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  • 25 Nov 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    प्रश्न : भारत के पास क्षमता है कि वह लोगों के सशक्तीकरण, समान अवसरों के निर्माण और आर्थिक विकास के लिये अवसंरचनाओं के निर्माण हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का लाभ उठाये। चर्चा कीजिये।

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक को संक्षेप में समझाकर उत्तर की शुरूआत कीजिये।
    • लोगों के सशक्तीकरण, समान अवसरों के निर्माण और आर्थिक विकास के लिये अवसंरचनाओं के निर्माण हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी की क्षमता पर चर्चा कीजिये।
    • AI प्रौद्योगिकी के उपयोग से जुड़ी चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
    • आगे की राह बताइये।

    परिचय

    इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है। सरल शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना है ।

    चूँकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सर्वव्यापी होता जा रहा है, भारत के पास क्षमता है कि वह इस विशाल डेटाबेस का लाभ उठाते हुए उस ढाँचे का निर्माण करे जो लोगों के सशक्तीकरण, समान हिस्सेदारी के सृजन और वर्ष 2025 तक डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर आर्थिक मूल्य के लक्ष्य की ओर दौड़ लगाने में सहायता करेगा।

    भारत में AI से संबद्ध संभावनाएँ

    • AI के लिये राष्ट्रीय रणनीति: एक हालिया PwC रिपोर्ट ने संकेत दिया कि AI वर्ष 2030 तक 15.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक का वैश्विक आर्थिक मूल्यवर्द्धन प्रदान कर सकता है।
      • इस क्षमता की पहचान करते हुए भारत सरकार ने जून 2018 में ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिये राष्ट्रीय रणनीति’ की घोषणा की है।
    • भू-स्थानिक क्षेत्र का अविनियमन: हाल ही में सरकार ने भू-स्थानिक क्षेत्र को अविनियमित या नियंत्रणमुक्त कर दिया है, जिससे निजी क्षेत्र के अभिकर्ता इस क्षेत्र में अत्याधुनिक समाधान की पेशकश कर सकते हैं और AI-सक्षम हॉटस्पॉट मैपिंग और एनालिटिक्स में नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • ऊर्जा हानि को कम करना: ऊर्जा एक अन्य प्रमुख क्षेत्र है जो व्यापक पैमाने पर AI को अपनाये जाने से लाभ उठा सकता है।
      • ऊर्जा क्षेत्र में AI का उपयोग कर अक्षय ऊर्जा निर्माता और बिजली वितरण कंपनियाँ ग्रिड लोड प्रबंधन के बेहतर पूर्वानुमान के माध्यम से घाटे में कटौती कर सकती हैं और दक्षता बढ़ा सकती हैं। यह अंततः नवीकरणीय ऊर्जा को लागत-प्रभावी बना सकता है।
    • बेहतर शासन: AI के उपयोग से ऊर्जा मंत्रालय के अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (आरईएमसी) पिछले मौसम, पूर्व में ऊर्जा उत्पादन की स्थिति और क्षेत्र विशेष की बिजली आवश्यकता के वृहत आँकड़ों को संसाधित कर उन्नत अक्षय ऊर्जा पूर्वानुमान, शेड्यूलिंग और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में सक्षम होंगे।
    • उभरते रुझानों के लिये AI समाधान: AI के माध्यम से डिजिटल रूपांतरण सरकारों को उभरते रुझानों के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील होने और उसके अनुरूप कार्य करने में मदद कर सकता है।
      • सरकारी तंत्र के अंदर, नीतिनिर्माता प्रभावी कर निगरानी, ​​​​डेटा अनुपालन आदि के लिये AI समाधानों को अपनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

