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‘सूचना और संचार प्रौद्योगिकियाँ (ICTs) विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिये नए अवसर और नई चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं।’ आर्थिक समावेशन की स्थिति प्राप्त करने और सामाजिक परिवर्तन लाने में ICT की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

10 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण

  • आईसीटी, ई-गवर्नेंस और समावेशी विकास को आपस में जोड़ते हुए परिभाषित कीजिये।
  • सामाजिक-आर्थिक आयामों के साथ आईसीटी और ई-पहल की विशेषताओं पर चर्चा कीजिये।
  • आईसीटी क्षेत्र के समक्ष नई उभरती चुनौतियों का वर्णन कीजिये।
  • नागरिक-केंद्रित शासन की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष दीजिये।

Introduction

प्रस्तावना:

  • ई-गवर्नेंस सरल, नैतिक, जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी ’(स्मार्ट) शासन व्यवस्था को स्थापित करने के लिये सरकारी कामकाज की प्रक्रियाओं में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का अनुप्रयोग है।
  • एक स्मार्ट गवर्नेंस मॉडल में समावेशी विकास को बढ़ावा दिया चाहिये जो सभी वर्गों के लिये अवसर पैदा करता हो और सामाजिक समृद्धि के लाभांश को वितरित करे। इस प्रकार ई-गवर्नेंस सभी के सामाजिक-आर्थिक और सतत् विकास में मदद करता है।

E-Governance

Body

प्रारूप:

भारतीय समाज में परिवर्तन लाने एवं आर्थिक समावेशिता के संदर्भ में ई-गवर्नेंस के निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं:

आर्थिक आयाम

  • पुनर्जीवित कृषि क्षेत्र:
    • भूमि राशि पोर्टल के माध्यम से भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण।
    • भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) ने टिकाऊ, आर्थिक और पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके उत्पादकता में सुधार करने और किसानों को सशक्त बनाने में मदद की है।
  • वित्तीय साक्षरता और समावेश:
    • प्रत्येक परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाने के उद्देश्य से ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षर अभियान’ की शुरुआत की गई है।
    • आधार सक्षम भुगतान प्रणाली बैंकिंग सेवाओं तथा डिजिटल भुगतान की सुविधा प्रदान करती है।
    • डिजिटल भुगतान: कई नवीन डिजिटल भुगतान उपकरण, जैसे BHIM-UPI, भारत क्यूआर कोड, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह आदि को लागू किया गया है।
  • गुणवत्तापूर्ण रोज़गार:
    • कई सरकारी एप्लीकेशन और डेटाबेस के साथ बैकों के स्तर पर एकीकरण के माध्यम से सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने के लिये उमंग मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग किया जा रहा है।
    • ईपीएफओ रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण: पेंशन राशि का डिजिटलीकरण लोगों को इस बात के प्रति आश्वस्त करता है कि उनके द्वारा फंड राशि का उपयोग करना सुरक्षित हैं तथा यह फंड की निगरानी करने का आसान एवं सुरक्षित तरीका भी है।

