Be Mains Ready

महासागरीय धाराएँ जलवायु के सबसे महत्त्वपूर्ण चालक बलों में से एक हैं। चर्चा कीजिये कि महासागरीय धाराएँ किस प्रकार स्थानीय और वैश्विक जलवायु को प्रभावित करती हैं। इनकी उत्पत्ति को प्रभावित करने वाले कारकों का भी वर्णन कीजिये । (250 शब्द)

06 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण: 

  • जलवायु के महत्त्वपूर्ण चालक बलों का उल्लेख करते हुए, संक्षिप्त रूप से महासागरीय धाराओं के बारे में बताईये।
  • महासागरीय धाराओं के निर्माण हेतु उत्तरदायी कारकों की चर्चा कीजिये।
  • वैश्विक जलवायु पर महासागरीय धाराओं के प्रभावों को बताइये। प्रश्न के इस भाग के लिये  उदाहरण महत्त्वपूर्ण हैं।
  • एक संक्षिप्त निष्कर्ष दीजिये।

प्रस्तावना: 

  • वैश्विक स्तर पर जलवायु की दशाएँ ग्रहीय वायु, गुरुत्वाकर्षण बल और महासागरीय धाराओं जैसे चालक बलों द्वारा निर्धारित की जाती है।
  • महासागरीय धाराएँ समुद्र जल की एक निरंतर गति है जो समुद्र में एक नदी की भांति एक अनुसरित मार्ग पर चलती हैं।
  • गहराई के आधार पर महासागरीय धाराएँ दो प्रकार की हैं। सतही धाराएँ अर्थात् सतही संचलन जो महासागरीय जल संचलन के लगभग 10% भाग से संबंधित होती हैं इसके अतिरिक्त गहरे जल की धाराएँ अर्थात् थर्मोहेलिन संचलन जो समुद्र के अन्य 90% भाग से संबंधित होती है।
  • तापमान के आधार पर महासागरीय धाराओं को दो वर्गों विभाजित किया जाता है: ठंडी धारा (जैसे:लैब्राडोर की धारा) और गर्म धारा (जैसे:क्यूरोशियो की धारा)।

प्रारूप: 

महासागरीय धाराओं  के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक हैं:

  • ग्रहीय वायु: यह स्थायी वायु है (व्यापारिक, पछुवा और ध्रुवीय पवनें) यह एक वायुदाब पेटी से दूसरी में संचरण करती हैं। महासागरीय परिसंचरण का  पैटर्न सामान्यतः पृथ्वी के वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न से संबंधित होता है। उदाहरणस्वरूप हिंद महासागर में मानसूनी हवाओं की दिशा में बदलाव के साथ समुद्री धाराओं में भी बदलाव हो जाता है।
  • तापमान: भूमध्य रेखा और ध्रुवों पर सूर्य के तापांतर के कारण समुद्र सतह के तापमान में अंतर होता है। भूमध्य रेखा से गर्म पानी धीरे-धीरे ध्रुवों की ओर बढ़ता है इसके अतिरिक्त ध्रुवों की तरफ से ठंडे पानी का परिगमन भूमध्य रेखा की ओर होता है।
  • लवणता: कम लवणता वाले जल का घनत्व कम होता है जिससे वे उच्च लवणता वाले जल की ओर प्रवाहित होता है।
  • पृथ्वी घूर्णन: फेरेल के नियम के अनुसार, कोरओलिस बल हवाओं को विक्षेपित करता है  जिस कारण महासागरीय धाराएँ उत्तरी गोलार्ध में दाईं ओर और दक्षिणी गोलार्ध में बाईं ओर प्रवाहित होती  हैं। 
  • स्थलाकृति: स्थलाकृतियाँ महासागर के प्रवाह की दिशा को बाधित करती हैं जो महासागर की धारा को एक अलग दिशा में प्रवाहित करता है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु के निर्धारण में महासागरीय  धाराएँ  महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जिनके सीमा समुद्र से स्पर्श करती हैं।
  • स्थानीय जलवायु: गर्म और ठंडी धाराएँ किसी क्षेत्र की स्थानीय जलवायु को प्रभावित करती हैं। उत्तरी अटलांटिक धारा यूरोप के पश्चिमी तटों को गर्म रखता है जो इस तरह के उच्च अक्षांशों के लिये असामान्य है क्योंकि यहाँ का तापमान काफी कम है। इसी तरह, उत्तरी प्रशांत महासागर में क्यूरेशियों धारा के कारण तापमान के कम होने बावजूद भी अलास्का तट के बंदरगाह वर्ष भर खुले रहते हैं।
  • वर्षण: महाद्वीपों के पूर्वी तट पर गर्म धाराएँ प्रवाहित होती हैं जिसके परिणामस्वरूप महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर गर्म और आर्द्र जलवायु होती है जबकि सामान्यतः महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर ठंडी धाराएँ प्रवाहित होती हैं।
  • रेगिस्तान का निर्माण: उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय महाद्वीपों के पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में रेगिस्तान के निर्माण में शीत महासागरीय धाराओं का योगदान रहता है। पेरू की धारा जिसे हम्बोल्ट की धारा भी कहा जाता है, दक्षिण-पूर्व प्रशांत महासागर की एक ठंडी धारा है जो अटाकामा रेगिस्तान (दुनिया का सबसे शुष्क रेगिस्तान) की शुष्कता का एक प्राथमिक कारण है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में गर्म जल की आपूर्ति  महासागरीय  धाराओं के द्वारा होती है  यह गर्म जल उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में  मुख्य संचालक या प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है।
  • मोडरेटर इफेक्ट (Moderating effect): महासागरीय धाराएँ तटों का तापमान सामान्य या मोडरेट बनाये रखने के लिये उत्तरदायी होती हैं उदाहरणस्वरुप इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल आदि के तटों का तापमान सामान्य या मोडरेट रखने हेतु गर्म उत्तर अटलांटिक धारा तथा कनारी की ठंडी धारा उत्तरदायी हैं।

निष्कर्ष

  • उपर्युक्त कारक न केवल महासागर धाराओं के निर्माण को प्रभावित करते हैं, बल्कि महासागरीय धाराएँ क्षेत्रीय एवं वैश्विक जलवायु को निर्धारित करने में भी एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं।