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‘मानवजनित कारकों के कारण भारत में शहरी ऊष्मा द्वीपों की घटना में वृद्धि हो रही है।’ उन कारकों की चर्चा कीजिये जो शहरी ऊष्मा द्वीपों की घटना में वृद्धि के लिये उत्तरदायी हैं। (150 शब्द)

06 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण:

  • शहरी ऊष्मा द्वीप घटना का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
  • उन प्रमुख मानवजनित गतिविधियों के बारे में चर्चा कीजिये जो भारत में शहरी ऊष्मा द्वीपों के गठन के लिये उत्तरदायी है।
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

प्रस्तावना:

  • शहरी क्षेत्रों में मानवजनित गतिविधियों के कारण आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में किसी विशेष में तापमान की अत्यधिक वृद्धि को शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • सामान्यतया शहरी ऊष्मा द्वीपों का तापमान आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में औसतन 8 से 10 डिग्री अधिक होता है।
  • तापमान वृद्धि के कारण शहरी ऊष्मा द्वीप में स्थिति समुदायों की ऊर्जा की मांग, एयर कंडीशनिंग के बढ़ते प्रयोग से वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में बढ़ोतरी हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप ताप से संबंधित बीमारी एवं मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी हो सकती है।

प्रारूप

शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव के कारक

  • निर्माण गतिविधियों में कई गुना वृद्धि: साधारण शहरी आवासों के जटिल बुनियादी ढाँचे के निर्माण एवं विस्तार के लिये, डामर और कंक्रीट जैसी कार्बन अवशोषित सामग्री की आवश्यकता होती है जो बड़ी मात्रा में तापमान को अवशोषित करते हैं अत: इस कारण शहरी क्षेत्रों की सतह के औसत तापमान को वृद्धि होती है।
  • गहरे रंग की सतह: शहरी क्षेत्रों में निर्मित भवनों की बाहरी सतह को सामान्यतः काले या गहरे रंग से, रंग दिया जाता है जिस कारण अल्बेडो अर्थात् पृथ्वी से सूर्य की ऊष्मा का परावर्तन कम हो जाता है और गर्मी का अवशोषण बढ़ जाता है।
  • एयर कंडीशनिंग: तापमान को नियंत्रित करने के लिये एयर कंडीशनिंग का प्रयोग किया जाता है जिसके लिये बिजली संयंत्रों से अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो अधिक प्रदूषण का कारण बनता है। इसके अलावा एयर कंडीशनर वायुमंडलीय हवा के साथ ऊष्मा का आदान-प्रदान करते हैं जो स्थानीय स्तर पर हीटिंग को उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार यह एक कास्केड प्रभाव (Cascade Effect) है जो शहरी ऊष्मा द्वीपों के विस्तार में योगदान देता है।
  • शहरी वास्तुकला: विशाल इमारते के साथ सकरी सड़कें हवा के संचलन में बाधा उत्पन्न करती हैं जिससे हवा की गति को धीमी हो जाती हैं जो प्राकृतिक शीतलन प्रभाव को कम करता है। इसे अर्बन कैनियन इफेक्ट (Urban Canyon Effect) कहा जाता है।
  • बड़े पैमाने पर परिवहन प्रणाली की आवश्यकता: परिवहन प्रणाली और जीवाश्म ईंधन का बड़े स्तर पर उपयोग शहरी क्षेत्रों में तापमान को बढ़ता है।
  • वृक्ष और हरित क्षेत्र की कमी: वृक्ष और हरित क्षेत्र वाष्पीकरण और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की क्रिया को कम करते हैं तथा ये सभी प्रक्रियाएँ आसपास की हवा के तापमान को ठंडा करने में मदद करती हैं।

निष्कर्ष:

  • इस प्रकार मानव निर्मित सामग्री का बढ़ता उपयोग और मानवजनित कारकों से तापमान में बढ़ोतरी शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव हेतु उत्तरदायी हैं। शहरी ऊष्मा द्वीप को सीमित करने के लिये नियोजित शहरीकरण की आवश्यकता है जिसके लिये केवल स्मार्ट शहरों की नहीं बल्कि स्मार्ट-ग्रीन शहरों को भी विकसित करने की आवश्यकता है।