प्रश्न. स्वतंत्रता के पश्चात् से ही भारत में विभिन्न राज्यों के निर्माण संबंधी मांगें उठती रही हैं। ऐसी मांगों के पीछे क्या कारण रहे हैं? चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में समय के साथ विभिन्न आधारों पर उठने वाली राज्यों की मांग को संक्षेप में बताइये।
- ऐसी मांगों के पीछे विद्यमान कारकों की पहचान कीजिये।
- संतुलित एवं सुझावपरक निष्कर्ष दीजिये।
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वर्तमान भारतीय राष्ट्र-राज्य का स्वरूप एक लंबी एवं जटिल ऐतिहासिक प्रव्रिया का परिणाम है। स्वतंत्रता के पश्चात् से ही भारत में भाषा, संस्कृति, धर्म, जातीयता आदि अलग-अलग आधारों पर नए राज्यों के गठन की मांगें उठती रही हैं। जो आगे चलकर बेहतर प्रशासन, अधिक भागीदारी, आर्थिक विकास तथा प्रशासनिक सुविधा आदि के आधार पर उठने लगीं।
भारत में नए राज्यों के गठन हेतु उठने वाली मांगों के प्रमुख कारण निम्नवत् हैं-
- भाषा संबंधी: स्वतंत्रता के पश्चात् शुरुआती दो दशकों तक भाषा प्रमुख विभाजनकारी मुद्दा रहा, जिसने देश की राजनीति एवं सांस्कृतिक एकता खतरे में डाली। वस्तुत: संविधान निर्माण के साथ ही भारत में राजभाषा के मुद्दे पर नई बहस चली, उसके साथ-साथ भाषा के आधार पर आंध्र प्रदेश (तेलुगू), गुजरात (गुजराती) आदि राज्यों का गठन हुआ।
- नृजातीय कारक/जातीय पहचान: भारत में लगभग 645 अनुसूचित जनजातियाँ निवास करती हैं, जिनकी अलग-अलग संस्कृति व जातीय पहचान है। इसी आधार पर नगा जनजाति ने एक अलग राष्ट्र-ग्रेटर नगालिम की मांग की जो कि एक सशस्त्र आंदोलन था जिसने देश की एकता अखंडता के लिये खतरा उत्पन्न किया।
- आर्थिक कारक: भारतीय राज्यों में विद्यमान अंतर-क्षेत्रीय विषमता तथा बुनियादी अवसंरचना की कमी थी, जिसकी परिणति नए राज्यों की मांग को लेकर हुई, उदाहरणार्थ- झारखंड, छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना का गठन।
- प्रशासनिक कारक: कुछ राज्यों का बड़ा आकार होने के कारण दुर्गम क्षेत्रों तक प्रशासन की पहुँच नहीं हो पाने से भी नए राज्यों की मांग उठी। उदाहरणस्वरूप- उत्तराखंड राज्य की मांग।
इस प्रकार देखा जाए तो भारत में ऐसी मांगें लगातार विभिन्न कारणों से उठती रही हैं, जिनका समाधान भी समय-समय पर सत्तारूढ़ सरकारों द्वारा किया गया है। यदि व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो भारत एक विशाल सांस्कृतिक विविधता वाला देश है, जिसकी एक आम सांस्कृतिक विरासत रही है, जो कि हमारे देश को एकता के सूत्र में बांधे हुए है। राज्य अलग होने पर भी हम एक सशक्त व महान देश के रूप में एकता के सूत्र में बंधे हुए हैं।