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13 Dec 2021
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
प्रश्न. संगठनात्मक मूल्य सदैव व्यक्तिगत मूल्यों से ही उत्पन्न होते हैं। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- संगठनात्मक मूल्यों को बताइये।
- संगठनों पर व्यक्तिगत मूल्यों के प्रभाव की पुष्टि उदाहरण की सहायता से कीजिये।
- कार्य-संस्कृति निर्माण में व्यक्तिगत एवं संगठनात्मक मूल्यों की भूमिका बताने के साथ निष्कर्ष दीजिये।
संगठनात्मक मूल्य नैतिक मूल्यों के समूह हैं जो कि किसी संगठन की आकांक्षाओं का मार्गदर्शन करते हैं उदाहरण के लिये कुछ संगठनात्मक मूल्य, जैसे कि व्यवसायपरकता, नवाचार, जवाबदेहिता, पारदर्शिता एवं सेवाओं का गुणवत्तापरक वितरण आदि प्रमुख हैं। संगठनात्मक मूल्य, एक संगठन हेतु आवश्यक सामूहिक निर्णयन को प्रतिबिंबित करते हैं। जब इन संगठनात्मक मूल्यों को बेहतर रूप में संचालित एवं प्रेषित किया जाता है तो वे त्वरित निर्णयन में सहायता करते हैं।
संगठनात्मक मूल्य बड़े पैमाने पर नेतृत्वकर्त्ता तथा संस्था के प्रमुखों से संगठन के अन्य सदस्यों की ओर प्रसारित होते हैं तथा उनके नैतिक मानकों का निर्धारण करते हैं। हालाँकि, एक संगठन के नैतिक मूल्य व्यक्तिगत स्तर पर अन्य सहायक समूहों से भी प्रभावित होते हैं। सभी प्रतिष्ठित संगठनों के संगठनात्मक मूल्य उसके प्रभावशाली नेतृत्त्व द्वारा स्थापित व पोषित होते हैं। उदाहरण के तौर पर विक्रम साराभाई ने अपने समर्पण और विद्वत्ता से इसरो जैसे संगठन की स्थापना की; उनके बाद सतीश धवन एवं ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे नेतृत्त्वकर्त्ताओं ने उनके विश्वासों एवं मूल्यों को पोषित कर इसरो को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
कई बार एक एकल व्यक्ति भी संगठन की मूल्य-प्रणाली को निर्देशित करता है, जैसे कि महात्मा गांधी की मान्यताओं एवं मूल्यों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मूल्यों को संशोधित किया। इसी प्रकार पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन की ने ईमानदारी, निष्ठा व सत्यनिष्ठा से भारतीय चुनाव प्रणाली को पुनगर्ठित कर उसे पारदर्शी बनाया।
वस्तुत: संगठन में सांगठनिक मूल्यों की स्थापना के आरंभिक चरणों में इसे विरोध का सामना करना पड़ सकता है। यह संगठन के संवाद तंत्र तथा प्रचार-प्रणाली पर भी निर्भर कर सकता है। किंतु इस बात की पर्याप्त संभावना है कि संगठनात्मक मूल्यों के प्रभाव में व्यक्तिगत मूल्यों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हो। उदाहरणस्वरूप एक सुस्त कर्मचारी अच्छे मार्गदर्शन से अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकता है।
इस प्रकार किसी भी संगठन की मूल्य-प्रणाली व्यक्तिगत मूल्यों से उत्पन्न होकर उस संगठन में कुशल एवं प्रभावी कार्य संस्कृति का विकास करती है। किसी संगठन में किसी व्यक्ति विशेष की भूमिका सौंपे गए कार्य को करने तक सीमित न होकर अपने कर्त्तव्यों का सत्यनिष्ठा से निर्वहन करने, व्यक्तिगत एवं पेशेवर आचरण के माध्यम से संगठन के मूल्यों का प्रसार करने तक विस्तृत है।