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23 Dec 2020
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
मशीनों को नैतिकता सिखाना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि मानव औसत दर्जे की मैट्रिक्स में नैतिकता को व्यक्त नहीं कर सकता जो कि कंप्यूटर के लिये संसाधित करना आसान है। इस संदर्भ में मशीन नैतिकता और इसके नैतिक प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
दृष्टिकोण
- मशीन नैतिकता का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
- मशीन नैतिकता के प्रश्नों से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालिये।
- संभावित प्रश्नों को हल करने हेतु सुझाव दीजिये।
परिचय
- मशीन एथिक्स एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो यह समझाने की कोशिश करता है कि कैसे मशीनों का निर्माण किया जाता है, किस प्रकार वे अपने द्वारा किये गए कार्यों के नैतिक प्रभावों पर विचार करती हैं और तदनुसार कार्य करती हैं।
- मशीन नैतिकता यह सुनिश्चित करने से संबंधित है कि मानव उपयोगकर्त्ताओं और शायद अन्य मशीनों के प्रति मशीनों का व्यवहार नैतिक रूप से स्वीकार्य है।
प्रारूप
मशीनों को नैतिकता सिखाना कठिन है क्योंकि मानव औसत दर्जे की उस मैट्रिक्स नैतिकता को व्यक्त नहीं कर सकता जिसे कंप्यूटर द्वारा आसानी से संसाधित किया जा सकता है। इस प्रकार यह चुनौती स्वीकृत निर्धारित सामाजिक अपेक्षाओं तक पहुंँच सुनिश्चित करती है। नैतिक दुविधा के मामले में मानव विस्तृत मात्रात्मक गणनाओं के बजाय प्रासंगिक स्वाभाविक बुद्धि पर भरोसा करता है। दूसरी ओर, मशीनों को स्पष्ट और वस्तुनिष्ठ मैट्रिक्स की आवश्यकता होती है जिसे स्पष्ट रूप से मापा और अनुकूलित किया जा सकता है।
- ओटोमेटिक मशीनों की संभावना: स्वायत्त/ओटोमेटिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त मशीनों के प्रति मनुष्यों का डर उन चिंताओं के कारण उत्पन्न होता है कि क्या ये मशीनें नैतिक रूप से व्यवहार करने में सक्षम होंगी। क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता शोधकर्त्ताओं को स्वायत्त बुद्धिमत्त मशीनों की तरह कुछ भी विकसित करने की अनुमति दी जा सकती है, चाहे मशीनों द्वारा किये जाने वाले अनैतिक व्यवहार के खिलाफ सुरक्षित मानदंड निर्धारित न हो।
- नैतिक सापेक्षतावाद: मशीन की व्यवहार्यता के साथ ही एक दार्शनिक चिंता यह भी है कि क्या इनके लिये एकल स्वीकार्य नैतिक मानक है। ऐसा विश्वास है कि नैतिकता समाज या व्यक्ति सापेक्ष होती है। इस प्रकार एक सार्वभौमिक नैतिक संहिता का विकास विफल होने की संभावना नहीं बल्कि चुनौती है कि क्या मशीन नैतिकता को उस समाज के अनुरूप बनाना सुनिश्चित किया जा सकता है जहांँ यह कार्य कर रही है।
- दोहरे प्रभाव का सिद्धांत: दोहरे प्रभाव के सिद्धांत के अनुसार, जान-बूझकर नुकसान पहुंँचाना गलत है, भले ही वह अच्छा क्यों न हो। इस प्रकार जबकि संभावित दुविधाओं को हल करने के लिये जान-बूझकर नुकसान पहुंँचाने हेतु मशीनों और शिक्षण मशीनों में नैतिक मूल्यों को कूटबद्ध करना दोहरे प्रभाव के सिद्धांत द्वारा उठाए गए मुद्दों को जन्म देगा।
- रूढ़िवादिता: अपनी सीमित प्राथमिकताओं के आधार पर व्यक्तियों और सामाजिक समूहों में रूढ़िवादिता का एक अलग खतरा है।इस प्रकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त मशीनों लिंग, जाति, धर्म या अन्य सामाजिक पहचानकर्ताओं के आधार पर सामाजिक पूर्वाग्रहों और स्थायी भेदभाव को समाप्त कर सकती है।
सुझाव
- नैतिक व्यवहार को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना: एआई शोधकर्त्ताओं और नैतिकतावादियों द्वारा नैतिक मूल्यों को मात्रात्मक मापदंडों के रूप में तैयार करने की आवश्यकता है। उन्हें उचित नैतिक मानकों तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये नैतिक सापेक्षतावाद के मुद्दों को भी समझने की आवश्यकता है।
- प्रासंगिक डेटा संग्रह और विश्लेषण: इंजीनियरों को एआई एल्गोरिदम में उचित रूप से प्रशिक्षित करने के लिये स्पष्ट नैतिक उपायों पर पर्याप्त डेटा एकत्र करने की आवश्यकता है। मॉडलों को प्रशिक्षित करने के लिये पर्याप्त निष्पक्ष डेटा की आवश्यकता है।
- एआई सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाना: नीति निर्माताओं को नैतिकता के संबंध में एआई निर्णयों के लिये दिशा-निर्देशों को और अधिक पारदर्शी बनाने की ज़रूरत है, खासकर नैतिक मैट्रिक्स और परिणामों के संबंध में।
निष्कर्ष
- मशीनों को नैतिक व्यवहार करने में स्वाभाविक रूप से सक्षम नहीं माना जा सकता है। मनुष्य को उन्हें सिखाना चाहिये कि नैतिकता क्या है? इसे किस प्रकार मापा और अनुकूलित किया जा सकता है?
- जैसे-जैसे मशीन समाज में बुद्धिमत्ता का उपयोग बढ़ता है, लोगो में निष्क्रियता का स्तर बढ़ जाता है जो लाखों लोगों के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
इस प्रकार वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और नीति निर्माताओं को इस उभरते हुए क्षेत्र में तीव्र गति से कार्य करने की आवश्यकता है।