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समानुभूति से आप से क्या समझते हैं? वर्तमान सिविल सेवकों के लिये इसके महत्त्व की चर्चा कीजिये। उदाहरण सहित इसकी व्याख्या भी कीजिये। (150 शब्द)

23 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण:

  • परिचय में उपयुक्त उदाहरणों के साथ समानुभूति को परिभाषित कीजिये।
  • एक अवधारणा के रूप में समानुभूति की विस्तृत व्याख्या कीजिये ।
  • उदाहरण के साथ सिविल सेवकों के लिये समानुभूति के महत्त्व को समझाएं।
  • उपर्युक्त निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

  • नैतिकता मानवीय गुणों और भावनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। सदाचार चरित्र की उत्कृष्टता है जिसे नैतिक कार्यों के लिये अधिग्रहीत शक्ति या क्षमता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। ईमानदारी, अखंडता, क्षमा, समानुभूति आदि जैसे गुण सभी के साथ-साथ विशेष रूप से सिविल सेवकों के लिये वांछित और सराहनीय हैं क्योंकि उन्हें अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन का प्रबंधन करने के लिये इन गुणों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।

‘’यद्यपि समय के साथ, मेरा ह्रदय ने दूसरों की भलाई के लिये उद्दीप्ति होना तथा दूसरों के शोक में द्रवीभूत होना सीख लिया है’’- होमर

प्रारूप:

एक अवधारणा के रूप में समानुभूति-

  • समानुभूति दूसरे के मन और भावनाओं को समझने तथा साझा करने की क्षमता है जिसमें अक्सर स्वयं को दूसरों की स्थिति में रखा जाता है।
  • यह संज्ञानात्मक और भावनात्मक दोनों प्रकार का कौशल है।
  • समानुभूति शब्द का प्रयोग दो प्रकार से किया जा सकता है-
    • प्रथम प्रकार का अर्थ एक ‘सोच’ प्रतिक्रिया से हो सकता है, या किसी अन्य व्यक्ति के बारे में सोचने और वर्णन करने की क्षमता।
    • दूसरा प्रकार "महसूस" करने और किसी अन्य व्यक्ति की भावनाओं तथा परिस्थितियों का अनुभव करने की क्षमता को भी संदर्भित कर सकता है।

सिविल सेवकों के लिये समानुभूति का महत्त्व:

  • समानुभूति दूसरों के प्रति करुणा और चिंता की भावना से संबंधित है यही कारण है कि यह सिविल सेवकों को उनकी समस्याओं से जुड़ाव एवं लगाव की अनुमति प्रदान करती है।
  • यह समानुभूति के कारण ही है कि सिविल सेवक अपने चरित्र का प्रदर्शन करते हैं क्योंकि समानुभूति मानव के कल्याण में रुचि पैदा करने से संबंधित है।
  • समानुभूति के बिना सिविल सेवक लंबे समय तक कार्य नहीं रह सकते हैं, क्योंकि सहानुभूतिपूर्ण चरित्र नागरिकों में सिविल सेवक के प्रति लगाव उत्पन्न करता है।
  • समानुभूतिपूर्ण व्यवहार और अपनेपन से स्वाभाविक रूप से व्यक्तिगत स्नेह पैदा होता है जो बदले में प्रशासक और प्रशासित के मध्य बंधन को मज़बूत करता है।
  • समानुभूति और भावनात्मक तौर पर बुद्धिमान व्यवहार से समृद्ध लोग सामाजिक रूप से प्रभावशाली होते हैं और बेहतर पारस्परिक संबंध स्थापित करने में सक्षम होते हैं, जिससे उनके आसपास एक सहानुभूतिपूर्ण और सहायक सामाजिक संरचना का निर्माण होता है।

उदाहरण:

  • महात्मा गांधी सादा जीवन जीते थे क्योंकि वे समानुभूति और संवेदनशील गुणों से युक्त व्यक्ति थे। उन्होंने एक आलीशान जीवन का त्याग किया क्योंकि वे शोषणकारी ब्रिटिश शासन के तहत पीड़ित भारतीय जनता के साथ समानुभूति की भावना रखते थे। समानुभूति के सदर्भ में कोई भी सलाह जो उन्हें संदेहपूर्ण लगती थी, जिसके संदर्भ में कोई कार्रवाई सही है या नहीं, वे स्वयं को देश के सबसे गरीब लोगों की स्थिति में रखकर उसका हल खोजते थे कि किसी विशेष नीति और कार्यक्रम का उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
  • आईपीएस अधिकारी अतुल वी कुलकर्णी और उनकी टीम ने विशेष रूप से ‘भरोसा सेल’ और ‘निर्भय पाठक’ कंट्रोल वैन के पहरेदारों द्वारा गलियों और हाउसिंग सोसाइटीज़ के लिये महिलाओं तथा व्यथित नागरिकों के लिये शिकायत निवारण बैठकों के आयोजन की शुरुआत की है। इन पहलों के पीछे उनका विचार पुलिस थानों में जाने के दौरान लोगों में व्याप्त भय को दूर करना था और सबसे महत्त्वपूर्ण बात समाज के कमज़ोर वर्गों, विशेषकर महिलाओं के प्रति उनका सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार था जो उन्होंने अपने कॉलेज जीवन के दौरान देखा था।

निष्कर्ष:

  • भारत जैसे विकासशील देशों में समानुभूति की बात महत्त्वपूर्ण हो जाती है, जहाँ सिविल सेवकों में विशेष रूप से आम लोगों के प्रति समानुभूति की भावना का अभाव देखा जाता है तथा उनमें निहित श्रेष्ठता का भाव उन्हें समाज के आम लोगों से अलग-थलग कर देता है।
  • समानुभूति अक्सर दूसरों की चिंता/फ़िक्र के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द के रूप में महत्त्वपूर्ण गुण है तथा हम सभी में इसका विकसित किया जाना चाहिये। इसके बड़े निहितार्थ हैं क्योंकि जब सहानुभूतिपूर्ण लोग किसी को पीड़ा में देखते हैं, तो वे इसे उनके लिये महसूस करने के बजाय स्वयं को उनके साथ महसूस करते हैं।