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  • 01 Dec 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    प्रश्न. भावनात्मक बुद्धिमत्ता की उपयोगिता का परीक्षण कीजिये: (150 शब्द)

    (i) व्यक्तिगत स्तर पर
    (ii) कार्य समूह के स्तर पर
    (iii) संगठनात्मक स्तर पर

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता (ई.आई.) को परिभाषित करते हुए इसके घटकों का उल्लेख कीजिये।
    • विभिन्न स्तरों पर इसकी उपयोगिता को बताते हुए इसके महत्त्व को भी बताएँ।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता को सामाजिक बुद्धिमत्ता के एक प्रकार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं की भावनाओं तथा दूसरे की भावनाओं को पहचानने, उनमें अंतर करने तथा उनका प्रयोग किसी के विचारों एवं कृत्यों को निर्देशित करने की क्षमता को शामिल करता है। डेनियल गोलमेन द्वारा भावनात्मक बुद्धिमत्ता के पाँच घटक निर्धारित किये गए हैं जो कि सेल्फ अवेयरनेस, सेल्फ रेगुलेशन, इंटरनल मोटिवेशन, समानुभूति तथा सोशल स्किल हैं।

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता की विभिन्न स्तरों पर उपयोगिता-

    व्यक्तिगत स्तर पर: यह किसी व्यक्ति को अपनी भावनाओं से अवगत होने तथा उन्हें पहचान कर उनका प्रयोग संज्ञानात्मक कार्यों को करने की क्षमता को संदर्भित करता है। पेशेवर स्तर पर अंतर-वैयक्तिक या सार्वजनिक इंटरफेस, सेवा प्रदायिता की प्रभावशीलता आदि व्यक्ति की भावनात्मक बुद्धिमत्ता से गहनता से जुड़ी होती हैं। एक सिविल सेवक के रूप में नीतियों के बेहतर लक्ष्यीकरण, व्यक्तिगत जीवन तथा व्यावसायिक जीवन में संतुलन बनाए रखने, बेहतर निर्णयन तथा तनाव प्रबंधन आदि में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का होना आवश्यक है। यह सिविल सेवाओं हेतु आवश्यक आधारभूत मूल्यों, जैसे-सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता, गैर-तरफदारी, वस्तुनिष्ठता, लोक सेवा के प्रति समर्पण, समानुभूति, सहिष्णुता तथा कमज़ोर वर्गों के प्रति करुणा आदि को मज़बूती प्रदान करती है।

    कार्य समूह के स्तर पर: भावनात्मक बुद्धिमत्ता टीम के प्रदर्शन की प्रमुख निर्धारक तत्त्व है। एक टीम में संपर्क सहज व सुगम अथवा विकृत एवं संघर्षपूर्ण हो सकता है, ऐसे में भावनात्मक बुद्धिमत्ता टीम के प्रमुख के साथ-साथ टीम के सदस्यों में सामंजस्य बनाने का कार्य करती है। एक उच्च भावनात्मक बुद्धिमत्ता वाला व्यक्ति एक फोर्स मल्टीप्लायर का कार्य करता है, यह जानता है कि लोगों को कैसे प्रेरित करना है, जैसे- विवाद की स्थिति से कैसे निपटना है तथा विरोधी दलों के बीच सामंजस्य कैसे बनाना है। उदाहरण के लिये गांधी जी ने अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता का प्रयोग करके भारतीय स्वतंत्रता संग्राम हेतु भारत के आम जनमानस को संगठित किया।

    संगठनात्मक स्तर पर: किसी संगठन की भावनात्मक बुद्धिमत्ता को अपने सदस्यों की भावनाओं को स्वीकार करने, पहचानने, उनको मॉनीटर करने, उनमें अंतर करने तथा उनका प्रबंधन करने की भावनात्मक क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है। सटीक सामाजिक अनुभूतियाँ नेतृत्वकर्ता को समूह के अन्य सदस्यों की अभिवृत्तियों, लक्ष्यों तथा उनके हितों को जानने में सहायता करती हैं। ये घोषित-अघोषित लक्ष्यों को पहचानने, उन्हें समझने तथा संबोधित करने से प्रभावित होती हैं। उदाहरण के लिये टाटा समूह के चेयरमैन श्री रतन टाटा ने समूह की वर्षगाँठ के अवसर पर अपने कर्मचारियों को एक पत्र लिखकर उन्हें टाटा समूह का उत्तराधिकारी और संरक्षक बताया तथा समाज में सतत् बदलाव लाने हेतु उन पर विश्वास जताया। ऐसा करके उन्होंने अपने कर्मचारियों के साथ उच्चस्तरीय जुड़ाव का प्रदर्शन किया तथा उनके प्रयासों को स्वीकृति भी प्रदान की।

    इस प्रकार भावनात्मक बुद्धिमत्ता के महत्त्व को विभिन्न स्तरों पर देखा जा सकता है। यह एक व्यक्ति, टीम अथवा संगठन को अधिक उत्पादक तथा सशक्त बनाती है।

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