बढ़ते वैश्वीकरण ने धनशोधन/मनी लॉन्ड्रिंग को एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बना दिया है। इस कथन की व्याख्या कीजिये तथा इस समस्या के समाधान हेतु भारत द्वारा किये गए नीतिगत हस्तक्षेपों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
18 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आंतरिक सुरक्षा
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
दृष्टिकोण:
- मनी लॉन्ड्रिंग और वैश्वीकरण के मध्य संबंध को ध्यान में रखते हुए उत्तर दीजिये।
- वैश्वीकरण किस प्रकार मनी लॉन्ड्रिंग को प्रभावित करता है?
- सरकार द्वारा हाल ही में किये गए नीतिगत प्रयासों का परीक्षण कीजिये।
- उपयुक्त सुझाव दीजिये।
परिचय:
- काले धन को वैध बनाना/धन शोधन/मनी लॉन्ड्रिंग को आय से लाभ प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले अपराधियों से समझौता किये बिना अवैध लाभ को छिपाने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- वैश्विक बाज़ारों में कई उल्लेखनीय परिवर्तनों (यानी, बाज़ारों के वैश्वीकरण) के परिणामस्वरूप मनी लॉन्ड्रिंग एक वैश्विक समस्या बन गई है।अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि, वैश्विक वित्तीय प्रणाली का विस्तार, अंतर्राष्ट्रीय यात्रा में अवरोधों का कम होना एवं संगठित अपराध में वृद्धि ने अवैध आय को वैध आय में परिवर्तित करने के लिये और अधिक साधन उपलब्ध कराए हैं।
प्रारूप:
- वैश्वीकरण का मनी लॉन्ड्रिंग पर प्रभाव: वित्तीय जानकारी, प्रौद्योगिकी और संचार का तीव्र विकास तीव्रता ओर आसानी से कहीं भी पैसे ले जाने की अनुमति प्रदान करता है इस कारण कारण मनी-लॉन्ड्रिंग की समस्या का समाधान करना पहले से कहीं ज्यादा ज़रूरी हो गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली में जितना अधिक अवैध पैसा जमा किया जाता है उसके स्रोत की पहचान करना उतनी ही कठिन है क्योकि मनी-लॉन्ड्रिंग की गुप्त प्रकृति तथा चक्रीय प्रक्रिया जिसके द्वारा अवैध रकम को वैध रकम में परिवर्तित किया जाता है के चलते कुल राशि का अनुमान लगाना मुश्किल है।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में ऐसे कई विकास किये गए हैं। इसी क्रम में तीन एफ(Three F's) अर्थात खोज (Finding), फ्रीजिंग( Freezing) और दंड (Forfeiting) के रूप में प्राप्त आय और संपत्ति को जब्त कर लिया जाता है।
समस्या के समाधान के लिये भारत सरकार द्वारा हालिया नीतिगत प्रयास-
वैश्विक स्तर पर:
- वियना कन्वेंशन: इस कन्वेंशन में ड्रग तस्करी से प्राप्त धन की वैधता के अपराधीकरण करने के लिये सदस्य राज्यों को बाध्य करके मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के प्रयासों के लिये आधार तैयार किया। यह जांँच में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और मनी लॉन्ड्रिंग के लिये लागू सदस्य राज्यों के बीच अपराधियों के प्रत्यर्पण/अदला बदली को सुनिश्चित करता है।
- वित्तीय कार्रवाई कार्य बल : भारत FATF का पूर्ण सदस्य देश है। यह भारत को आतंकवाद से लड़ने, आतंकवादी धन का पता लगाने और मनी लॉन्ड्रिंग एवं आतंकवादी वित्तपोषण जैसे अपराधों की सफलतापूर्वक जांँच करने और मुकदमा चलाने की शक्ति एवं अधिकार प्रदान करता है।
- बेसल समिति के सिद्धांत: यह चार बुनियादी सिद्धांतों (ग्राहक की पहचान, कानूनों का पालन, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग और वक्तव्य का पालन करना) के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल लोगों को बैंकिंग प्रणाली की सुविधा देने से इंकार करता है।
राष्ट्रीय स्तर पर:
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 को वर्ष 2005, 2009, 2012 और 2018 में संशोधित किया गया: इस अधिनियम के नियम ग्राहकों की पहचान को सत्यापित करने, रिकॉर्ड रखने और निर्धारित रूप में जानकारी प्रस्तुत करने के लिये बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और बिचौलियों के दायित्वों को निर्धारित करते हैं। जिसमें इनके द्वारा -
- मनी लॉन्ड्रिंग को रोकें और नियंत्रित करें।
- मनी लॉन्ड्रिंग द्वारा संपत्ति को जब्त करना और छीनना।
- भारत में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े किसी अन्य मुद्दे का निपटान शामिल है।
- वित्तीय खुफिया इकाई - भारत (FIU-IND):
- FIU-IND भारत सरकार की एक केंद्रीय एजेंसी है, जो देश के मनी लॉन्ड्रिंग-रोधी कानूनों के अनुसार, वित्तीय जानकारी प्राप्त करती है तथा प्राप्त जानकारी का विश्लेषण एवं प्रक्रिया एवं तथा मनी-लॉन्ड्रिंग विरोधी प्रयासों का समर्थन करने के लिये उपयुक्त जानकारी को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों को प्रसारित करती है।
- काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्तियांँ) और कर अधिनियम, 2015 का प्रभाव: अघोषित विदेशी आय और संपत्ति के रूप में विद्यमान काले धन के खतरे और इस प्रकार की आय एवं परिसंपत्तियों से निपटने के लिये यह प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
- बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन विधेयक, 2015: इसका उद्देश्य बेनामी लेन-देन की परिभाषा का विस्तार कर बेनामी लेन-देन में संलिप्त व्यक्ति पर लगाए जाने वाले जुर्मानें का निर्धारण करना है।
- 2013 के आम बीमाकर्त्ताओं के लिये आतंकवाद निरोधी (एएमएल / सीएफटी) -विरोधी धन-शोधन / काउंटर फाइनेंसिंग: प्रत्येक बीमा कंपनी को अपने एएमएल/ सीएफटी कार्यक्रम में नीतियों, प्रक्रियाओं और आंतरिक नियंत्रणों/ऑडिट की स्थापना तथा उनका कार्यान्वयन करना होता है। इन दिशा-निर्देशों के तहत बीमाकर्त्ताओं को अपने लेन-देन के रिकॉर्ड को बनाए रखना भी आवश्यक है।
आगे की राह:
- आम लोगों को समस्या के बारे में अधिक जागरूक करना- गरीब और अनपढ़ लोग, बैंकों में लंबी कागज़ी कार्रवाई करने के बजाय, हवाला प्रणाली को प्राथमिकता देते हैं जिसे रोके जाने की ज़रूरत है।
- केवाईसी प्रक्रिया कोसही करके केवाईसी नॉर्म्स के उद्देश्य को पूरा किया जाना चाहिये।
- व्यापक प्रवर्तन एजेंसियों की स्थापना की जानी चाहिये।
- कैशलेस डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।