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’कल्याणकारी राज्य’ से आप क्या समझते हैं? क्या आपको लगता है कि भारत सही अर्थों में एक कल्याणकारी राज्य है? (150 शब्द)

12 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण:

  • कल्याणकारी राज्य की विशेषताओं को विधिपूर्वक समझाइए।
  • उपयुक्त उदाहरणों के साथ भारत के कल्याणकारी राज्य की प्रकृति पर प्रकाश डालिये।
  • कल्याणकारी राज्य बनने की दिशा में भारत के समक्ष आने वाली कुछ चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
  • निष्कर्ष में उन सुझावों एवं प्रयासों को बताइए जो भारत के लिये अनुकरणीय हो।

प्रस्तावना:

कल्याणकारी राज्य एक प्रकार की राजनीतिक-आर्थिक व्यवस्था है जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ विद्यमान होती हैं:

  • यह अपने नागरिकों को कानून एवं व्यवस्था जैसी बुनियादी न्यूनतम सेवाएंँ प्रदान करता है।
  • यह हस्तक्षेपात्मक प्रकृति का होता है। ऐसा राज्य द्वारा समाज के कल्याण को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।
  • इसमें बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था होती है।
  • यह एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है जहाँ निजी एवं सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों का एक ही समय में सह-अस्तित्व होता है।

प्रारूप:

भारत में कल्याणकारी राज्य की विशेषताएंँ:

  • सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के माध्यम से विभिन्न सामान्य सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है जैसे- पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता, अवसादग्रस्तता समुदायों का प्रतिनिधित्त्व इत्यादि।
  • खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना: भारत के द्वारा हरित क्रांति, श्वेत क्रांति तथा वर्तमान में राष्ट्रीय पोषण मिशन को लागू करके पोषण सुरक्षा पर कार्य करके अपने नागरिकों के लिये खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया गया है।
  • संपत्ति का पुनर्वितरण: इसके अंतर्गत भूमि सुधार, प्रगतिशील कराधान नीति, सब्सिडी आदि के रूप में विद्यमान असमानताओं को कम किया जा रहा है।
  • कंपनी अधिनियम, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम इत्यादि जैसे सख्त कानूनों के माध्यम से मुनाफाखोरी जैसी गतिविधियों को कम करके पारदर्शिता लाई जा रही है।
  • राज्य के द्वारा मनरेगा जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यमों से आजीविका के साधन प्रदान किये जाते हैं।

कल्याणकारी राज्य के समक्ष चुनौती:

  • ऑक्सफैम (Oxfam) रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) सुधारों के बाद से आय की असमानता का स्तर विशेष रूप से बढ़ रहा है।
  • ‘लैंड सीलिंग एक्ट’ जैसी नीतियों के कार्यान्वयन की विफलता।
  • भेदभाव की व्यापकता- लैंगिक (निर्भया केस), जाति (दलित अत्याचार), अल्पसंख्यक (सांप्रदायिक हिंसा) आदि।
  • पिछले पाँच वर्षों में बेरोज़गारी का स्तर लगातार बढ़ा है।

निष्कर्ष :

इस प्रकार भारत के द्वारा सही मायने में एक कल्याणकारी राज्य का मॉडल स्थापित करने में कई प्रकार की चुनौतियों का सामना किया जा रहा है। हालाँकि, ये सभी चुनौतियाँ भारत को भविष्य में एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में सहायक है। आयुष्मान भारत योजना, भारतमाला एवं सागरमाला परियोजना, सशस्त्र बलों की मज़बूती इत्यादि कार्यक्रमों में यह बात स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।