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  • 23 Nov 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    प्रश्न. भूमि निम्नीकरण तटस्थता की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये तथा भूमि निम्नीकरण एवं मरुस्थलीकरण को रोकने के भारतीय प्रयासों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमि निम्नीकरण तटस्थता की अवधारणा को संक्षेप में समझाइये।
    • इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
    • भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित कीजिये।
    • आगे की राह सुझाते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    मरुस्थलीकरण को रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCCD) द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, भूमि निम्नीकरण तटस्थता एक ऐसी स्थिति है जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों एवं सेवाओं तथा खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिये भूमि संसाधनों की मात्रा और गुणवत्ता आवश्यक अवलंब प्रदान करती है, तथा जो निर्दिष्ट सामयिक एवं स्थानिक मानक और पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर या तो स्थिर रहती है या बढ़ जाती है।

    भूमि निम्नीकरण तटस्थता (LDN) का महत्त्व:

    • भूमि निम्नीकरण तटस्थता, निम्नीकरण को रोकने की दिशा में एक शक्तिशाली उपकरण है। इसका आशय है कि जब भी संभव हो तो निम्नीकरण से बचते हुए पर्याप्त स्वस्थ और उत्पादक प्राकृतिक संसाधनों को हासिल करना तथा पहले से निम्नीकृत हो चुकी भूमि को बहाल करना।
    • इसके मूल में बेहतर भूमि प्रबंधन और भूमि-उपयोग योजना है जिनसे वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिये आर्थिक, सामाजिक और पारिस्थितिक स्थिरता में सुधार होगा।
    • भूमि निम्नीकरण तटस्थता जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन और शमन के संदर्भ में विशिष्ट लाभ प्रदान करती है। भूमि निम्नीकरण को रोकना या इसकी विपरीत प्रक्रिया भूमि को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनकर्त्ता से उसे कार्बन सिंक के स्रोत में बदल सकती है, जिससे मृदा और वनस्पति में कार्बन स्टॉक बढ़ सकता है।
    • इसके अलावा, भूमि निम्नीकरण तटस्थता व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के माध्यम से ग्रामीण समुदायों की लोचशीलता को जलवायु जोखिमों के प्रति दृढ़ता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    भूमि निम्नीकरण और मरुस्थलीकरण को रोकने के लिये भारत के प्रयास:

    • भारत ने 2019 में मरुस्थलीकरण पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के 14वें सम्मेलन (COP14) की मेज़बानी की। भारत वैश्विक स्तर पर भूमि प्रबंधन एजेंडा को नेविगेट करने की अपनी नेतृत्व क्षमता को उजागर कर रहा है।
    • भारत ने अपने भूमि पुनर्स्थापना लक्ष्य को संशोधित करते हुए पहले निर्धारित लक्ष्य 21 मिलियन हेक्टेयर को बढ़ाकर 26 मिलियन हेक्टेयर से अधिक कर दिया है। निम्नीकृत भूमि को बहाल करने का लक्ष्य 2030 तक प्राप्त किया जाएगा।
    • भारत सरकार द्वारा भूमि निम्नीकरण को कम करने के लिये विभिन्न योजनाएँ शुरू की गई हैं, जैसे- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), स्वॉयल हेल्थकार्ड योजना, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना (पीकेएसवाई), प्रति बूँद अधिक फसल, इत्यादि।
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारत में बॉन घोषणा के लक्ष्यों और वन परिदृश्य पुनर्बहाली (एफएलआर) क्षमता को बढ़ाने के लिये एक फ्लैगशिप परियोजना शुरू की है। इस फ्लैगशिप परियोजना के माध्यम से भारत का लक्ष्य भारतीय राज्यों के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं और निगरानी प्रोटोकॉल को विकसित करना और उन्हें अपनाना है।
    • इसरो, अहमदाबाद ने भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) परिवेश में भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रहों के डेटा का उपयोग करके अपने सहयोगी संस्थानों के साथ पूरे देश के मरुस्थलीकरण की निगरानी और सूचीकरण किया है।
    • भूमि संसाधनों का सतत प्रबंधन स्थानीय समुदायों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा होना चाहिये। यह कोई संयोग नहीं है कि मेज़बान समुदायों द्वारा समर्थित सतत प्रबंधन के कुछ उत्कृष्ट उदाहरण जिन्हें संसाधनों के सतत उपयोग, बुनियादी ढाँचे के निर्माण, ज्ञान अभिवृद्धि और पारेषण के लिये सार्वजनिक नीतियों द्वारा सहायता प्रदान की गई, दूरदर्शी स्थानीय नेतृत्व के लिये अनुशरण करने योग्य हैं। इसका एक प्रमुख उदाहरण अफ्रीका में वंगारी मथाई द्वारा शुरू किया गया ग्रीन बेल्ट आंदोलन हो सकता है।

    संयुक्त राष्ट्र ने 2021-2030 को, निम्नीकृत और नष्ट किये गए पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली के लिये अधिक वैश्विक सहयोग की आवश्यकता को उजागर करने के संदर्भ में, पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्बहाली का दशक घोषित किया है। भूमि पुनर्बहाली इस पहल के महत्त्वपूर्ण घटक में से एक हो सकती है।

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