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प्रश्न. 'महामारी के कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्र के श्रमिक सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।' इस कथन के आलोक में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण के लिये एक व्यापक योजना की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

22 Nov 2021 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

  • दिये गए कथन की व्याख्या करते हुए परिचय दीजिये कि कैसे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को महामारी के कारण सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
  • असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण के लिये एक व्यापक योजना की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।
  • इस समस्या के समाधान हेतु उपाय सुझाइये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

परिचय

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्र के श्रमिक महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, जिसका कारण उनके रोज़गार की मौसमी प्रवृत्ति और औपचारिक कर्मचारी-नियोक्ता संबंधों की कमी है।

प्रारूप

असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये व्यापक योजना की आवश्यकता

  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, 90% श्रमिक असंगठित क्षेत्र से संबंधित हैं जिनकी संख्या 465 मिलियन श्रमिकों में से 419 मिलियन है।
  • दूसरी लहर के प्रभाव पर अभी तक कोई सर्वेक्षण डेटा उपलब्ध नहीं है जो निर्विवाद रूप से पहली लहर की तुलना में अधिक गंभीर रहा है।
  • हालाँकि आंकड़ों से पता चलता है कि विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र में महत्वपूर्ण आय हानि हुई होगी, जिससे कमज़ोर वर्ग के लोग और अधिक संकट की स्थिति में आ गए हैं।
  • इसके अलावा, भारत में कोविड -19 संकट पहले से मौजूद उच्च और लगातार बढ़ रही बेरोज़गारी की पृष्ठभूमि में आया है।
  • असंगठित श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की नौकरियों की हानि, बढ़ती बेरोज़गारी, ऋणग्रस्तता के चलते पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा पर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव की आशंका है।

सुझाव

  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: कोविड-19 जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बैंक खातों में पैसा डालना।
  • पीएम-स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को दिये गए ऋण को सीधे नकद अनुदान में भी परिवर्तित किया जा सकता है।
  • यूनिवर्सल हेल्थकेयर: यूनिवर्सल हेल्थकेयर को सरकार का कानूनी दायित्व बनाया जाना चाहिये। यह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को अनिवार्य स्वास्थ्य बीमा द्वारा प्रदान किया जा सकता है।
  • मनरेगा सुधार: मनरेगा के लिये बजटीय आवंटन बढ़ाया जाना चाहिये और मनरेगा की तर्ज पर एक शहरी रोज़गार गारंटी योजना लागू की जानी चाहिये।
  • मनरेगा के तहत गारंटीकृत काम के अधिकतम दिनों को 100 दिनों से बढ़ाकर 200 किया जा सकता है।
  • रोज़गार के अवसरों में वृद्धि: पारंपरिक क्षेत्रों में निवेश का लाभ उठाना, 'मेक इन इंडिया' मिशन को मज़बूत करना और विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के और अधिक प्रसार को तेज़ करना स्थानीय और अखिल भारतीय रोज़गार के अवसर प्रदान करेगा।
  • इस सन्दर्भ में कुछ पहल पहले ही की जा चुकी हैं।
  • प्रवासी श्रमिकों का पंजीकरण: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को असंगठित श्रमिकों की पंजीकरण प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया है ताकि वे विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत दिए जाने वाले कल्याणकारी लाभों का लाभ उठा सकें।
  • ONORC सिस्टम: कई राज्य सरकारों ने वन नेशन, वन राशन कार्ड (ONORC) सिस्टम लागू किया है।
  • यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत आने वाले प्रवासी मज़दूरों को देश के किसी भी हिस्से में अपने राशन कार्ड के साथ किसी भी उचित मूल्य की दुकान पर खाद्यान्न प्राप्त करने की अनुमति देती है।

निष्कर्ष

वस्तुतः इन योजनाओं द्वारा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को दिये जाने वाले अतिरिक्त लाभों से मदद तो मिलेगी किंतु जिस तरह संगठित क्षेत्र के श्रमिकों हेतु सामाजिक सुरक्षा के प्रावधान किये गए हैं उसी की तर्ज पर असंगठित श्रमिकों के लिये भी न्यूनतम सुरक्षा प्रावधानों को औपचारिक और मानकीकृत करने की आवश्यकता है।