कृषि-विपणन और व्यापार नीतियों में सुधार भारत में संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार हो सकता है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
21 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
दृष्टिकोण:
- भारत में वर्तमान कृषि संकट के बारे में संक्षेप में बताए।
- उन कृषि-विपणन और व्यापार नीतियों पर प्रकाश डालिये जो संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र में सुधार ला सकती हैं।
- कुछ प्रासंगिक उदाहरणों के साथ अपने बिंदुओं को स्पष्ट कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
- यद्यपि संपूर्ण अर्थव्यवस्था में कृषि का कुल योगदान एक-तिहाई से भी कम है, लेकिन यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 55% आबादी को प्रभावित करती है, ग्रामीण केंद्र प्रमुख मांग वाले क्षेत्र हैं जो आर्थिक विकास के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। हालाँकि हाल ही में धीमी उत्पादन वृद्धि, उच्च लागत और बदलती जलवायु भेद्यता के कारण कृषि से प्राप्त होने वाली आय में गिरावट आई है।
- हाल ही में नीति आयोग ने अपने थिंक टैंक के माध्यम से कृषि संकट से जूझ रहे किसानों को राहत देने के उद्देश्य से किसानों को डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) के माध्यम से सीधी अग्रिम आय सब्सिडी प्रस्तावित की है। इससे किसानों को अपनी आवश्यकता के क्षेत्रों में वित्त का निवेश करने में मदद मिलेगी।
प्रारूप:
कृषि विपणन और व्यापार नीतियों में आवश्यक सुधार:
- वर्तमान APMC अधिनियम किसानों को अपनी उपज को प्रोसेसर/निर्माता/थोक प्रोसेसर, निर्यातक, थोक खुदरा विक्रेता को बाज़ार यार्ड के बाहर बेचने से प्रबंधित करता है अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, उत्पादन को विनियमित बाज़ार के माध्यम से प्रसारित करने की आवश्यकता होती है।
- आमतौर पर गरीब किसानों को अपनी उपज की 25% तक ही कीमत मिल पाती हैं। किसानों और उपभोक्ताओं के बीच मध्यस्थ उत्पादकों और अंतिम उपभोक्ताओं के बजाय प्रमुख लाभार्थी बन जाते हैं।
अनुबंध खेती
- खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने तथा छोटे शेयरधारकों को तकनीकी और वित्तीय सहायता एवं गुणवत्ता इनपुट प्रदान करने के लिये अनुबंध खेती महत्त्वपूर्ण है।
- मॉडल APMC अधिनियम, 2003 के दौरान राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को परिचालित अनुबंध कृषि समझौते और इसके मॉडल विनिर्देशों के लिये आधार प्रदान करता है। 20 राज्यों द्वारा अपने APMC अधिनियमों में अनुबंध खेती हेतु संशोधन किया गया है, लेकिन केवल 12 राज्यों ने इन नियमों को अधिसूचित किया है।
- इन नियमों को उन राज्यों द्वारा अधिसूचित किया जाना चाहिये जिन्होंने APMC अधिनियमों में संशोधन किया है और जिन राज्यों ने अभी तक अधिनियम में संशोधन नहीं किया है उन्हें तेज़ी से इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।
उत्पादकों द्वारा प्रसंस्करण उद्योग/निर्यातकों/थोक खरीदारों को प्रत्यक्ष बिक्री
- उत्पादक को संबंधित अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत बाज़ार क्षेत्र में बाज़ार यार्ड के बाहर अन्य बिचौलियों की भागीदारी के बिना प्रत्यक्ष बिक्री में प्रवेश करने के लिये स्वतंत्र किया जाना चाहिये।
- विपणन और व्यापार में ये बदलाव बिचौलियों के एकाधिकार को समाप्त कर देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके।
व्यापारियों/बाज़ार अधिकारियों के पंजीकरण के लिये दुकान/स्थान की अनिवार्य आवश्यकता के प्रावधानों को अलग करना
- वर्तमान में केवल विनियमित बाज़ार में दुकान/गोदाम के मालिक व्यापारियों/कमीशन अभिकर्त्ता को बाज़ार में उपज खरीदने की अनुमति है।
- विनियमित बाज़ारों में कमीशन अभिकर्त्ता/व्यापारियों के अनिवार्य लाइसेंसिंग की इस प्रथा के कारण इन लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों का एकाधिकार हो गया है जो नए उद्यमियों के लिये मौजूदा APMC में एक प्रमुख प्रवेश अवरोधक के रूप में कार्य करता है।
फलों और सब्ज़ियों को APMC अधिनियम के दायरे से बाहर रखना
- उत्पादकों को एकीकृत, ग्राम सहकारी या APMC मंडी से बाहर उत्पादों को बेचने का अधिकार प्रदान किया गया है।
- वर्तमान में ये प्रतिबंध उत्पादकों को नामित मंडी में अपनी उपज बेचने के लिय मजबूर करते हैं, जिससे अन्य स्थानों से उचित मूल्य प्राप्त करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
सभी राज्यों में e-NAM और ई-ट्रेडिंग का कार्यान्वयन
विपणन के लिये सहकारी समितियों को बढ़ावा देना
- अमूल डेयरी सहकारिता एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे किसानों ने किस प्रकार सहकारिता की नीति के माध्यम से खुद को सशक्त बनाया।
- महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के नेतृत्व में इस तरह के सहयोग से अन्य राज्यों में पहले ऋण जुटाने और बाद में अन्य गतिविधियों को संचालित करने की दिशा में बड़ी सफलता मिली हैं।
नए कृषि सुधार-
- सरकार द्वारा देश में कृषि को बदलने और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से संसद में तीन महत्त्वपूर्ण कानून पारित किये गए हैं।
- इन विधानों में कृषि विपणन प्रणाली में आवश्यक सुधार लाने की मांग की गई है, जैसे- कृषि उपज के निजी स्टॉक पर प्रतिबंध को हटाने या बिचौलियों से मुक्त व्यापारिक क्षेत्र बनाने और किसान को बाज़ार में स्वतंत्र प्रवेश कराने।
- किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020
- मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020
निष्कर्ष
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण संकट के समय में किसानों को तुरंत सहायता प्राप्त करने का आधार बन गया है।
- हालाँकि कृषि संकट के दीर्घकालिक और समग्र समाधान के लिये कृषि उपज विपणन में एक संरचनात्मक परिवर्तन लाने के लिये विपणन और व्यापारिक नीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है।