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09 Nov 2021
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
प्र. 19वीं शताब्दी में भारत में आधुनिक शिक्षा नीतियों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- ब्रिटिश काल में भारतीय शिक्षा व्यवस्था का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- भारत में आधुनिक शिक्षा नीतियों के विकास को बताइये।
- कुछ महत्त्वपूर्ण नीतियों को बताइये तथा इनका आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- संतुलित निष्कर्ष दीजिये।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने आरंभिक 60 वर्षों तक भारत में शिक्षा के क्षेत्र में कोई रुचि नहीं ली। इन वर्षों में शिक्षा के प्रोत्साहन एवं विकास हेतु जो भी प्रयास किये गए वे व्यक्तिगत स्तर पर ही थे। सर्वप्रथम 1781 में वारेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता मदरसा की स्थापना मुस्लिम कानूनों से संबंधित जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से की। इसके एक दशक बाद बनारस के रेजीडेंट जोनाथन डंकन ने हिंदू दर्शन एवं विधि के अध्ययन हेतु बनारस में संस्कृत कॉलेज की स्थापना की। इस परंपरा को जारी रखते हुए वर्ष 1800 में लॉर्ड वेलेज़ली ने फोर्ट विलयम कॉलेज की स्थापना असैनिक अधिकारियों की शिक्षा के लिये की।
भारत में आधुनिक शिक्षा नीति का विकास क्रम
- उन्नीसवीं सदी के प्रथम तीन दशकों में शिक्षा का विकास केवल परंपरागत संस्थाओं के माध्यम से ही किया गया। 1813 के चार्टर एक्ट में पहली बार ईस्ट इंडिया कंपनी ने प्रतिवर्ष 1 लाख रुपए शिक्षा पर खर्च करने की बात कही गई थी।
- इसी कड़ी में ब्रिटिश प्रबुद्ध वर्ग भारत में शिक्षा नीति के विकास पर दो वर्गों में बँट गया था। पहला वर्ग प्राच्यवादियों का था जो कि पाश्चात्य विज्ञान एवं साहित्य के अध्ययन के स्थान पर भारतीय भाषा एवं साहित्य को प्रोत्साहित करने के पक्ष में था। वहीं दूसरा वर्ग आंग्लवादियों का था जो कि अंग्रेज़ी भाषा एवं पाश्चात्य ज्ञान देने के पक्ष में था।
- वर्ष 1835 में मैकाले मिनट में लॉर्ड मैकाले ने अपने संरक्षण पत्र में पाश्चात्य साहित्य एवं विज्ञान की शिक्षा का समर्थन किया। जिसके फलस्वरूप सरकार ने भारत में स्कूलों एवं कॉलेजों में अंग्रेज़ी को शिक्षा का प्रमुख माध्यम घोषित कर दिया।
- वर्ष 1843-53 तक जेम्स थॉमसन ने देशी भाषाओं द्वारा ग्राम शिक्षा की एक विस्तृत योजना बनाई। अंग्रेज़ी में शिक्षा देने वाले छोटे स्कूलों को बंद कर दिया। अब केवल कॉलेजों में ही अंग्रेज़ी शिक्षा का माध्यम रह गई।
- वर्ष 1854 में चार्ल्स वुड ने भारतीय शिक्षा की विस्तृत नीति बनाई जिसे ‘वुड्स डिस्पैच’ कहा गया। जिसमें देशी-भाषाई प्राथमिक पाठशालाओं की स्थापना, निजी क्षेत्र को शिक्षा में प्रोत्साहन का प्रयास किया।
- वुड डिस्पैच ने व्यावसायिक शिक्षा तथा महिला शिक्षा की भी बात की तथा ‘लंदन विश्वविद्यालय की तर्ज़ पर मद्रास, बंबई एवं कलकत्ता में विश्वविद्यालयों की स्थापना पर बल दिया।
हालाँकि वृहद् रूप में देखें तो ब्रिटिश शिक्षा व्यवस्था का मूल मकसद अपने प्रशासन को मज़बूत बनाना, अपने व्यापारिक हितों की पूर्ति करना तथा भारत में शिक्षित मध्य वर्ग का विकास ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं के उपभोक्ता के रूप में करना था। जिसमें वे काफी हद तक सफल भी रहे हालाँकि सीमित रूप से ही सही लेकिन ब्रिटिश सरकार ने आधुनिक शिक्षा के प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।