प्रश्न. आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के बीच की कड़ी को स्पष्ट करते हुए अवैध मादक पदार्थों द्वारा समाज के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों को बताएँ। इसके खतरों को रोकने के लिये उठाए गए कदमों की चर्चा करें। (150 शब्द)
24 Nov 2021 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आंतरिक सुरक्षा
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- समाज में नशीले पदार्थों से उत्पन्न चुनौतियों की संक्षिप्त चर्चा के साथ भूमिका लिखिये।
- आतंकवाद की मादक पदार्थों की तस्करी के साथ गठजोड़ की चर्चा कीजिये।
- इसके वैश्विक प्रभाव और विशेष रूप से भारत पर प्रभावों को स्पष्ट कीजिये।
- वैश्विक स्तर पर इनके खतरों को रोकने के लिये सरकार और विभिन्न एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा के साथ निष्कर्ष लिखिये।
|
वैश्विक आतंकवाद सूचकांक के अनुसार, ‘‘अफीम की बिक्री और तस्करी तालिबान के लिये राजस्व का बड़ा स्रोत है, जो 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष या उससे अधिक अनुमानित है।’’ क्रांतिकारी सशस्त्र बल कोलंबिया (FARC), लिटेे (LTTE), बोकोहराम आदि की आय का प्राथमिक स्रोत नशीले पदार्थों की तस्करी ही है।
नार्को आतंकवाद को, किसी राज्य या संगठित आपराधिक तंत्र/तंत्रों, विद्रोहियों या इनमें से कोई भी अथवा सभी के द्वारा मिलकर राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक उद्देश्यों पर आधारित संस्थागत और वित्तीय रूप से सशक्त होने के लिये, दूसरे राज्यों पर नियंत्रण स्थापित करने हेतु आतंकवाद के संगठित प्रयोग के रूप में परिभाषित किया जाता है। आतंकवादी समूह नशीले पदार्थों के उत्पादन और तस्करी दोनों में शामिल हो सकते हैं, जैसे म्याँमार में शान संयुक्त सेना के मामले में देखा जाता है।
नशीले पदार्थों की चुनौतियाँ:
- राजनीतिक: तालिबान द्वारा अफीम के व्यापार से प्राप्त होने वाले लाभ का उपयोग अफगानिस्तान में उग्रवाद का प्रसार करने के लिये हथियार, भोजन और तकनीकी खरीदने में किया जाता है। इसके आर्थिक नुकसान भी हैं, क्योंकि ये मुख्य रूप से हवाला (जैसे- दक्षिणी फिलीपींस में अबू सबयाफ ग्रुप और कोलंबिया में क्रांतिकारी सशस्त्र बल ) द्वारा वित्तपोषित होते हैं।
- पर्यावरणीय: नशीले पदार्थों के विरुद्ध संघर्ष पूर्णत: पर्यावरणीय दृष्टिकोण के आधार पर न्यायसंगत ठहराया जाना चाहिये। अफीम उत्पादकों द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि को साफ कर वहाँ इसकी खेती की जाती है। अफीम और कोक उत्पादक अन्य किसी भी प्रकार के पौधों को इनके साथ नहीं उगाते हैं क्योंकि आस-पास के अन्य पौधों के साथ पोषक तत्त्वों के लिये प्रतिस्पर्द्धा करने के कारण ये पौधे अपना अधिकतम उत्पादन करने में सक्षम नहीं होते हैं। इस प्रकार यह अन्य वैध व्यवसायों, जैसे कहवा और केले की खेती को प्रभावित कर सकता है।
- सामाजिक: नशीले पदार्थों के उपयोगकर्त्ताओं में प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम, मानसिक विकार, मनोविकृति, सड़क दुर्घटनाएँ, हिंसा, ओवरडोज, आत्महत्या और यहाँ तक कि मौत के कारण के रूप में सामने आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आकलन के अनुसार वर्ष 2004 में वैश्विक बीमारियों के कुल हिस्से में से 0.7 प्रतिशत बीमारियाँ कोकीन (Cocaine) और अफीम युक्त पदार्थों (Opioid) के कारण थीं। कुछ देशों में, जहाँ इनका मापन किया गया है, वहाँ नशीले पदार्थों के कारण उत्पन्न समस्याओं की सामाजिक लागत उन देशों के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 2 प्रतिशत रही है।
- स्कूली बच्चे जो इन पदार्थों का उपयोग करते हैं, अक्सर स्मरण शक्ति ह्रास और अन्य बौद्धिक दुर्बलताओं से पीड़ित होते हैं, जिसका आमतौर पर शिक्षा के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि शिक्षा नशीले पदार्थों के प्रयोग को रोकने के प्रमुख साधनों में से एक है। नशीले पदार्थों के प्रयोग से विभिन्न आपराधिक गतिविधियों की संभावना बढ़ जाती है। मादक पदार्थों से संबंधित अपराध मुख्य रूप से तस्करी के रूप में होता है, जिसमें तस्कर समूहों के बीच हिंसक संघर्ष भी शामिल है। इसका एक परिणाम नशे की लत को पूरा करने हेतु चोरी और वेश्यावृत्ति के रूप में भी सामने आता है।
- मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिये उठाए गए कदम: संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (UNODC) सदस्य राष्ट्रों को नशीले पदार्थों, अपराध और आतंकवाद से संबंधित मुद्दों का समाधान करने में सहायता करता है।
भारत द्वारा नार्को-आतंकवाद से निपटने के लिये उठाए गए कदम:
- भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र के देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों, समझौता ज्ञापनों (MoU's), आतंकवाद रोधी संयुक्त कार्यसमूहों और न्यायिक सहयोग जैसी विभिन्न व्यवस्थाओं को अपनाया है।
- इसके अलावा नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिये कानून प्रवर्तन और आसूचना एजेंसी के रूप में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का गठन किया है।
- नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 नशीले पदार्थों के रखरखाव को आपराधिक कृत्य घोषित करता है।
इसके प्रभावों में उत्तरोत्तर कमी लाने के लिये विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन की निम्नलिखित सिफारिशों को अपनाया जा सकता है:
- नशीले पदार्थों के दुरुपयोग की गंभीरता की पहचान करते हुए इनके संकेतकों की एक शृंखला विकसित कर इसे एक सामाजिक समस्या के रूप में प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन पदार्थों के दुरुपयोग की कीमत के विषय में एक सूचना तंत्र विकसित करते हुए इन पदार्थों के दुरुपयोग और इनके प्रभावों के मूल्य का आकलन तैयार किया जाना चाहिये।
- नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों से संबंधित समस्याओं और प्रभावी हस्तक्षेप की जानकारी को बढ़ाया जाना चाहिये।
- नशीले पदार्थों का दुरुपयोग करने वालों के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता को बढ़ाया जाना चाहिये।