भारत में आंतरिक प्रवास/प्रव्रजन के कारणों एवं संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए आंतरिक प्रवास के संदर्भ में एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।(250 शब्द)
30 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भारतीय समाज
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
दृष्टिकोण:
- प्रवास को परिभाषित करते हुए इसके प्रकार बताएँ।
- प्रवास के कारण मिलने वाले लाभों को बताते हुए प्रवास के समय प्रवासियों के समक्ष उत्पन्न होने वाले मुद्दों को सूचीबद्ध कीजिये।
- एक राष्ट्रीय प्रवासन नीति पर चर्चा करते हुए बताएँ कि यह किस प्रकार प्रवास से संबंधित मुद्दों का समाधान करने में सहायक होगी।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
- प्रवास एक स्थान से दूसरे स्थान तक लोगों की आवाजाही है। यह एक छोटी या लंबी दूरी के लिये, अल्पकालिक या स्थायी, स्वैच्छिक या कारणवश या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो सकता है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 के अनुसार, वर्ष 2011 से 2016 तक पिछले पांँच वर्षों में हर वर्ष औसतन नौ मिलियन लोगों द्वारा शिक्षा या कार्य के लिये भारत के राज्यों के बीच पलायन किया गया है।
प्रतिकर्ष एवं अपकर्ष कारक:
- अपकर्ष (Pull) कारक प्रवास के संदर्भ में एक विशेषता या घटना है जो किसी व्यक्ति को दूसरे क्षेत्र में जाने के लिये आकर्षित करती है।
- अपकर्ष कारकों में उस क्षेत्र में बेहतर अवसर जैसे कि शैक्षिक, नौकरी की संभावनाएंँ, जीवन की उच्च गुणवत्ता, सुरक्षा, स्वतंत्रता इत्यादि शामिल हैं। प्रवास के मुख्य कारकों में रोज़गार एवं विवाह शामिल हैं।
- प्रतिकर्ष (Push) कारक वे हैं जो लोगों को प्रतिकूल भौगोलिक स्थितियों के कारण अन्य स्थानों पर प्रतिस्थापित करते हैं जैसे-युद्ध, अकाल, प्राकृतिक खतरे जैसे- भूकंप, बवंडर और तूफान, जीवन के लिये खतरा, दमनकारी राज्य, नौकरी या शैक्षणिक सुविधा, जीवन के लिये कठोर स्थिति इत्यादि ।
- उग्रवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद और उग्रवादी समूहों द्वारा लोगों को घरों से बाहर निकलने के लिये बाध्य किया जाता है।
प्रवास के लाभ:
- उत्पादन लागत में कमी, मानव संसाधनों की उपलब्धता, बढ़ती उत्पादकता, उपभोक्ता के आकार और पूंजी बाजार के कारण इष्ट प्रदेश को प्रवासियों की वजह से लाभ प्राप्त होता है।
- साथ ही ये अपने मूल स्थान, पीछे छूटे एवं घरेलू लोगों को प्रेषण (Remittances), सूचना और नवाचारों के प्रवाह से के माध्यम से लाभान्वित करते हैं।
प्रवास से संबंधित मुद्दे:
- नौकरियों की निम्न गुणवत्ता : शहरी गंतव्यों जैसे- निर्माण, होटल, कपड़ा, विनिर्माण, परिवहन, सेवा, घरेलू कार्य आदि प्रमुख क्षेत्रों में प्रवासियों के समक्ष कार्य के बदले कम भुगतान, खतरनाक एवं अनौपचारिक क्षेत्रों में नौकरियों की उपलब्धता विद्यमान रहती है।
- रोज़गार तक पहुंँच: कुछ राज्यों द्वारा रोज़गार के संबंध में अधिवास आवश्यकताओं की शुरुआत की गई है। इससे प्रवासियों को नुकसान होता है।
- आवास और स्वच्छता: आवास से संबंधित प्रमुख मुद्दों में खराब आपूर्ति, स्वामित्व एवं किराये की समस्या शामिल है। अल्पकालिक प्रवासियों को छोटी अवधि के कारण आवास सुविधा संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है इसलिये प्रवासियों को अनचाही परिस्थितियों में भीड़-भाड़ वाली कॉलोनियों में रहना पड़ता है।
- शोषण और धमकी: सामान्यत: प्रवासियों का स्थानीय आबादी द्वारा शोषण किया जाता है जिन्हें सामाजिक रूपरेखा, रूढ़िवादिता, दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है तथा बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के शोषणकारी परिस्थितियों में कार्य करने के लिये बाध्य किया जाता है। उदाहरण के लिये, गुजरात प्रवासी संकट।
- लाभ तक पहुँच में कमी: एक स्थान पर पंजीकृत प्रवासियों को प्राप्त होने वाले लाभ उन्हें अन्य स्थान पर जाने के कारण प्राप्त नहीं होते जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पात्र लोगों के संदर्भ में सत्य है। पीडीएस के मिलने राज्य सरकारों द्वारा जारी राशन कार्ड की आवश्यकता होती है जो अन्य राज्यों द्वारा वहनीय नहीं है।
राष्ट्रीय प्रवास नीति की आवश्यकता:
- प्रवास से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये प्रवास/ प्रव्रजन के संदर्भ में एक राष्ट्रीय नीति का होना आवश्यक है।
- राष्ट्रीय नीति प्रवासियों की कार्य करने की स्थिति, उनके वेतन से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में मदद करेगी।
- यह प्रवासीयों श्रमिकों के लिये उन क्षेत्रों में सामाजिक सुरक्षा और चिकित्सा लाभ सुनिश्चित करने में मदद करेगी जहांँ वे प्रवास करते हैं।
- यह अपने मूल स्थान पर कानूनी और सामाजिक अधिकारों (जैसे पीडीएस) के तहत प्राप्त होने वाले लाभों जैसे- पीडीएस तक पहुंँच इत्यादि मुद्दों को संबोधित करने में सहायक होगी।
निष्कर्ष:
इस प्रकार एक राष्ट्रीय नीति प्रवासियों के समक्ष न केवल आवास की समस्या का समाधान करने में सहायक होगी बल्कि बुनियादी सेवाओं जैसे- पानी की आपूर्ति, बिजली और स्वच्छता तक पहुंँच सुनिश्चित करेगी।