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  • 16 Nov 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    ई-शासन (ई-गवर्नेंस), शासन में विभिन्न हितधारकों के बीच परस्पर क्रिया को सुविधाजनक बनाता है। ई-शासन में परस्पर क्रियाओं के प्रकारों का उल्लेख कीजिये। साथ ही ई-शासन के विभिन्न चरणों पर प्रकाश डालिये।

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • ई-शासन की अवधारणा और शासन में इसके लाभों के विषय में संक्षेप में बताइये।
    • ई-शासन में परस्पर क्रिया के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिये।
    • फिर ई-शासन के विभिन्न चरणों की चर्चा कीजिये।
    • ई-शासन को सुगम्य बनाने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कुछ कदमों का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    ई-शासन, मूल रूप से सरल, नैतिक, जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी (एस.एम.ए.आर.टी. S.M.A.R.T.) शासन बनाने के लिये सरकारी कार्यप्रणाली में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी.) का अनुप्रयोग है।

    • ई-शासन के लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
      • नागरिकों को बेहतर सेवा प्रदान करना
      • पारदर्शिता और जवाबदेहिता बनाए रखना
      • सूचना के माध्यम से जन सशक्तिकरण
      • सरकारी तंत्र में बेहतर दक्षता
      • व्यापार एवं उद्योग के साथ अंतरापृष्ठ (इंटरफेस) सुधार

    ई-शासन, आई.सी.टी. का उपयोग करके शासन में विभिन्न हितधारकों जैसे कि नागरिकों, व्यवसायों, कर्मचारियों और अन्य सरकारी एजेंसियों के बीच परस्पर क्रिया को सुविधाजनक बनाता है। इन परस्पर क्रियाओं का उल्लेख निम्नानुसार किया जा सकता है:

    • जी 2 जी (सरकार से सरकार): इस प्रकार की परस्पर क्रिया केवल सरकार के क्षेत्र के भीतर होती है। यहाँ, आई.सी.टी. का उपयोग सरकारी संस्थाओं के कामकाज में शामिल सरकारी प्रक्रियाओं के पुनर्गठन और विभिन्न संस्थाओं के भीतर तथा उनके बीच सूचना एवं सेवाओं के प्रवाह को बढ़ाने के लिये किया जाता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य दक्षता, कार्यनिष्पादन और उत्पादन को बढ़ावा देना है।
    • जी 2 सी (सरकार से नागरिक): इस मामले में, सरकार और नागरिकों के बीच परस्पर क्रिया सृजित की जाती है, जो नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं की वृहद सीमा की दक्ष वितरण से लाभान्वित होने में समर्थ बनाती है। इसका प्राथमिक प्रयोजन सरकार को नागरिक अनुकूल बनाना है।
    • जी 2 बी (सरकार से व्यवसाय): यहाँ, ई-शासन साधनों का प्रयोग सरकार के साथ सीमाविहीन रूप से व्यवसाय समुदाय (वस्तुओं और सेवाओं के प्रदायकों) को परस्पर क्रिया करने में सहायता देने के लिये किया जाता है। इसका उद्देश्य लालफीताशाही कम करना, समय की बचत करना; प्रचालनात्मक लागत कम करना और सरकार के साथ कार्रवाई करते समय अधिक पारदर्शी व्यवसायिक वातावरण सृजित करना है। सभी विभागों में ई-शासन के तरीके नियोजित करना, उन प्राथमिक कारणों में से एक रहा है जिसके परिणामस्वरूप भारत के व्यापार सुगमता रैंकिंग में सुधार हुआ है।
    • जी 2 ई (सरकार से कर्मचारी): यह परस्पर क्रिया संगठन और कर्मचारी के बीच द्विमार्गी प्रक्रिया है। आई.सी.टी. साधनों का प्रयोग एक ओर इन परस्पर क्रियाओं को तीव्र एवं सक्षम बनाने तथा दूसरी ओर कर्मचारियों का संतुष्टि स्तर बढ़ाने में सहायता करता है।

    ई-शासन के विकास को दिशा देने और मापदंड स्थापित करने के लिये, ई-शासन परिपक्वता मॉडल ने ई-शासन विकास के लिये विभिन्न चरणों को रेखांकित किया है:

    • सूचना: यह ई-शासन प्रक्रिया का पहला चरण है। पहले चरण में ई-शासन का अर्थ है वेबसाइट पर उपलब्ध होना और संबंधित जानकारी को सार्वजनिक क्षेत्र (जी 2 सी और जी 2 बी) को प्रदान करना है। सरकारी जानकारी का सार्वजनिक रूप से सुलभ होना; प्रक्रियाओं के वर्णित होने से यह प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी हो जाती हैं, जो लोकतंत्र को मज़बूत करता है तथा सेवा वितरण में सुधार करता है।
    • परस्पर क्रिया: इस दूसरे चरण में, लोग ई-मेल के माध्यम से प्रश्न पूछ सकते हैं, जानकारी के लिये सर्च इंजन का उपयोग कर सकते हैं और सभी प्रकार के प्रपत्र और दस्तावेज डाउनलोड करने में सक्षम होते हैं, इस प्रकार सरकार तथा जनता के बीच परस्पर क्रिया को सुविधाजनक बनाते हैं।
    • कार्यसंपादन: तीसरे चरण में, शारीरिक रूप से किसी कार्यालय में जाए बिना ही पूरा कार्य सम्पादन किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, ऑनलाइन आयकर जमा करना, संपत्ति कर जमा करना, लाइसेंस, वीजा और पासपोर्ट का ऑनलाइन नवीकरण, ऑनलाइन मतदान आदि की ऑनलाइन सेवाएँ उपलब्ध कराना। इस चरण में पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है, जिसमें भुगतान, डिजिटल हस्ताक्षर आदि शामिल हैं। यह समय, कागज और पैसे बचाता है।
    • रूपांतरण: चौथा चरण वह रूपांतरण चरण है जिसमें सभी सूचना प्रणाली एकीकृत होती हैं तथा जनता जी 2 सी और जी 2 बी सेवाओं को एक (आभासी) मंच पर प्राप्त कर सकती है। सभी सेवाओं के लिये संपर्क का एक एकल बिंदु अंतिम लक्ष्य है।
    • संयुक्त राष्ट्र ई-शासन सर्वेक्षण 2008 प्रतिवेदन ने इस मॉडल को एक कदम और आगे बढ़ाया है तथा पाँचवें चरण के रूप में, ‘संबद्ध (कनेक्टेड) सरकार’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया है जिसका अर्थ है कि सरकारें स्वयं को एक संबद्ध इकाई में रूपांतरित करती हैं जो अपने नागरिकों की आवश्यकताओं पर प्रतिक्रिया, एकीकृत आंतरिक कार्यालय संरचना विकसित कर देती हैं।

    वर्तमान में जारी मोबाइल और ब्रॉडबैंड क्रांति के साथ, भारत ई-शासन में एक अग्रणी राष्ट्र बन सकता है। सरकार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम, आधार सक्षम भुगतान प्रणाली, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना, प्रगति (पी.आर.ए.जी.ए.ती.आई.) मंच जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से ई-शासन पर जोर दे रही है और सामान्य सेवा केंद्रों आदि के माध्यम से इन सेवाओं को प्रदान कर रही है। ई-शासन के लाभों को प्राप्त करने के लिये भारत को समर्थकारी बनाते वक्त, ऐसे प्रयासों को आवश्यक डेटा सुरक्षा ढांचे के साथ समर्थित होना चाहिये जैसा कि न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति द्वारा अनुशंसित है।

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