    AI के व्यापक उपयोग से संबद्ध चुनौतियाँ

    • निजता का हनन: AI प्रणालियाँ डेटा की वृहत मात्रा के विश्लेषण के माध्यम से सीखती हैं और वे इंटरेक्शन डेटा और यूजर-फीडबैक के निरंतर मॉडलिंग के माध्यम से अनुकूलित होती रहती हैं।
      • इस प्रकार, AI के बढ़ते उपयोग के साथ किसी व्यक्ति की गतिविधि डेटा तक अनधिकृत पहुँच के कारण निजता का अधिकार खतरे में पड़ सकता है।
    • असंतुलित शक्ति और नियंत्रण: प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियाँ वैज्ञानिक/इंजीनियरिंग स्तर पर और वाणिज्यिक एवं उत्पाद विकास स्तर पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भारी निवेश कर रही हैं।
      • किसी अन्य महत्त्वाकांक्षी प्रतिस्पर्द्धी की तुलना में इन बड़े खिलाड़ियों को एक बेमेल लाभ प्राप्त होता है जो एक डेटा-कुलीन समाज (data-oligarchic society) का लक्षण है।
    • प्रौद्योगिकीय बेरोज़गारी: AI कंपनियाँ ऐसी बुद्धिमान मशीनों का निर्माण कर रही हैं जो आमतौर पर निम्न आय वाले श्रमिकों द्वारा किए जाने वाले कार्यों को करती हैं।
    • असमानताओं की वृद्धि: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर कोई कंपनी मानव श्रमबल पर अपनी निर्भरता में भारी कटौती कर सकती है, और इसका अर्थ होगा कि राजस्व का लाभ कम लोगों तक ही पहुँच सकेगा।
      • परिणामस्वरूप, जिन लोगों के पास AI-संचालित कंपनियों का स्वामित्व होगा, सारा लाभ वही कमाएँगे। इसके अलावा, AI डिजिटल बहिर्वेशन की स्थिति को और सुदृढ़ कर सकता है।

    आगे की राह

    • संवेदीकरण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता: सार्वजनिक क्षेत्र में AI को अपनाये जाने के मामले में सरकार के अंदर संवेदीकरण और क्षमता निर्माण की भारी आवश्यकता में कोई छूट नहीं दी जा सकती।
    • सक्षमकारी पारितंत्र का निर्माण करना: हमें भारत में और भारत के लिये व्यावहारिक AI समाधान डिजाइन करने में एक आवश्यक भूमिका निभाने हेतु अगली पीढ़ी को सशक्त बनाने के लिये AI के प्रति बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाने के माध्यम से विद्यालयों में सक्षमकारी वातावरण का निर्माण करना चाहिये।
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): हाल ही में, फ्यूचर स्किल्स प्राइम (Future Skills Prime) नामक एक पहल ने नागरिकों, सरकारी कर्मचारियों और व्यवसायों के उपभोक्ताओं के लिये डिजिटल-रेडी पाठ्यक्रमों को समेकित करने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की क्षमता का प्रदर्शन किया है।
    • सार्वभौमिक मानक नियम: खेल के नियमों का मानकीकरण सकारात्मकAI-संचालित वस्तुओं और सेवाओं के लिये बाज़ारों के विस्तार में मदद करेगा।
      • AI के लिये आगामी राष्ट्रीय कार्यक्रम इस दिशा में आगे बढ़ाया गया एक कदम है जो सार्वजनिक क्षेत्र के अंगीकरण के लिये AI नवाचारों और अनुसंधान का समर्थन करने में मौजूदा भागीदारियों का उपयोग करता है और सरकारी क्षमता को बढ़ावा देता है।
    • हितधारकों का आपसी सहयोग: चूँकि AI हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रहा है, इसलिये सभी हितधारकों—नवोन्मेषकों, नीतिनिर्माताओं, शिक्षाविदों, उद्योग विशेषज्ञों, परोपकारी संस्थाओं, बहुपक्षीय संस्थाओं और नागरिक समाज के लिये यह आवश्यक है कि वे AI के भविष्य को परोपकारी उद्देश्यों की ओर आगे बढ़ने में मदद करें।
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