18 Dec 2021 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता की अवधारणा का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- कृषि के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे- मृदा प्रबंधन, फसल प्रबंधन, कीट निगरानी आदि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोगों को बताइये।
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता का आशय मशीनों की सोचने, समझने, सीखने, समस्या, समाधान और निर्णय निर्माण जैसे संज्ञानात्मक कार्यों एवं निरंतर पर्यवेक्षण के बगैर वास्तविक समय पर कार्यों के निष्पादन की क्षमता से है। उसमें मशीनें मानव बुद्धि के समान कार्य करती हैं और अपने अनुभवों से सीखती हैं।
हाल के समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता उच्च कृषि पैदावार संबंधी आवश्यकताओं को पूर्ण करने वाले एक उपकरण के रूप में उभरी है। यह कृषकों को फसलों की निगरानी, उत्पादन एवं मौसम संबंधी पूर्वानुमान तथा फसलों के विकास के लिये मनुष्य परिस्थितियों के आकलन करने में सहायता करता है। इसी के साथ इसका प्रयोग कीटों, खरपतवारों, रोगों से निपटने, मृदा प्रबंधन एवं खेतों की जंगली जानवरों से निगरानी करने में सहायक है।
ए.आई. का उपयोग कृषि क्षेत्र में निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-
- फसल एवं मृदा प्रबंधन: यह प्रौद्योगिकी पौधों के रोपण, सिंचाई एवं कटाई आदि को नियत टाइम पर ट्रैक करने तथा उसके आधार पर अनुमान लगाने में सहायक है। साथ ही यह मृदा की प्रकृति के अनुसार N : P : K अनुपात को बनाए रखने, सिंचाई की आवश्यकता आदि से भी कृषकों की सहायता करती है।
- कीटों के आक्रमण का पुर्वानुमान: कुछ सामान्य कीट, जैसे- टिड्डियाँ, थ्रिप्स, व्हाइटफ्लाई एवं एफिड्स फसलों को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीन लर्निंग की सहायता से कीट आक्रमण का अग्रिम संकेत कृषकों को दे सकती है।
- छवि पहचान: कृत्रिम बुद्धिमत्ता छवि पहचान की सहायता से खरपतवारों की पहचान कर सकती है तथा पौधे के स्वास्थ्य की जानकारी कृषक को उपलब्ध करा सकती है। इसकी पहचान से कृषक शाकनाशियों का यथोचित समय पर प्रयोग कर सकते हैं।
- रोबोटिक अनुप्रयोग: कृषक अपने कार्यों को ऑटोमेटिक बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। ऐसे में ड्रोन एवं रोबोट्स की सहायता से कृषि एवं अन्य कार्य निष्पादित किये जा रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता ड्रोन एवं रोबोट्स का कुशलतापूर्वक संचालन करने में सहायता करते हैं।
- पशुपालन में: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से कृषक पशुपालन संबंधी उपयोगी जानकारी प्राप्त करके अपने पशुधन से अधिकतम लाभ कमा सकता है। यह बछड़ों की देखरेख से लेकर स्वचालित दूध इकाइयों की स्थापना तक कृषकों हेतु बेहद लाभकारी है।