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  • 16 Dec 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    प्रश्न. निम्नलिखित उद्धरण से आप क्या समझते हैं ?

    ‘‘करुणा वह सबसे महत्त्वपूर्ण सद्गुण है जो विश्व को आगे बढ़ाता है।’’ -तिरुवल्लूर (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • तिरुवल्लूर तथा उनके कार्यों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • करुणा और उसके महत्त्व का वर्णन कीजिये।
    • करुणा की कमी को उदाहरण के साथ बताइये तथा साथ में यह भी बताइये कि यह कैसे विश्व को आगे बढ़ाती है।
    • लोक सेवा में करुणा की उपयोगिता को बताइये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    तिरुवल्लूर एक महान संत, कवि, उपदेशक तथा विचारक थे जिनका जन्म तमिलनाडु में हुआ था। उनके कार्य मानवोचित, परिष्कृत एवं सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करते हैं। उनके अनुसार करुणा मानव का सबसे महत्त्वपूर्ण सद्गुण है। करुणा के संदर्भ में वे कहते हैं, ‘‘विश्व का अस्तित्व करुणा के अद्वितीय गुण की मौजूदगी के कारण बना हुआ है।’’

    करुणा दूसरों के कष्टों के प्रति चिंतनशील होने तथा इनके समाधान करने की दिशा में कार्य करने हेतु प्रेरित करती है। यह दूसरों के दुख-दर्द को महसूस करने या अनुभव करने का पर्याय है जो कि विश्व की भलाई के लिये आवश्यक इच्छाशक्ति उपलब्ध कराने में अतिआवश्यक है।

    करुणा निर्धनों के प्रति चैरिटी के रूप में प्रकट हो सकती है। यह लोगों में सामाजिक ज़िम्मेदारी की भावना उत्पन्न करती है तथा परोपकार के रूप में भी प्रकट हो सकती है। किंतु वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में करुणा का क्षरण देखा जा रहा है, जो कि मानवीय मूल्यों के संकट को जन्म दे रहा है। तिरुवल्लूर का कथन है कि ‘‘यदि हम किसी की पीड़ा को स्वयं का समझकर उसका उपचार नहीं करते हैं तो ऐसी बुद्धिमत्ता की उपयोगिता पर प्रश्नचिह्न लगना चाहिये’’। हालिया वैश्विक घटनाक्रम, जैसे- एक देश का दूसरे देश से होने वाले प्रवासन को अनुमति न देना (यूरोप और म्याँमार), सीरिया में बमबारी से निर्दोषों की हत्या आदि करुणा के संकट के द्योतक हैं।

    करुणा विश्व को कैसे आगे बढ़ाती है?

    करुणा के संकट के बावजूद विश्व पूरी तरह इससे वंचित नहीं है, जैसे कि-

    • चंपारण के किसानों की दुर्गति के प्रति गांधी जी के करुणामय दृष्टिकोण ने उन्हें चंपारण सत्याग्रह प्रारंभ करने के लिये प्रेरित किया।
    • मदर टेरेसा को करुणा की देवी के रूप में जाना जाता है जिन्होंने वंचितों के कल्याण हेतु अथक प्रयास किये।
    • वह करुणा ही है जिसने नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को बालकों के अधिकारों के लिये कार्य करने हेतु प्रेरित किया। सत्यार्थी भारत और विदेशों में सभी बालकों के लिये सामाजिक न्याय, समता, शिक्षा तथा शांति के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं।
    • आई.ए.एस. अधिकारी आर्मस्ट्रांग पाम ने सरकारी मदद के बिना 100 किमी. लंबी सड़क का निर्माण किया। ऐसा उन्होंने तब किया जब उन्होंने देखा कि मणिपुर के एक गाँव में जाने के लिये स्थानीय लोगों को घंटों पैदल चलना पड़ता है या नदी को तैरकर जाना पड़ता है।

    करुणा का सद्गुण हमारे देश के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यहाँ अभी भी अधिकांश लोग अपने अधिकारों तथा अपने सामाजिक-आर्थिक दायित्वों से अनभिज्ञ हैं। करुणा की अनुपस्थिति में लोक प्रशासन संवेदनहीन, कठोर और अप्रभावी हो जाता है।

    इस प्रकार हम कह सकते हैं कि करुणा एक सामाजिक पूंजी है जो कि सभी में सद्भाव को बढ़ाती है। जैसा कि नोबेल पुरस्कार विजेता अल्बर्ट वाइटजर कहते हैं, ‘‘मानव जीवन का उद्देश्य सेवा करना, दूसरे के प्रति करुणा रखना तथा दूसरों की सहायता की इच्छाशक्ति रखना है।’’ इस कथन में हम प्रेम एवं करुणा के प्रति तिरुवल्लूर के विचारों की गूँज सुन सकते हैं। अंतत: करुणारूपी इस आवश्यक सद्गुण के अभाव में लोक प्रशासन तथा कुशल सेवा प्रदायिता में गिरावट आती है।

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