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12 Nov 2021
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भूगोल
प्रश्न. त्रिकोशकीय वायुमंडलीय परिसंचरण मॉडल को व्याख्यायित करते हुए वैश्विक जलवायु के लिये इसके महत्त्व को समझाइये।(250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- वायुमंडलीय परिसंचरण को परिभाषित करते हुए त्रिकोशकीय वायुमंडलीय परिसंचरण मॉडल का परिचय दीजिये।
- त्रिकोशकीय मॉडल की क्रियाविधि को बताइये।
- वैश्विक जलवायु पर इसके महत्त्व का उल्लेख कीजिये।
पृथ्वी के वायुमंडल में वायु के ऊर्ध्वाधर एवं क्षैतिज प्रवाह को ही वायुंमडलीय परिसंचरण कहते हैं। वायु के ऊर्ध्वाधर प्रवाह को ‘वायुतंरग’ जबकि क्षैतिज प्रवाह को ‘पवन’ की संज्ञा दी जाती है। वायु के ऊध्वार्धर प्रवाह से शीतलन, संघनन आदि क्रियाएँ होती हैं जिससे मेघ, वृष्टि, तड़ित झंझा तथा अन्य जलवायुविक घटनाओं की उत्पत्ति होती है। क्षैतिज प्रवाह से ऊष्मा का स्थानांतरण निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों तक होता है। जो कि स्थानीय मौसम के साथ-साथ वनस्पति को प्रभावित करता है।
त्रिकोशकीय वायुमंडलीय परिसंचरण मॉडल के अनुसार वैश्विक वायु परिसंचरण को मूलत: तीन कोशिकाओं में विभाजित किया जाता है। जिनका विकास तापीय एवं यांत्रिक कारकों से हुआ है।
- हैडली कोशिका: इस कोशिका का विस्तार दोनों गोलार्द्धो में 10°–30° अक्षांशों के बीच तक है। यह एक ताप प्रेरित कोशिका है विषुवत रेखा पर अत्यधिक ऊष्मा के कारण हवाएँ गर्म होकर फैलती हैं तथा ऊपर उठती हैं जो क्षोभसीमा पर ठंडी होकर ध्रुवों की ओर क्षैतिज रूप में मुड़ जाती है तथा 30° अक्षांश पर धरातल पर बैठती हैं और उच्च वायुदाब का विकास कर विषुवत रेखा की ओर बहने लगती हैं। इन पवनों को व्यापारिक पवनें कहा जाता है। यह एक स्थाई कोशिका है जो सूर्य की सापेक्ष स्थिति के साथ ही बदलती रहती है।
- फेरल कोशिका: इस कोशिका का विस्तार दोनों गोलार्द्धो में 35°–60° अक्षांश तक है। यह यांत्रिकी जनित पेटी है। 60°–65° अक्षांश पर धरातलीय हवाएँ पृथ्वी के घूर्णन के कारण ऊपर उठती हैं तथा क्षोभसीमा तक पहुँचती और विपरीत दिशाओं में अवसरित होती है। विषुवत रेखा की अपसरित होने वाली वायु 30°–35° अक्षांश पर आती है, जो धरातल से ध्रुवों की ओर पुन: गमन करती हैं, इन्हें पछुआ पवनें कहते हैं।
- ध्रुवीय कोशिका: यह दोनों गोलार्द्धो में 65°–90° अक्षांशों तक विस्तृत पेटी है। यह ताप जनित पेटी है जो कि सर्दियों में अधिक शक्तिशाली होती है।
महत्त्व
- यह उष्ण कटिबंध से ध्रुवों की ओर ऊर्जा का स्थानांतरण करके पृथ्वी के ताप बजट को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह धरातल पर अभिसरण से अंतरा-उष्ण कटिबंधीय अभिसरण ज़ोन (ITCZ) तथा डोलड्रम का विकास करने में सहायता करता है।
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों, समशीतोष्ण चक्रवातों तथा प्रतिचक्रवातों का विकास भी त्रिकोशकीय परिसंचरण का ही परिणाम है।
- विश्व के प्रमुख उष्णकटिबंध रेगिस्तान हेडली कोशिका का ही परिणाम है।
- मानसून की घटना मुख्यत: उष्ण कटिबंधीय ऊपरी वायुमंडलीय परिसंचरण एवं व्यापारिक पवन का ही परिणाम है।