प्रश्न. सामाजिक अंकेक्षण से आप क्या समझते हैं? केस स्टडी का उपयोग कर इसके महत्त्व को स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
08 Dec 2021 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- सामाजिक अंकेक्षण की परिभाषा दीजिये।
- सामाजिक अंकेक्षण के महत्त्व पर पर्याप्त बल दीजिये।
- प्रश्न की मांग के अनुसार केस स्टडीज दें।
- सामाजिक ऑडिटिंग से संबंधित वर्तमान मुद्दों और सीमाओं को बताइये।
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सामाजिक ऑडिट किसी संगठन के सामाजिक और नैतिक प्रदर्शन को मापने, समझने, सूचित करने और अंतत: सुधारने का एक तरीका है। यह दक्षता एवं प्रभावशीलता के बीच तथा लक्ष्य एवं वास्तविकता के बीच अंतराल को कम करने में मदद करता है।
सामाजिक अंकेक्षण का महत्त्व:
- भ्रष्टाचार कम करना- यह सार्वजनिक क्षेत्र में अनियमितताओं और दुर्भावनाओं को दूर कर तथा सरकारी कामकाज पर निगरानी रख रिसाव और भ्रष्टाचार को कम करता है।
- निगरानी करना एवं प्रतिक्रिया देना- यह किसी संगठन के प्रदर्शन के सामाजिक और नैतिक प्रभाव की निगरानी करता है और कार्य पर प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
- जवाबदेही और पारदर्शिता- यह स्थानीय सरकारी निकायों के कार्यों में जवाबदेही एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और लोगों एवं स्थानीय सरकारों के बीच विश्वास अंतराल को कम करता है।
- भागीदारी और लोकतांत्रिक- यह कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देता है और लोगों को सामाजिक विकास की गतिविधियों के लिये अधिक उन्मुख बनाता है।
- ग्राम सभा को मज़बूत करना- यह ग्रामीण लोकतांत्रिक शासन संरचना के सबसे महत्त्वपूर्ण घटक ग्राम सभा को प्रभावकारी शक्ति प्रदान करता है।
- व्यावसायिकता को बेहतर बनाना- यह पंचायतों को, सरकार एवं अन्य स्रोतों से प्राप्त अनुदानों से किये गए खर्चों का उचित रिकॉर्ड और लेखा रखने के लिये मजबूर करके सार्वजनिक निकायों में व्यावसायिकता को बढ़ाता है।
केस अध्ययन:
- आंध्र प्रदेश में ‘सोशल ऑडिट, जवाबदेही और पारदर्शिता समाज’, के नाम से सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वायत्त निकाय स्थापित किया गया था। जहाँ तक सामाजिक अंकेक्षण के कार्यान्वयन का संबंध है तो आंध्र प्रदेश राज्य अन्य राज्यों के लिये एक आदर्श है। यह मनरेगा, पीडीएस आदि जैसी योजनाओं के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में सक्षम हुआ है।
- झारखंड में पंचायतीराज संस्थाओं और नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों द्वारा सार्वजनिक सुनवाई की जाती है। विशिष्ट अनियमितताओं पर कार्रवाई हेतु ज़्यूरी सदस्यों के मार्गदर्शन के लिये एक सलाहकार मंडल तैयार किया गया है। जहाँ विशेष और परीक्षण ऑडिट किये जाते हैं।
सामाजिक लेखा परीक्षा की सीमाएँ:
- ऑडिट करते समय पूर्वाग्रह।
- ऑडिट करने के लिये प्रभावी तंत्र का अभाव।
- सहभागी सामाजिक अंकेक्षण का अभाव, जिसमें गैर-सरकारी संगठन, सिविल सोसाइटी, आम नागरिक शामिल होते हैं।
- राजनीतिक वर्ग को खुश करने के लिये अंतिम रिपोर्टों में ज़मीनी हकीकत और अनियमितताओं का उल्लेख नहीं किया जाता है।
- संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव सामाजिक अंकेक्षण एजेंसी को अपेक्षित डेटा प्राप्त करने से रोकता है।
- कई बार यह देखा गया है कि डेटा को किसी के फायदे के लिये बदल दिया जाता है।
- डिजिटल डेटाबेस के रखरखाव में कमी भी एक समस्या है।
कुल मिलाकर यदि सोशल ऑडिट प्रभावी ढंग से किया जाए तो भविष्य की नीतियों को सकर्मक शासन से परिवर्तनकारी शासन की ओर उन्मुख करने तथा और अधिक मज़बूत बनाने में मदद मिल सकती है।