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15 Dec 2020
सामान्य अध्ययन पेपर 3
पर्यावरण
आर्द्रभूमि हमारे पर्यावरण में एक पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। इस कथन के आलोक में आर्द्रभूमि के कार्यों की व्याख्या करते हुए उन खतरों को कम करने पर चर्चा कीजिये जो आर्द्रभूमि के समक्ष विद्यमान हैं।(250 शब्द)
उत्तर
दृष्टिकोण
- पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में आर्द्रभूमि/वेटलैंड्स को परिभाषित कीजिये।
- आर्द्रभूमि के कार्यों पर चर्चा कीजिये।
- आर्द्रभूमि के समक्ष उत्पन्न होने वाले खतरों का वर्णन कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय
- एक आर्द्रभूमि "स्थलीय और जलीय पारिस्थितिक तंत्रों के मध्य की संक्रमणकालीन भूमि होती है जहाँ जल का स्तर सामान्यत: सतह के पास या सतह तक होता है या भूमि उथले जल से ढकी होती है"।
- जल पर्यावरण और आर्द्रभूमि में संबंधित पौधे और पशु दोनों के जीवन को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कारक है।
प्रारूप
आर्द्रभूमि के कार्य
- निवास स्थान: वेटलैंड्स/आर्द्रभूमियाँ जलीय पारिस्थितिकी में एक अभिन्न भूमिका निभाती हैं। ये उथले पानी का संयोजन, पोषक तत्वों का उच्च स्तर उन जीवों के विकास के लिये एक आदर्श स्थिति उपलब्ध करते हैं जो खाद्य जाल का आधार निर्मित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं तथा मछली, उभयचर, शंख और कीड़े की कई प्रजातियों को भोजन उपलब्ध कराते हैं।
- क्लींज़िंग एजेंट: वेटलैंड्स के रोगाणु, पौधे और वन्यजीव पानी, नाइट्रोजन और सल्फर के का अभिन्न हिस्सा होते हैं। वेटलैंड्स, कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण में भेजने के बजाय अपने संयंत्रों और मिट्टी के भीतर ही कार्बन को संग्रहीत करते हैं।यह सतही जल में दूषित पदार्थों के स्तर को कम करने में सहायक है जो अंतर्निहित या आसन्न भूजल का पुनः चक्रण करता है।
- बाढ़ नियंत्रण: वेटलैंड्स प्राकृतिक बांँधों के रूप में कार्य करते हैं जो सतह के जल, बारिश, बर्फ के जल और भूजल तथा बाढ़ के जल को नियंत्रित कर मिट्टी के कटाव को कम करने में सहायक है।
- आर्थिक कार्य: वेटलैंड्स अत्यधिक उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र हैं जो विश्व को लगभग दो- तिहाई मछली फार्मिंग प्रदान करते हैं।
- वेटलैंड्स भोजन, कच्चे माल, दवाओं के लिये आनुवंशिक संसाधनों और जल विद्युत के लिये एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। ये परिवहन, पर्यटन और लोगों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कल्याण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- वेटलैंड्स उद्योग के लिये भी समान रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिये वे मछली और अन्य मीठे जल और समुद्री जीवन के लिये नर्सरी निर्मित करने में सहायक हैं तथा वाणिज्यिक एवं मनोरंजक मछली पकड़ने के उद्योगों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
आर्द्रभूमियों के समक्ष चुनौतियाँ
- शहरीकरण: शहरी केंद्रों के पास आर्द्रभूमि आवासीय, औद्योगिक और वाणिज्यिक सुविधाओं के विकास के कारण दबाव में है। सार्वजनिक जल आपूर्ति के संरक्षण के लिये शहरी आर्द्रभूमि आवश्यक है।
- कृषि: आर्द्रभूमि के विशाल खंडों को धान के खेतों में बदल दिया गया है। सिंचाई के लिये बड़ी संख्या में जलाशयों, नहरों और बांँधों के निर्माण के चलते संबंधित आर्द्रभूमि के जल विज्ञान में काफी परिवर्तन हुआ है।
- प्रदूषण: आर्द्रभूमियांँ प्राकृतिक जल फिल्टर के रूप में कार्य करती हैं। हालाँकि वे केवल कृषि अपवाह से खाद और कीटनाशकों को साफ कर सकती हैं लेकिन औद्योगिक स्रोतों एवं अन्य प्रकार के प्रदूषणों को नहीं। पेयजल आपूर्ति और आर्द्रभूमि की जैविक विविधता पर औद्योगिक प्रदूषण के प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ रही है।
- जलवायु परिवर्तन: वायु का बढ़ता तापमान, वर्षा के स्तर में बढ़ोतरी, तूफान, सूखा, बाढ़ की आवृत्ति में वृद्धि, वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि तथा समुद्र का बढ़ता जल स्तर आर्द्रभूमियों को प्रभावित कर सकता है।
- निकर्षण और बहाव: एक आर्द्रभूमि या नदी से सामग्री को निकालना। धाराओं के निकर्षण/ड्रेजिंग से आसपास के जल स्तर में कमी आती है तथा आस-पास की आर्द्रभूमियां सूख जाती हैं। गीले मैदान में नाली बनाकर जल को सुखा दिया जाता है, इस प्रकार जल स्तर को कम करके आर्द्रभूमि को सुखाया जाता है।
- विदेशी प्रजाति: आर्द्रभूमि को विदेशी पौधों की प्रजातियों से खतरा है। वे जलमार्गों को अवरुद्ध करती हैं और देशी वनस्पति के साथ प्रतिस्पर्धा करती हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार आर्द्रभूमियांँ एक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र हैं उनके महत्त्व को देखते हुए उनके संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। रामसर सम्मेलन का उद्देश्य स्थानीय और राष्ट्रीय कार्यों तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से सभी आर्द्रभूमियों का संरक्षण करना तथा उनका बुद्धिमानी से उपयोग करना है।