लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 03 Dec 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    प्रश्न ‘‘लोक सेवा कल्याणकारी राज्य का मूल उद्देश्य है।’’ इस कथन के संदर्भ में उन ‘लोक सेवा मूल्यों’ का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिये, जिनकी सभी लोक सेवकों को आकांक्षा करनी चाहिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • लोक सेवा और कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
    • विभिन्न लोक सेवा मूल्यों की चर्चा कीजिये।
    • इन मूल्यों के महत्त्व पर बल देते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    कल्याणकारी राज्य को ‘नागरिकों की भलाई सुनिश्चित करने हेतु सरकार की एक व्यवस्थित प्रणाली’ के रूप में वर्णित किया जा सकता है। लोक सेवा सरकार से संबंधित है तथा प्रशासनिक निकायों द्वारा इसके क्षेत्राधिकार में आने वाले लोगों को यह सेवा प्रदान की जाती है एवं इसे आधुनिक जीवन के लिये आवश्यक माना गया है। अत: लोक सेवा को कल्याणकारी राज्य का मूल उद्देश्य कहा जा सकता है, क्योंकि लोक सेवा सुनिश्चित करने हेतु सरकार द्वारा विभिन्न आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।

    कल्याणकारी राज्य के उद्देश्यों तथा अभिलाषाओं को ध्यान में रखते हुए लोक सेवकों को कुछ ‘लोक सेवा मूल्यों’ के लिये आकांक्षा करनी चाहिये।

    • कुछ अत्यावश्यक लोक सेवा मूल्य निम्नवत हैं:
      • सत्यनिष्ठा: सार्वजनिक पद धारण करने वाले अधिकारियों को ऐसे व्यक्तियों या संगठनों के साथ बाध्यतावश स्वयं को शामिल करने से बचना चाहिये, जो अनुपयुक्त तरीके से उनके सरकारी कार्य-निष्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। उन्हें स्वयं के लिये अथवा अपने परिवार या दोस्तों के लिये वित्तीय या अन्य भौतिक लाभ प्राप्त करने हेतु कोई कार्य या निर्णय नहीं करना चाहिये।
      • उत्तरदायित्त्व: सार्वजनिक पद धारण करने वाले अधिकारी अपने निर्णयों एवं कार्यों के लिये जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं तथा यह सुनिश्चित करने हेतु उन्हें आवश्यक जाँच के लिये स्वयं को प्रस्तुत करना चाहिये।
      • प्रतिबद्धता: उन्हें अपने कर्त्तव्यों के लिये प्रतिबद्ध होना चाहिये तथा सहभागिता, बुद्धिमत्ता व निपुणता के साथ अपना कार्य पूरा करना चाहिये। जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा है, ‘प्रत्येक कर्तव्य पवित्र है और कर्तव्य के प्रति समर्पण ही सर्वोच्च उपासना है।’
      • पारदर्शिता: एक लोक सेवक को पारदर्शी रूप से निर्णय लेना चाहिये, ताकि निर्णयों से प्रभावित होने वाले लोग ऐसे निर्णयों में निहित कारणों व सूचना के स्रोतों को समझ सकें, जिनके आधार पर ये निर्णय किये जाते हैं।
      • निष्पक्षता: लोक सेवकों को गुण-दोष के आधार पर निष्पक्ष रूप से निर्णय लेना चाहिये तथा ऐसा करते समय उन्हें किसी भी प्रकार के राजनीतिक विचारों से मुक्त होना चाहिये। लोक सेवकों को वृहत् लोकहित को साधने के उद्देश्य से न्यायपूर्ण, प्रभावशाली, निष्पक्ष और विनम्रता के साथ सेवाएँ प्रदान करनी चाहिये। लोक कल्याण हेतु समर्पण (सेवा की भावना) सर्वाधिक आवश्यक है।
      • नेतृत्व: सार्वजनिक पद धारण करने वाले अधिकारियों को अपने स्वयं के व्यवहार में इन सिद्धांतों को प्रदर्शित करना चाहिये। उन्हें इन सिद्धांतों को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना चाहिये तथा दृढ़ता से इनका समर्थन करना चाहिये, साथ ही कहीं भी कुत्सित/बुरे व्यवहार की घटना के नज़र आने पर उसे चुनौती देने के लिये तैयार रहना चाहिये।
        • इनके अतिरिक्त समानुभूति, राजनीतिक तटस्थता, अनामिकता (नाम गुप्त रखना), आदर्श व्यवहार आदि गुण एक कुशल लोक सेवक की पहचान होते हैं।

    उपर्युक्त सभी मूल्य संगठनात्मक संस्कृति के अनिवार्य घटक हैं तथा समाज द्वारा परिकल्पित (Envisioned) कल्याणकारी लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु आवश्यक व्यवहार को निर्धारित, निर्देशित और सूचित करने के लिये महत्त्वपूर्ण होते हैं। इस प्रकार इन मूल्यों को व्यापक स्तर पर सभी को अपनाना चाहिये तथा विशेष रूप से इनके माध्यम से लोक सेवकों में मूल गुणों को विकसित किया जाना चाहिये।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2