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13 Nov 2021
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
प्रश्न. पूंजीवाद की अंतर्निहित आवाज़ लाभों/सुविधाओं का असमान बँटवारा है। इस कथन के आलोक में पूंजीवाद की विभिन्न सीमाओं की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- पूंजीवाद को परिभाषित कीजिये।
- पूंजीवाद की विभिन्न सीमाओं पर चर्चा कीजिये।
- सामाजिक-आर्थिक असमानता को दूर करने हेतु सुधार की आवश्यकता के साथ निष्कर्ष लिखिये।
पूंजीवाद की पहचान निरंकुश वैयक्तिक उद्यम की एक प्रणाली के रूप में की गई है। यह एक ऐसी प्रणाली है जहाँ आर्थिक और सामाजिक संबंध अनुबंध/कॉन्ट्रेक्ट द्वारा शासित होते हैं, जहाँ व्यक्ति अपनी आजीविका प्राप्त करने के लिये स्वतंत्र एजेंट के रूप में कार्य करते हैं और जहाँ कानूनी बाध्यताएँ एवं प्रतिबंध कम होते हैं। इस प्रकार पूंजीवाद को लगभग अहस्तक्षेप या मुक्त प्रतिस्पर्धा के शासन का पर्याय माना जाता है।
पूंजीवाद की विभिन्न सीमाएँ:
- पूंजीवादी व्यवस्था अंतर्निहित अस्थिरता से ग्रस्त है जिसने औद्योगीकरण के आगमन के बाद इस प्रणाली का चरित्र-चित्रण किया और दुर्दशा की है। चूँकि पूंजीवादी संवृद्धि लाभ की अपेक्षाओं से प्रेरित है, यह पूंजी संचय के लिये तकनीकी या सामाजिक अवसरों में परिवर्तन के साथ रूपांतरित होती है।
- बाज़ार संचालित विकास के संबंध में दूसरी सीमा उत्पादन की एक प्रणाली द्वारा उत्पन्न प्रतिकूल दुष्प्रभावों पर केंद्रित है जो केवल लाभप्रदता के निरीक्षण के लिये जवाबदेह माना जाता है। यह एक जटिल औद्योगिक समाज की तरह है जहाँ वस्तुओं की उत्पादन प्रक्रियाएँ ‘बुरे’ के साथ-साथ ‘अच्छा’ भी उत्पन्न करती हैं।
- पूंजीवाद अभूतपूर्व असमानता और अन्याय को जन्म देता है। इसमें आवास, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोज़गार को मौलिक अधिकारों के रूप में गारंटी नहीं दी जाती है।
- पूंजीवाद के आलोचकों का तर्क है कि यह उपभोक्तावाद और व्यक्तिवाद को निर्दयतापूर्वक बढ़ावा देता है। यह मनुष्य की सामाजिक चेतना को नष्ट कर देता है। निजी संपत्ति और लाभ ‘हम’ और ‘हमारे’ जैसे आदर्शों या मूल्यों को बनाए नहीं रख सकते हैं।
इन आलोचनाओं को संतुष्ट करने हेतु पूंजीवादी समाजों द्वारा विभिन्न उपाय किये गए हैं। पूंजीवाद ने अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिये बदलते समय के साथ खुद को अनुकूलित किया है। इसने दुनिया भर में पूंजी निर्माण का कार्य किया है, हालाँकि, यह समाज में आय असमानता के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण कारक भी बना हुआ है। वंचितों के लिये कल्याणकारी राज्य और पर्याप्त सुरक्षित नीतियों के साथ पूंजीवाद के विकारों को शिथिल किया जा सकता है।