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26 Nov 2021
सामान्य अध्ययन पेपर 3
आपदा प्रबंधन
प्रश्न. भारत के औद्योगीकरण की आकांक्षा सुरक्षा पर आधारित होनी चाहिये। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- भारत में उद्योगों में बेहतर सुरक्षा नियमों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए परिचय लिखिये।
- उदाहरण सहित सुरक्षा विनियमों की कमियों और कानूनों के अकुशल कार्यान्वयन पर प्रकाश डालिये।
- सुरक्षा मानकों के साथ इस तरह के समझौते से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- आगे की राह सुझाइये।
भारत और दुनिया में औद्योगिक दुर्घटनाएँ औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिये एक बड़ी समस्या है। हाल ही में घटित नेवेली और विशाखापत्तनम आपदाएँ इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अनुसार, हाल के दिनों में देश में 130 से भी अधिक महत्त्वपूर्ण रासायनिक दुर्घटनाएँ हुई हैं।
वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के बाद से भारत ने कई महत्त्वपूर्ण रासायनिक औद्योगिक दुर्घटनाएँ देखी हैं, जिनके कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई।
हज़ारों पंजीकृत और खतरनाक कारखाने तथा खतरनाक सामग्रियों के निर्माण से संबंधित असंगठित क्षेत्र आपदा जोखिमों के गंभीर और जटिल स्तर को प्रस्तुत करते हैं।
सुरक्षा विनियमों की कमियाँ
- नियमों के कार्यान्वयन में अक्षमता: हालाँकि भारत सरकार ने इस तरह की दुर्घटनाओं का सामना करने वाले लोगों के कष्ट को कम करने के लिये विभिन्न अधिनियम पेश किये हैं;उदाहरण के लिये भारतीय घातक दुर्घटना अधिनियम, श्रमिक मुआवज़ा अधिनियम, भारतीय बॉयलर अधिनियम आदि। किंतु इन अधिनियमों के कार्यान्वयन में अक्षमता की समस्या बनी हुई है।
- अक्षम कर्मचारी: व्यावसायिक सुरक्षा की मांग है कि बॉयलर प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा संचालित किये जाएँ लेकिन ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले श्रमिकों को अक्सर ठीक से प्रशिक्षित नहीं किया जाता है और वे संविदा कर्मचारी होते हैं।
- रखरखाव की कमी: विशाखापत्तनम में गैस रिसाव जाहिर तौर पर बेंज़िमिडाज़ोल, (जो कि फार्मास्यूटिकल्स में इस्तेमाल किया जाने वाला रसायन है) के रखरखाव और संचालन प्रक्रियाओं पर सवाल उठाता है।
- नेवेली की घटना में बॉयलर चालू नहीं था और इसे फिर से चालू किया जा रहा था। चूँकि इस उपकरण के प्रमुख कार्यों में एक भट्टी और भाप से उत्पादन शामिल है, जिसके कारण एक अप्रत्याशित विस्फोट हुआ।
दुर्घटनाओं का परिणाम
- आर्थिक और सामाजिक नुकसान: औद्योगीकरण के जहाँ बहुत से लाभ हैं वहीं इसके कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बहुत अधिक आर्थिक और सामाजिक नुकसान भी होता है। यह सच है कि इस वैश्वीकरण की दुनिया में कोई भी देश औद्योगीकरण का विरोध नहीं कर सकता है और यह गरीबी पर काबू पाने तथा भौतिक स्थितियों में सुधार के लिये मनुष्य की सबसे अच्छी आशा बन गया है।
- लेकिन औद्योगीकरण के साथ-साथ नई समस्याएँ भी सामने आती हैं, उदाहरण के लिये पर्यावरण का क्षरण, जीवन गुणवत्ता की कमी, औद्योगिक दुर्घटनाएँ आदि।
- दुर्घटनाएँ औद्योगीकरण को पंगु बनाती हैं और मानव सुरक्षा को खतरे में डालती हैं।
ILO की सिफारिशें
- कुछ औद्योगिक गतिविधियों में व्यावसायिक दुर्घटनाओं को रोकने के लिये राष्ट्रीय प्रणाली को मज़बूत करना। श्रम मंत्रालय ने ILO की निम्नलिखित सिफारिशों को लागू किया:
- खतरनाक रसायनों और ज्वलनशील गैसों की एक सूची बनाई जानी चाहिये।
- प्रत्येक राज्य के प्रमुख जोखिम कार्यों की सूची प्राप्त की जानी चाहिये।
- कंप्यूटरीकृत डेटा बैंक में खतरनाक रसायनों और प्रमुख जोखिमपूर्ण कार्यों की सूची रखी जानी चाहिये।
ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय
- सुरक्षा उपाय: औद्योगिक दुर्घटनाओं को रोकने के लिये सबसे पहला और महत्त्वपूर्ण कदम सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपायों को लागू करना है।
- अनुशासनात्मक कार्रवाई: ऐसी दुर्घटना होने पर ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिये।
- कर्मचारियों का प्रशिक्षण: कर्मचारियों को सुरक्षा उपायों के संबंध में पूरी तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिये। उन्हें आपात स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी होनी चाहिये। साथ ही कर्मचारियों को पुरस्कार प्रदान कर सुरक्षा उपायों का पालन करने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- मशीनरी का रखरखाव: दुर्घटनाओं को रोकने के लिये उद्योगों में उपयोग की जाने वाली मशीनरी की नियमित रूप से जाँच की जानी चाहिये।
- आपातकालीन योजना: आपदा दुर्घटना का अगला चरण है, इसलिये किसी भी दुर्घटना और आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिये उचित प्रशिक्षण आवश्यक है।
लोगों और सरकार की यह ज़िम्मेदारी होनी चाहिये कि वे अधिक विश्वसनीय सुरक्षा उपाय अपनाएँ ताकि जोखिमों से मानव जीवन या पर्यावरण का समग्र रूप से बचाव किया जा सके, साथ ही सुरक्षा पर ध्यान देकर ऐसी दुर्घटनाओं में से अधिकतर को रोका जा सके। औद्योगिक सुरक्षा और कार्य कुशलता एक-दूसरे से सीधे संबंधित हैं। सुरक्षा उपाय अपनाकर न केवल औद्योगिक दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है बल्कि इससे औद्योगिक कार्य कुशलता में भी सुधार हो सकता है।