प्र. वैश्वीकरण 4.0 का क्या अर्थ है? भारतीय समाज पर इसके संभावित नकारात्मक प्रभाव क्या हो सकते हैं? (250 शब्द)
08 Nov 2021 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भारतीय समाज
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- वैश्वीकरण 4.0 को परिभाषित कीजिये।
- भारतीय समाज पर इसके संभावित नकारात्मक प्रभावों की चर्चा कीजिये।
- सुझाव के साथ निष्कर्ष दीजिये।
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वैश्वीकरण वस्तुओं, व्यक्तियों और विचारों का संचार तथा तकनीक द्वारा संचालित घटना है। वैश्वीकरण 4.0, वैश्वीकरण का नवीनतम चरण है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की देन है और यह संचार प्रौद्योगिकी के विस्तार के साथ आगे बढ़ता है। यह तकनीक दूरियों को कम करता है, विचार और सीमाओं को खोलता है तथा समूचे ग्लोब के लोगों को और निकट लाता है।
भारतीय समाज पर वैश्वीकरण 4.0 के संभावित नकारात्मक प्रभाव:
- वैश्वीकरण 4.0 से देश में आर्थिक अवसरों की अनिश्चितता होगी। लोगों के पास भविष्य में उत्पन्न होने वाले रोज़गार के लिये कौशल की कमी होगी। यदि देश और समुदाय वैश्वीकरण 4.0 के लिये पूर्ण रूप से तैयार नहीं हुए तो समस्या और गंभीर हो सकती है।
- वैश्वीकरण का पहले से ही सीमांत जनसंख्या पर असमान नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। वैश्वीकरण 4.0 अधिक संपत्ति का सृजन भले ही कर ले लेकिन यह आय की असमानता को और बढ़ा सकता है।
- वैश्वीकरण 4.0, उद्योग 4.0 के साथ मिलकर अनेक अवांछित परिणाम उत्पन्न करेगा, जो कि भले ही अभी दिख न रहा हो और जिसके लिये भारत अभी तैयार नहीं है। इसके नैतिक, कानूनी, पर्यावरणीय चिंताएँ अभी देखा जाना शेष है, जिसके लिये कोई फ्रेमवर्क अभी नहीं बनाया गया है।
- तकनीक के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव का अर्थ है हमारे स्वास्थ्य, परिवहन, संचार, उत्पादन, वितरण और ऊर्जा प्रणालियों में पूर्ण रूप से बदलाव। परंतु ये बदलाव विभिन्न क्षेत्रों में रूकावट पैदा करेंगे जिसके फलस्वरूप रोज़गार में गिरावट और आय में असमानता उत्पन्न होगी।
आगे की राह:
- स्थानीय रोज़गार को उत्पन्न करने एवं वहन करने में शिक्षा, रोज़गार और अवसंरचना का उचित मिश्रण सुनिश्चित करने के लिये भारत को मज़बूत स्थानीय और क्षेत्रीय प्रणाली विकसित करनी चाहिये, जो वैश्वीकरण की अगली लहर में भागीदारी कर सके।
- सभी के लिये परिणामों में सुधार करने के लिये तथा सुभेद्य जनसंख्या को मुख्यधारा में शामिल करने हेतु भारत को लक्षित रणनीतियाँ तैयार करनी चाहिये।
- चौथी औद्योगिक क्रांति के लाभों को पूरी सक्रियता से प्राप्त करने के लिये बड़ी संख्या में कर्मचारियों को दोबारा कौशल प्रदान करने एवं उसमें सुधार करने की आवश्यकता पड़ेगी।
- कार्य को कैसे विनियमित किया जाए तथा कार्य सृजन का कौन-सा क्षेत्र समाज के लाभ को बढ़ा सकता है, इन पहलुओं पर रणनीतिक रूप से पुनर्विचार करके पुन: कौशल प्रदान करने का कार्य किया जाना चाहिये।