नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 14 Dec 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    भारत में लोक सेवाओं में सत्यनिष्ठा के पतन के पीछे क्या कारण हैं? इसके साथ ही, सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा के सुधार के लिये उपाय भी सुझाइये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संक्षेप में ‘सत्यनिष्ठा’ शब्द की व्याख्या कीजिये।
    • सिविल सेवाओं में ‘सत्यनिष्ठा’ के पतन के कारणों को उजागर कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि इन्हें कैसे संबोधित किया जा सकता है।
    • सिविल सेवाओं में ‘सत्यनिष्ठा’ के महत्त्व पर बल देते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    सत्यनिष्ठा को ईमानदारी और सत्यता या व्यक्ति के कृत्यों की सटीकता के रूप में माना जाता है। यह मज़बूत नैतिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति ईमानदार होने, उनमें निरंतरता दिखाने तथा उस पर अडिग रहने की एक पद्धति है। दूसरे शब्दों में, व्यक्ति के कृत्यों को उसके नैतिक सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिये।

    भ्रष्टाचार के विभिन्न कारण हैं जिनका परिणाम सत्यनिष्ठा की कमी के रूप में दिखता है। इसकी निम्नलिखित बिंदुओं के तहत चर्चा की जा सकती है:

    • भ्रष्टाचार की घटना और उसकी तीव्रता के बीच जटिल संबंध होता है और विस्तृत पदानुक्रम न केवल जटिल कार्य विधियों का निर्माण करते हैं, बल्कि उत्तरदायित्वों का बंटवारा भी करते हैं।
    • भारत में अधिकांश सार्वजनिक सेवाएँ सरकार द्वारा एकाधिकारवादी व्यवस्था में रहती हैं। ऐसी स्थिति अधिकारियों के मनमाने रवैये के लिये अनुकूल स्थिति उत्पन्न करती है तथा लाभ लेने वाले अधिकारियों का एक वर्ग शालीनता के साथ भ्रष्टाचार के लिये ‘विभागीय आधिपत्य’ का लाभ ले रहा है।
    • परिश्रम और कुशलता से काम करने के लिये प्रोत्साहन की कमी और कर्त्तव्य निष्ठा की कमी या दक्षता के एक स्वीकार्य स्तर को प्राप्त करने में विफल होने का कोई प्रतिकूल परिणाम भ्रष्टाचार है।
    • वर्तमान में, न केवल कोई ऑडिट का अभाव है, बल्कि एक अधिकारी की ताकत, कमज़ोरियों और प्रतिष्ठा के बारे में जागरूकता की कमी भी बनी हुई है।
    • लोग भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सरकार को रिपोर्ट नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे अपने नाजायज़ दावों को स्वीकार करने के लिये रिश्वत की पेशकश करते हैं।
    • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 311 सिविल सेवकों को सुरक्षा प्रदान करता है। भ्रष्ट अधिकारियों की उनके साथ मिलीभगत के कारण उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिये उच्च अधिकारियों की अनिच्छा ने स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है।

    मज़बूत संस्थानों के निर्माण के लिये और नागरिकों को आश्वस्त करने हेतु सत्यनिष्ठा ज़रूरी है ताकि यह स्पष्ट रहे कि सरकार उनके हित में काम कर रही है, न कि कुछ चुनिंदा लोगों के लिये। सत्यनिष्ठा केवल एक नैतिक मुद्दा नहीं है, यह अर्थव्यवस्थाओं और समाजों को अधिक उत्पादक, कुशल और समावेशी बनाने के लिये भी आवश्यक है। सत्यनिष्ठा राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संरचनाओं के प्रमुख स्तंभों में से एक है और इस प्रकार समग्र रूप से व्यक्तियों और समाजों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण के लिये आवश्यक है।

    • सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान में प्रतिस्पर्द्धा के एक तत्त्व का परिचय इस प्रकार एक बहुत ही उपयोगी उपकरण है। लैटरल एंट्री जैसे कदम संभावित रूप से नौकरशाही को बेहतर बना सकते हैं।
    • यह सही समय है कि जब समय-समय पर निगरानी और उद्देश्यपूर्ण मूल्यांकन के लिये निष्पादन की एक मज़बूत प्रणाली विकसित की जाए जो सिविल सेवा के प्रत्येक स्तर के लिये अधिकारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन को बेहतर करें।
    • गोपनीयता साझा करने और सूचना के अधिकार के माध्यम से गोपनीयता और अस्पष्टता का पर्दा उठाया जा सकता है, क्योंकि वे साक्षर सेवा उपयोगकर्ता को स्पष्टता की एक डिग्री प्रदान करेंगे।
    • पारदर्शिता को बढ़ाने और सार्वजनिक अनुबंध में विश्वास पैदा करने के लिये सत्यनिष्ठा को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसका अर्थ है वस्तु और सेवाओं की खरीद में शामिल सार्वजनिक एजेंसी के बीच एक समझौता किया जाए।

    प्रशासनिक प्रणाली को रूपांतरित किया जाना चाहिये ताकि सिविल सेवा के प्रत्येक स्तर पर जवाबदेही के साथ कर्त्तव्यों और ज़िम्मेदारियों का एक स्पष्ट निर्वहन किया जा सके जिससे सरकारी कर्मचारी को उसका कर्त्तव्य उसकी/उसके काम करने के तरीके के लिये जवाबदेह ठहराया जा सकता है। घटती सत्यनिष्ठा का मुकाबला करने के लिये एक समग्र दृष्टिकोण को दंडात्मक और निवारक उपायों के एक इष्टतम मिश्रण की आवश्यकता होगी।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow