29 Nov 2021 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- समझाइये कि मूल्य क्या होते हैं।
- शासन में महत्त्वपूर्ण मूल्यों, जैसे- सत्यनिष्ठा, तटस्थता तथा जवाबदेहिता आदि की चर्चा कीजिये।
- मूल्य कैसे शासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बताइये।
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उत्तर: मूल्य वे मूलभूत मान्यताएँ हैं, जो व्यक्ति के दृष्टिकोण, कार्यों और व्यवहारों का मार्गदर्शन करते हैं। मूल्य, आदर्श व्यवहार का एक चिरस्थायी भाव है। वह हमें यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि हमारे लिये क्या महत्त्वपूर्ण है? मूल्य द्वारा उन व्यक्तिगत गुणों को वर्णित किया जा सकता है, जिन्हें हम अपने कार्यों का मार्गदर्शन करने के लिये चुनते हैं। जिस तरह का व्यक्ति हम होना चाहते हैं या अपने आपको, दूसरों को और हमारे आसपास के लोगों को हम जिस प्रकार देखना चाहते हैं उसमें मूल्य हमारी सहायता करते हैं।
मूल्यों, नीतियों और संस्थाओं की व्यवस्था, जिनके द्वारा एक समाज अपने आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मामलों का प्रबंधन राज्य के भीतर और नागरिक समाज एवं निजी क्षेत्र के बीच बातचीत के माध्यम से करता है, को शासन कहा जाता है।
अखंडता, तटस्थता, ज़िम्मेदारी, विश्वसनीयता, निष्पक्षता, गोपनीयता, सार्वजनिक सेवाओं के प्रति समर्पण, पारदर्शिता और दक्षता जैसे मूल्य प्रशासन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं और कानून, स्थिरता, समता तथा समावेशिता व सशक्तीकरण के साथ सभी के लिये व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करते हैं।
निम्नलिखित मूल्यों का किसी भी समाज के सामाजिक ढाँचे पर बड़ा प्रभाव पड़ता है:
- सत्यनिष्ठता- सत्यनिष्ठता को नैतिकता और ईमानदारी का मज़बूती से पालन करने के रूप में समझा जा सकता है। सत्यनिष्ठता का उद्देश्य भ्रष्टाचार को रोकना, व्यवहार के उच्च मानकों को बढ़ावा देना, नीति-निर्धारण में शामिल लोगों की विश्वसनीयता और वैधता को मज़बूत करना, सार्वजनिक हित की रक्षा करना और नीति-निर्माण प्रक्रिया में विश्वास बहाल करना है।
- वस्तुनिष्ठता- वस्तुनिष्ठता का अर्थ है व्यक्तिगत राय या पूर्वाग्रह के बिना स्थापित मानदंडों, कानूनों, नियमों, विनियमों के आधार पर तर्कसंगत निर्णय लेना। सार्वजनिक अधिकारियों के फैसले निष्पक्ष और योग्यता के आधार पर होने चाहिये। वस्तुनिष्ठता को नोलन समिति और द्वितीय प्रशासनिक रिपोर्ट दोनों द्वारा शासन हेतु सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मूल्यों में से एक माना जाता है।
- निष्पक्षता- निष्पक्षता नियत प्रक्रिया में पूर्वाग्रह का अभाव है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक हितधारक के विचारों को ध्यान में रखा जाए, साथ ही यह किसी भी राष्ट्र का समावेशी विकास सुनिश्चित करता है।
- पारदर्शिता- पारदर्शिता का अर्थ है- निर्णय प्रक्रिया का प्रर्वतन नियमों और विनियमों का पालन करते हुए करना। इसका अर्थ यह भी है कि सूचना स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है और सीधे विभिन्न लोगों के लिये सुलभ है।
- प्रतिक्रियाशीलता- सुशासन के लिये आवश्यक है कि संस्थान और प्रक्रिया सभी हितधारकों को उचित समय सीमा के भीतर सेवा प्रदान करे। जैसे सूचना के अधिकार के त्वरित उत्तरों से लोगों का विश्वास सरकारी मशीनरी में बना रहेगा तथा इसे सुदृढ़ बनाएगा जिससे नागरिक केंद्रित शासन को बढ़ावा मिलेगा।
- जवाबदेहिता- जवाबदेहिता सुशासन की प्रमुख आवश्यकता है। केवल सरकारी संस्थाएँ ही नहीं बल्कि निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी संगठनों को भी जनता और उनके संस्थागत हितधारकों के प्रति जवाबदेह होना चाहिये।
इस प्रकार मूल्य मार्गदर्शक की भाँति कार्य करते हैं। ये उन नैतिक आचरणों को पुर्नर्स्थापित करते हैं जो कि सुशासन हेतु आवश्यक हैं। मूल्य संस्थागत सहयोग के बिना कमज़ोर होते जाते हैं और अंतत: समाप्त हो जाते हैं। उच्च मूल्यों वाले संस्थानों की कार्य-दक्षता बढ़ जाती है। अंतत: मूल्य, जनता के प्रति सेवा भावना व प्रशासनिक प्रतिबद्धता को मज़बूत करते हैं, सुशासन हेतु आवश्यक होते हैं।