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  • 05 Dec 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    "अमेरिका और चीन के मध्य बढ़ता तनाव अमेरिका और यूएसएसआर के मध्य हुए शीत युद्ध के तनाव के समान हैं।" नए शीत युद्ध के कारणों को बताते हुए अस्थिरता के इस समय में भारत की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    दृष्टिकोण:

    • अमेरिका और यूएसएसआर के पुराने शीत युद्ध के अर्थ को परिभाषित कीजिये।
    • दोनों के बीच नए शीत युद्ध और समानता की व्याख्या कीजिये।
    • नए शीत युद्ध के कारणों पर चर्चा कीजिये।
    • भारत की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय

    • चीन जल्द ही विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है। यह विकास प्रौद्योगिकी, नवाचार और व्यापार पर आधारित है, जिसने अमेरिकी सैन्य श्रेष्ठता को संतुलित करने की मांग की है और दोनों देशों के बीच रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता को बढ़ावा दिया है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए कई विशेषज्ञों ने अमेरिका और USSR के बीच शीत युद्ध के सामान एक नए शीत युद्ध की चेतावनी दी है।
    • वर्ष 2017 में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति ने चीन को ‘एक संशोधनवादी शक्ति’ कहा जो ‘अमेरिकी सुरक्षा और समृद्धि को नष्ट करने’ तथा ‘अमेरिकी मूल्यों एवं हितों के लिये एक विश्व विरोधात्मक को आकार देने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा चीन कई मोर्चों पर अमेरिकी आधिपत्य को कम करने में सक्रिय रहा है। COVID-19 महामारी ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और खराब कर दिया है। इस प्रकार चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच यह नया शीत युद्ध 21वीं सदी का एक प्रमुख भू-राजनीतिक खतरा है।

    प्रारूप

    एक नए शीत युद्ध का संकेत देने वाली घटनाएँ

    • चीन, अमेरिका के वर्चस्व वाले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन के लिये एक वैकल्पिक प्रशासन तंत्र के तौर पर उभरा है, जिसमें बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक जैसे संस्थान, न्यू डेवलपमेंट बैंक के आकस्मिक आरक्षित समझौते (CRA) आदि शामिल हैं।
    • चीन की बढ़ती मुखरता को नियंत्रित करने के लिये अमेरिका ने अपनी 'एशिया पॉलिसी’ के तहत एक नई पहल 'इंडो पैसेफिक' की शुरुआत की है।
      • हाल ही में अमेरिका ने चीन को शामिल किये बिना G7 को G-11 तक विस्तारित करने का प्रस्ताव रखा।
    • दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती "सलामी स्लाइसिंग" रणनीति, पहले भूमि पुनर्ग्रहण और फिर अतिरिक्त-क्षेत्रीय दावे के विस्तार के लिये कृत्रिम द्वीपों का निर्माण किये जाने पर अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा तीखी आलोचना की गई।
      • यह संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा कैरिबियन पर प्रभुत्व जमाने के समान है, जिसने उसे सामरिक रूप से अटलांटिक महासागर को नियंत्रित करने में सक्षम बनाया और इस प्रकार इसने दो विश्व युद्धों और एक शीत युद्ध में बलों के संतुलन को प्रभावित किया।
    • अमेरिका-चीन का टकराव व्यापार युद्ध से लेकर 5 जी दूरसंचार तथा करेंसी वार तक कई आर्थिक मोर्चों पर है।
      • इसके अलावा अमेरिका और विकासशील देशों के बीच दाता-प्राप्तकर्ता संबंध COVID-19 महामारी के बीच चीन के साथ कमज़ोर हो गए हैं, जिसके कारण ‘दान कूटनीति’ का एक नया चरण शुरू हो रहा है।
    • इसके अलावा ताइवान के लिये अमेरिकी समर्थन को चीन अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में मानता है।

    पूर्व शीत युद्ध में मतभेद:

    अमेरिका और सोवियत संघ के मध्य हुए शीत युद्ध तथा अमेरिका और चीन के मध्य शीत युद्ध के बीच कई महत्त्वपूर्ण अंतर हैं।

    • कोई वैचारिक संघर्ष नहीं: अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध दो विरोधी विचारधाराओं, पूंजीवाद बनाम साम्यवाद के मध्य एक लड़ाई थी, जबकि अमेरिका और चीन के मध्य ऐसा कोई वैचारिक संघर्ष नहीं है।
    • कोई छद्म संघर्ष नहीं: अमेरिका और सोवियत संघ के मध्य शीत युद्ध छद्म संघर्ष से संबंधित था जैसे कि क्यूबा मिसाइल संकट 1962, सोवियत-अफगान युद्ध 1979-89 आदि।
      • हालाँकि अब तक अमेरिका और चीन के मध्य ऐसा कोई युद्ध नहीं हुआ है।
    • बहु-ध्रुवीय विश्व: वर्तमान में विश्व भी द्विध्रुवीय की स्थिति में नहीं है। यहाँ रूस, भारत और जापान जैसे देश हैं, जो संप्रभु राज्यों के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि उनके पास अमेरिका या चीन के साथ गठबंधन करने या न करने का विकल्प है।
    • आर्थिक अन्योन्याश्रय: अमेरिका और सोवियत संघ के विपरीत, एक उच्च वैश्विक दुनिया में निवेश तथा बाज़ारों के माध्यम से अमेरिका एवं चीन की अर्थव्यवस्थाओं को निकटता से एकीकृत किया गया है।

    भारत की भूमिका

    भारत एक बढ़ती वैश्विक शक्ति है और इसके महत्त्व को देखते हुए अमेरिका और चीन दोनों ने भारत को अपने शिविर में आकर्षित करने का प्रयास किया है। अमेरिका के विदेश नीति विशेषज्ञों का तर्क है कि भारत शीत युद्ध में अमेरिका का एक प्राकृतिक सहयोगी है। दूसरी ओर भारत में चीनी राजदूत ने "मानव जाति के लिये एक साझा भविष्य" के साथ ही "एक साथ नया अध्याय" लिखने का सुझाव दिया है। इस संदर्भ में:

    • भारत वसुधैव कुटुम्बकम के तत्त्वावधान में नए बहुपक्षवाद को बढ़ावा दे सकता है, जो समान स्थायी विकास के लिये आर्थिक व्यवस्था और सामाजिक व्यवहार दोनों के पुनर्गठन पर निर्भर करता है।
    • भारत को वैश्विक शक्तियों के साथ गहन कूटनीति में हिस्सा लेना चाहिये ताकि एशियाई सदी को शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और वैश्विक हित के संदर्भ में परिभाषित किया जा सके।
    • इसके अलावा भारत को यह स्वीकार करना चाहिये कि राष्ट्रीय सुरक्षा अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर और अंतरिक्ष में तकनीकी श्रेष्ठता पर निर्भर करती है, न कि महँगे पूंजीगत उपकरणों पर।
      • इसप्रकार, भारत को महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना चाहिये।

    निष्कर्ष:

    चूँकि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (गैर-स्थायी सीट) में शामिल हुआ है और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करता है तथा वर्ष 2022 में G-20 की मेज़बानी करेगा, यह विकास मानवता, निष्पक्षता तथा समानता पर आधारित एक नए वैश्वीकरण मॉडल का प्रस्ताव करने हेतु भारत को नेतृत्त्वकारी की भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करेगा ।

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