समानुभूति, दक्षता, निष्पक्षता और सच्चरित्रता जैसे मूल्य नागरिक सेवाओं में नैतिक मानकों के आधार हैं। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)
22 Dec 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
दृष्टिकोण
- परिचय में सिविल सेवाओं में नैतिक मानकों के महत्त्व को समझाइये।
- समानुभूति, दक्षता, निष्पक्षता और सच्चरित्रता आदि मूल्यों की व्याख्या कीजिये।
- अपनी बात को उपयुक्त उदाहरणों के साथ बताइये।
- सुसंगत निष्कर्ष दीजिये।
परिचय
- दूसरी एआरसी रिपोर्ट ‘एथिक्स इन गवर्नेंस’ के अनुसार, एक सिविल सेवक केवल एक ‘पब्लिक ट्रस्टी’ होता है जो जनता के विश्वास में कार्य करता है। सरकार की नीति को कार्यरूप में बदलने की उनकी भूमिका के कारण सिविल सेवक समाज में एक विशिष्ट चरित्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जो तब तक संभव नहीं है, जब तक कि वे सिविल सेवाओं के 'मूलभूत मूल्यों' के रूप में मूल मूल्यों को आत्मसात नहीं कर लेते।
प्रारूप
सिविल सेवकों को विश्वसनीय , कुशल, निष्पक्ष और निष्कलंक होना चाहिये और ये ऐसे मार्गदर्शक सिद्धांत हैं जो उच्च नागरिक सेवाओं का आधार बनते हैं। इन मूल्यों की आवश्यकता निम्नलिखित रूप में की गई है:
- समानुभूति: यह एक मूल्य और मनोवैज्ञानिक अवधारणा है जो सोच तथा दूसरों के दृष्टिकोण में अभिव्यक्त होती है कि वे किस प्रकार से सोचते और महसूस करते हैं। यदि देश सेवा पर बल दिया जाए तो यह समझना आवश्यक होगा कि देश के लोगों की आवश्यकताओं, आकांक्षाओं और जीवन स्थिति को कौन पूर्ण करता है।
- निर्णय लेने में गांधीजी के मंत्र को अपनाया जाना चाहिये जो अंतिम व्यक्ति के बारे में सोचता है। उदाहरण के लिये, सुगम्य भारत अभियान के तहत अलग-अलग समुदाय के लोगों की सेवा के लिये जारी दिशा-निर्देश समानुभूति की भावना के अनुरूप हैं।
- दक्षता: इसका अर्थ है लक्ष्य को पूरा करने के संबंध में इष्टतम संसाधनों का उपयोग और प्रभावशीलता। ज़मीनी स्तर पर योज़नाओं को लागू करने हेतु नीतियों को लागू करने की ज़िम्मेदारी सिविल सेवकों की होती है।
- वे कानून और कार्यान्वयन के मध्य महत्त्वपूर्ण संबंध प्रदान करते हैं। इस प्रकार समय और लागत अधिक होने की वज़ह से सुधार, प्रदर्शन एवं परिवर्तन की कार्यप्रणाली द्वारा सिविल सेवकों को दक्षता और परिवर्तनकारी नेतृत्व के ज़रिये नई ऊंँचाई प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिये।
- जैसे: मेट्रो-मैन ’ई. श्रीधरन ने रिकॉर्ड समय में परियोजनाओं को लागू किया, जो बाद में अन्य हाई स्पीड ट्रेन परियोजनाओं के लिये एक मॉडल बन गया।
- निष्पक्षता: इसका मतलब निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण होना है। एक सिविल सेवक को अपनी पृष्ठभूमि, जाति, धर्म आदि के आधार पर नागरिकों में भेदभाव नहीं करना चाहिये। उन्हें सरकार को निष्पक्ष सलाह देनी चाहिये और राजनीतिक दलों के प्रति निष्पक्षता का भाव रखना चाहिये।
- निष्पक्ष होने से राष्ट्रीय एकीकरण और समावेशी विकास का व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद मिलेगी। जब देश में अराजकता, तनाव और संघर्ष जैसे- सांप्रदायिक दंगे, हिंसक आंदोलन आदि की स्थिति होती है तो ऐसे समय में यह एक आवश्यक विशेषता बन जाती है।
- सच्चरित्रता: यह नैतिकता की शक्ति को दर्शाता है कि किसी के कहने या बोलने पर कुछ गलत नहीं करना चाहिये। एक भ्रष्ट व्यवस्था किसी मज़बूत देश की जीवन शक्ति को नष्ट करती है। सच्चरित्रता की आवश्यकता इसलिये होती है क्योंकि सिविल सेवक बड़े स्तर पर सार्वजनिक धन का प्रबंधन करते हैं।
- 2 जी घोटाला, 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स और आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले, आदि का कारण ईमानदारी की कमी के चलते जनता का विश्वास कम होना था।
निष्कर्ष
भारत के ‘आयरन मैन’, सरदार पटेल ने भारत के एक ‘स्टील फ्रेम’ के रूप में सिविल सर्विसेज की कल्पना की।आज हर सिविल सेवक का यह कर्तव्य है कि वह एक ऐसे मज़बूत तंत्र को विकसित करे जो उन लाखों भारतीयों के जीवन को रोशन करने में समर्थ हो जो अपने जीवन को बेहतर बनाने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं।