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  • 04 Dec 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    आप एक ईमानदार पुलिस अधिकारी हैं, जिसकी साइबर इंटेलिजेंस में विशेषज्ञता है। अपने उत्कृष्ट कार्यकाल (कैरियर) के दौरान आपने कई आपराधिक नेटवर्कों का पर्दाफाश किया, ऑनलाइन आंतकी गतिविधियों को ट्रैक किया तथा अवैध वित्तीय नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। आपकी नियुक्ति स्नूपिंग, जासूसी, हैकिंग एवं लक्षित सिस्टम पर मालवेयर के हमले पर विशेषज्ञता के साथ साइबर विशेषज्ञ के रूप में हुई है। अपने क्षेत्र में सफलताओं की एक श्रृंखला के साथ आप अपने सरकारी समूह में प्रसिद्ध हो गए हैं। आपके विभाग प्रमुख की रिटायरमेंट पार्टी पर एक मंत्री के निजी सहायक आपके पास आते हैं तथा आपको मंत्री के साथ एक व्यक्तिगत मीटिंग हेतु आमंत्रित करते हैं। मंत्री के साथ हुई मीटिंग में मंत्री आपको हाल में हुई एडवांस एयरक्राफ्ट खरीद के संबंधों में जानकारी देते हैं जिसमें पारदर्शिता की कमी होने के कारण विपक्ष द्वारा इसे चुनौती दी जा रही है। मंत्री आपसे कुछ प्रमुख विपक्षी नेताओं के व्यक्तिगत चैट और ईमेल प्राप्त करने के लिये कहता है जिससे उनके पूर्व भ्रष्टाचारों का पता लगाया जा सके और उन पर उनके खुद के बचाव का दबाव बनाया जा सके जिससे रक्षा सौदे पर कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी। आप व्यक्तिगत रूप से महसूस करते हैं कि यह सौदा भारत के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा हेतु अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।

    a. इस परिस्थिति में क्या आप मंत्री के प्रस्ताव से सहमत होंगे?
    b. क्या आपको लगता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर नागरिकों की जासूसी करना एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायोचित है? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • इस केस स्टडी में शामिल हितधारकों को बताइये।
    • केस स्टडी के केंद्रीय मुद्दे का एक संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • मंत्री के प्रस्ताव पर आप अपने पास उपलब्ध विभिन्न विकल्पों की पहचान कीजिये।
    • व्यक्तिगत अधिकारों एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने में सरकार की ज़िम्मेदारी को बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    प्रमुख हितधारक:

    (i) पुलिस अधिकारी: जो कि साइबर इंटेलिजेंस में विशेषज्ञता प्राप्त है।
    (ii) मंत्री: जो कि विपक्ष के नेता की जानकारी निकालना चाहता है।
    (iii) विपक्ष के नेता
    (iv) आम जनता: सरकार के द्वारा उठाया गया कोई भी कदम जनता की चिंता का सबब बन सकता है।

    इस केस स्टडी में लोक सेवा नैतिकता तथा प्राधिकरण द्वारा दिये गए आदेश का पालन करने व दोनों में से एक विकल्प चुनने में नैतिक दुविधा की स्थिति विद्यमान है। मंत्री द्वारा विपक्षी नेताओं की चैट तथा ईमेल में सेंध लगाने का अनुरोध मेरे लिये एक नैतिक दुविधा की स्थिति उत्पन्न कर रहा है। मैं इस दुविधा की स्थिति में हूँ कि मैं मंत्री के अनुरोध का पालन करूँ या नहीं।

    उपरोक्त स्थिति में मैं निम्नलिखित कार्रवाई कर सकता हूँ-

    • मैं इस मुद्दे को वरिष्ठ अधिकारी को बता दूँ तथा उनसे इस स्थिति से निकलने का रास्ता सुझाने का अनुरोध करूँ।
    • मैं सम्मानपूर्वक मंत्री के अवैध रूप से स्नूपिंग करने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दूँगा, ताकि वह विपक्षी नेताओं पर अनुचित राजनीतिक लाभ प्राप्त न कर पाएँ। एक पुलिस अधिकारी होने के नाते मुझे कानून के खिलाफ नहीं जाना चाहिये, क्योंकि कानून व्यवस्था को बनाए रखना मेरा प्राथमिक कर्त्तव्य है।

    एक साइबर विशेषज्ञ और ज़िम्मेदार अधिकारी के रूप में यह आवश्यक है कि मैं सच्चाई का पता लगाऊँ तथा मंत्री के आदेश का आँख मूँदकर अनुसरण करने का अर्थ है कि मैं अपनी सत्यनिष्ठा, वस्तुनिष्ठता तथा सरकारी सेवक की निष्पक्षता से विचलित हो जाऊँ जिसे समर्पण के साथ जनता की सेवा देने के लिये नियुक्त किया गया है।

    उपर्युक्त चरणों का पालन करने से इस मुद्दे को कुछ हद तक नैतिक व न्यायसंगत तरीके से सँभाला जा सकता है।

    एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों की सुरक्षा के नाम पर जासूसी करने पर प्रश्नचिह्न लगाया जा सकता है। वर्ष 2017 के के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने निजता को एक मौलिक अधिकार घोषित किया है तथा उसे संवैधानिक गारंटी प्रदान की है। इस निर्णय को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर नागरिकों की जासूसी करवाना अनैतिक एवं अन्यायपूर्ण लगता है। हालाँकि, राष्ट्रीय सुरक्षा व पूर्व-आतंकवादी खतरों को देखते हुए निगरानी रखना आवश्यक महसूस हो रहा है। हालाँकि, निगरानी की प्रकृति को ऐसा होना चाहिये कि जो सार्वजनिक जनता की पहुँच से बाहर हो। चूँकि यह स्पष्ट है कि निजता का अधिकार एक संप्रभु अधिकार नहीं है, इसलिये सरकार द्वारा इसका उल्लंघन न्यायसंगत है, किंतु इसके लिये निजता व सुरक्षा के प्रतिस्पर्द्धी मूल्यों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।

    सरकारी संस्थाओं द्वारा अनियंत्रित एवं अनगिनत डेटा संग्रहण एवं परीक्षण एक पुलिस व निगरानी राज्य की नींव रखते हैं। इसलिये भारतीय निगरानी व्यवस्था में नैतिक मुद्दों को शामिल किया जाना चाहिये जो कि निगरानी व्यवस्था में नैतिक पहलुओं पर विचार करने हेतु आवश्यक है।

    तकनीक का प्रयोग राष्ट्रीय एवं व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा के एक उपकरण के रूप में किया जाना चाहिये तथा तकनीक के उपयोग में जवाबदेहिता को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये, ताकि ऐसी विशेषज्ञता प्राप्त लोक सेवक आवश्यक रूप से न्यायसंगत व ईमानदार रह सके।

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