प्रश्न. प्लेट विवर्तनिकी सीमाओं के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? प्रत्येक प्लेट सीमा से संबंधित विभिन्न स्थलरूपों का भी उल्लेख कीजिये। (250 शब्द)
12 Nov 2021 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्लेट विवर्तनिकी को बताते हुए प्लेट सीमाओं की चर्चा कीजिये।
- विभिन्न प्रकार की प्लेट सीमाओं को बताते हुए उनसे निर्मित स्थल स्वरूपों का बताइये।
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पृथ्वी पर उपस्थित दृढ़ स्थलखंडों को प्लेट कहा जाता है, इन प्लेटों के स्वभाव तथा प्रवाह से संबंधित अध्ययन को प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं। वस्तुत: पृथ्वी का भूपटल अनेक छोटी-बड़ी प्लेटों से निर्मित है। ये प्लेटें दुर्बलमंडल (एस्थीनोस्पेयर) पर मुक्त रूप से गमन करती हैं तथा इन प्लेटों की सीमाएँ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं जो दूसरी प्लेट से टकराकर, घर्षण कर अथवा दूर होकर विभिन्न विवर्तनिक घटनाओं का कारण बनती हैं। सामान्यत: तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ विद्यमान होती है। जिन्हें अभिसारी, अपसारी तथा संरक्षी प्लेट सीमा की संज्ञा दी जाती है।
- अभिसारी प्लेट सीमा: दो प्लेट जब एक दूसरे की ओर गति करती हुई अभिसरित होती हैं तथा उनके अभिसरण के पश्चात् भारी प्लेट का क्षेपण मेंटल की तरफ होता है तथा इसकी प्लेट में वलन पड़ता है। जिससे भूकंप, ज्वालामुखी जैसी आकस्मिक घटनाओं के साथ-साथ वलित पर्वतों एवं महासागरीय गर्तो का निर्माण होता है। भारी प्लेट के क्षेपण एवं मेंटल में उसके गर्त के कारण भूपृष्ठ की क्षति होती है। जिसके कारण इसे विनाशी प्लेट सीमा भी कहा जाता है।
- अपसारी प्लेट सीमा: जब दो प्लेटें एक दूसरे से दूर विपरीत दिशाओं में गमन करती हैं तो इसे अपसारी प्लेट सीमा कहते हैं। प्लेटों के अपसरण के कारण मेंटल में उपस्थित लावा बाहर की ओर आना प्रारंभ करना है जिससे महासागरीय क्रस्ट का निर्माण होता है। इस प्रकार की प्लेट सीमा को रचनात्मक प्लेट सीमा कहा जाता है। उदाहरण: मध्य अटलांटिक कटक।
- संरक्षी प्लेट सीमा: इन सीमाओं के सहारे प्लेटें एक दूसरे के बगल से खिसकती हैं जिसके कारण रूपांतरण भ्रंश का निर्माण होता है तथा प्लेट के किनारों के धरातलीय क्षेत्र में अंतर नहीं होता। इस सीमा के सहारे न तो प्लेट का क्षय होता है न ही सृजन होता है, किंतु भ्रंशन की क्रिया से भ्रंश कगारों का निर्माण होने के साथ-साथ भूकंप की भी उत्पत्ति होती है। उदाहरण-सेन एंड्रियाज भ्रंश-
इन प्लेट सीमाओं के सहारे बनने वाले स्थलरूप
- वलित पर्वत: अभिसरण की क्रिया के फलस्वरूप वलित पर्वतों का निर्माण होता है। उदाहरण के लिये हिमालय पर्वत, रॉकी, एंडीज तथा आल्पस आदि प्रमुख वलित पर्वत हैं।
- महासागरीय गर्त एवं द्वीप समूह: अभिसरण की प्रक्रिया के पश्चात् भारी प्लेट के क्षेपण से बने गहरे बेसिन को गर्त कहते हैं। उदाहरण के लिये मरियाना गर्त, सुंडा गर्त आदि। इसी प्रकार द्वीप समूहों का विकास भी वलन की क्रिया से होता है जो कि वास्तव में जलमग्न वलित पर्वतों के शिखर हैं। उदाहरण स्वरूप-जापान एवं फिलीपीन्स द्वीप समूह।
- महासागरीय कटक: प्लेटों की अपसारी गति के परिणामस्वरूप मेंटल से मैग्मा महासागरीय सतह पर आकर जमा होने लगता है जिसमें महासागरीय कटकों का निर्माण होता है। उदाहरण के लिये-मध्य अटलांटिक कटक
- ब्लॉक एवं हार्स्ट पर्वत: अपसरण एवं अत्यधिक अभिसरण के परिणामस्वरूप प्लेटों में भ्रंशन की क्रिया होती है जिससे ब्लॉक एवं हार्स्ट पर्वतों का निर्माण होता है। उदाहरण के लिये-जर्मनी का ब्लैक फॉरेस्ट।