकृत करने में सहायता करती हैं।
कई राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद (ICAR) के संस्थानों तथा भारत के गंगा के मैदान के लिये धान-गेहूँ कंसोर्टियम के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से संरक्षण कृषि के विकास और प्रसार के प्रयास किये जा रहे हैं।
शून्य जुताई आधारित गेहूँ का उपयोग और प्रसार भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में सफल रहा, क्योंकि-
यह फसल के गहनीकरण और विविधिकरण के अवसर अपलब्ध कराती है।
संरक्षण कृषि संसाधनों की गिरावट तथा कृषि की लागत को कम करते हुए कृषि दक्षता में वृद्धि करने, प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने और कृषि को धारणीय बनाने का अवसर प्रदान करती है। अत: ‘संसाधनों का संरक्षण-उत्पादकता में वृद्धि’ संरक्षण कृषि का नया उद्देश्य होना चाहिये।