Be Mains Ready

नोवेल कोरोना वायरस का प्रकोप एक वैश्विक आपदा बन गया है। यह कहना कहाँ तक सही होगा कि इस प्रकार के लगातार वायरल प्रकोप मानव निर्मित आपदाएँ हैं? (250 शब्द)

18 Dec 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण

  • हाल में भारत और भारत से बाहर वायरस के प्रकोप से संबंधित तथ्यों पर प्रकाश डालिये।
  • इस तरह के प्रकोप आपदाओं के रूप में तब्दील हो रहे हैं जिसका कारण प्राकृतिक न होकर मानव निर्मित है।
  • इस प्रकार की मानव निर्मित आपदाओं के नियंत्रणीय स्वरूप पर प्रकाश डालिये।

परिचय

  • नोवेल कोरोनोवायरस के प्रकोप से वैश्विक स्तर पर हज़ारों मौतें हुईं हैं जो एसएआरएस (SARS) के कारण हुई मौतों के आंँकड़े को पार कर गईं हैं। वर्ष 2018 में केरल में निप्पा वायरस का प्रकोप, उत्तर-पश्चिम भारत में लगातार डेंगू, मलेरिया, बिहार में जापानी एन्सेफेलाइटिस के मामले, पश्चिमी अफ्रीका में इबोला, विशेष रूप से विकसित देशों में वायरल के प्रकोप के बढ़ते मामले इस बात की पुष्टि करते हैं।

प्रारूप

आपदा एक अचानक घटित होने वाली घटना है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन और संसाधनों का भारी नुकसान होता है।

मानव निर्मित आपदाओं के रूप में वायरल के फैलने का कारण

  • अकुशल स्वास्थ्य अवसंरचना के परिणामस्वरूप उच्च मृत्यु दर: दवाइयों, डॉक्टरों आदि की कमी के कारण भारत में डेंगू से होने वाली मृत्यु के मामले में उपचार का अभाव देखने को मिलता है जो मुख्य रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय और आय असमानता का कारण है।
  • अनुसंधान और विकास का अभाव: वर्तमान समय में देश इस प्रकार के प्रकोप से बचाव जैसे इबोला वायरस के मामले में आंतरिक क्षमताओं की कमी के कारण उपचार साधन विकसित करने के लिये डब्ल्यूएचओ जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकायों पर निर्भर हैं। इस कारण स्थानीय स्तर पर तत्काल उपचार के अभाव के प्रति प्रतिक्रिया होती है।
  • प्रभावी निगरानी और क्वारंटाइन उपायों की कमी के कारण वायरस का तेज़ी से अनियंत्रित प्रसार होता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के समय अचानक धन जुटाने के परिणामस्वरूप थोड़े समय में भारी मात्रा में संसाधन एकत्र किये जा सकते परंतु इसका प्रतिकूल प्रभाव अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर भी दिखता है।
  • उच्च-घनत्व वाले शहरीकरण, बढ़ते वैश्वीकरण, बदलती जीवन-शैली, मानव-वन्यजीव के मध्य बढ़ते सामाजिक और आर्थिक संबंधों के कारण मनुष्यों में जूनोटिक रोगों का संचरण देखने को मिलता है।
    • चूंँकि अधिकांश मामले पर्यावरण में मनुष्य की बदलती भूमिका से उत्पन्न कारणों में अंतर्निहित होते हैं इसलिये ऐसे कारणों की पहचान करके उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।

WHO द्वारा वैश्विक आपातकालीन घोषणा के मामले में अचानक फैले प्रकोप से निपटने हेतु स्थापित क्षमता के साथ प्रोटोकॉल को अपनाना।

  • अनुसंधान और विकास हेतु निवेश वृद्धि: मानव जीनोम परियोजना, जैव अवसंरचना जैसे जैव प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से अविकसित देशों के सार्वजनिक संस्थानों में विकसित देशों द्वारा सहायता और सहयोग प्रदान करना।
  • प्रभावी निगरानी: मज़बूत रोग निगरानी प्रणाली को अपनाना इसमे डेंगू के मामलों को कम करने में दिल्ली में किये गए कार्य , कानूनों को सख्ती से लागू करना, विशेष रूप से वन्यजीव, पर्यावरण और स्वास्थ्य से संबंधित।
  • आकस्मिक निधि जैसी आपातकालीन स्थितियों से निपटने हेतु विशेष संसाधनों का आवंटन।

निष्कर्ष

हालांँकि वायरल का प्रकोप मानव निर्मित आपदाओं का रूप ले सकता है। इस तरह की स्थितियों से निपटने हेतु संक्रमण के बिंदु और गैर-बिंदु दोनों ही स्रोतों की पहचान कर मनुष्य की स्वयं की क्षमता को प्रबंधित किया जाना चाहिये जिसके परिणामस्वरूप ऐसी आपदाएंँ उत्पन्न होती हैं क्योंकि उनमें से अधिकांश आपदाएँ मनुष्य द्वारा स्वयं के निर्मित पारिस्थितिकी तंत्र के कारण उत्पन्न होती हैं जिन्हें समय रहते कम किया जा सकता है।