सामाजिक आयाम

  • सस्ती शिक्षा:
    • राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल एक एकल ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म के रूप में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से आवेदन जमा करने, सत्यापन करने तथा निधियों के वितरण की सुविधा के लिये कई छात्रवृत्ति योजनाओं को एकीकृत करता है।
    • स्वयं (SWAYAM) एक बड़ा ऑनलाइन ओपन कोर्स प्लेटफॉर्म है जिसके माध्यम से 2000 से अधिक कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है।
    • राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क ज्ञान के साझाकरण और सहयोगी अनुसंधान की सुविधा के लिये उच्च गति के डेटा संचार नेटवर्क के साथ उच्च शिक्षण और अनुसंधान के सभी संस्थानों को आपस में जोड़ने के लिये कार्यरत्त है।
  • गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल:
    • ई-अस्पताल: अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली के 20+ मॉड्यूल अर्थात् रोगी पंजीकरण, आईपीडी, फार्मेसी, ब्लड बैंक, आदि के लिये अस्पतालों में स्वचालन की सुविधा प्रदान करता है।
    • `मेरा अस्पताल 'आवेदन: रोगियों को अस्पतालों में सेवा की गुणवत्ता पर प्रतिक्रिया प्रदान करने और अंततः रोगी द्वारा संचालित, उत्तरदायी और जवाबदेह स्वास्थ्य प्रणाली स्थापित करने में सहायक है।
  • उपेक्षित वर्गों को शामिल करना:
    • नॉन विजुअल डिस्प्ले एक्सेस (एनवीडीए) एक ओपन सोर्स स्क्रीन रीडिंग सॉफ्टवेयर है। यह सात भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है जो सेवाओं तक पहुँचने के लिये अलग तरह से सुविधा प्रदान करता है।
    • जीवन प्रमाण सुविधा पेंशनभोगियों को अपना जीवन प्रमाण पत्र डिजिटल रूप से कहीं से भी, कभी भी आधार शामिल करने की सुविधा देता है।
  • सहभागी शासन की सुविधा प्रदान करना/नागरिकों की शिकायतों का समाधान करना:
    • MyGov पोर्टल पर नागरिक, सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के संबंध में अपने विचार साझा कर सकते हैं।
    • नागरिकों की शिकायतों का समाधान करने और वास्तविक समय में प्रौद्योगिकी सेवाओं का लाभ उठाने के लिये आंध्र प्रदेश सरकार की रियल टाइम गवर्नेंस पहल, नागरिक शिकायतों को सुलझाने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, घटनाओं और मौसम तथा जलवायु संबंधी घटनाओं की निगरानी करने की दिशा में कार्यरत्त है।
    • इस प्रकार, ई-गवर्नेंस आर्थिक समावेशन की सुविधा प्रदान कर भारत में सामाजिक परिवर्तन लाने में मददगार साबित हो सकता है।
  • आईसीटी क्षेत्रों के समक्ष उभरती चुनौतियाँ:
    • साइबर सुरक्षा: साइबर सुरक्षा की चुनौती कही अधिक है।प्रतिदिन साइबर हमले के मामले बढ़ रहे हैं, साथ ही लाखों साइबर रोज़गार की संभावनाएँ भी बनी हुई हैं। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ पर्याप्त आईटी पेशेवरों की कमी बनी हुई है साथ ही एक साइबर सुरक्षा कौशल अंतराल भी बना हुआ हैं जिसे आईटी के समक्ष सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है।
    • खर्च करने में गिरावट: भविष्य में कंपनियों द्वारा आईटी परियोजनाओं के खर्च में कमी किये जाने के कारण वैश्विक स्तर पर आईटी और आउटसोर्सिंग कंपनियों के समक्ष चुनौतियांँ उत्पन्न होगी। खासकर यात्रा और पर्यटन, आतिथ्य और विमानन जैसे क्षेत्रों में, जिसमें राजस्व प्राप्ति में 80 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिली है। कम-प्रभावित क्षेत्र, जैसे बैंक और वित्तीय सेवा फर्म स्वंय को नकदी-संरक्षण मोड में बनाए हुए हैं जिससे नई आईटी परियोजनाओं के निवेश में विलंब हो रहा है।

विश्लेषिकी और डेटा प्रबंधन: साइबर सुरक्षा और क्लाउड कंप्यूटिंग के अलावा यह आईटी विभागों के लिये सबसे बड़ा कौशल अंतराल क्षेत्र है। संगठन नए डेटा का प्रबंधन करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2025 तक वैश्विक स्तर पर कुल डेटा का संग्रह 163 ज़ेटाबाइट्स (जेडबी) हो जायएगा जो वर्ष 2016 के कुल डेटा का 10 गुना होगा। नया डेटा लगातार जमा हो रहा है जिसके समक्ष भंडारण और सुरक्षा जोखिम बना हुआ है अत: डेटा को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत में सुशासन की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्यों से डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने में मददगार साबित हुआ है। किसी भी ई-गवर्नेंस पहल का उद्देश्य परिवर्तनकारी, सस्ती और टिकाऊ तकनीक के साथ नागरिक भागीदारी और शक्तीकरण सुनिश्चित करना होना चाहिये। इस प्रकार वर्तमान वैश्विक ज़रूरतों एवं समय को ध्यान में रखते हुए ’अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ के आदर्श वाक्य को प्राप्त करने के लिये डिजिटल शक्तीकरण आवश्यक है।