भारत के लिये राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के महत्त्व पर चर्चा करते हुए इससे जुड़ी चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
16 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
दृष्टिकोण:
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजना का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में इसके महत्व पर चर्चा कीजिये।
- परियोजना से संबंधित चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- हाल ही में, सरकार द्वारा राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के संदर्भ में वर्ष 2019-2025 के लिये टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट जारी की गई है। जिसके अनुसार, भारत में बुनियादी ढाँचे के क्षेत्रों में वर्ष 2020 से 2025 के दौरान कुल परियोजना का पूंजीगत व्यय 102 लाख करोड़ रुपए से अधिक अनुमानित किया गया है।
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन में आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांँचा परियोजनाएंँ शामिल हैं जिनमें भारत के बुनियादी ढांँचे का अनुमानित पूंजीगत व्यय लगभग 70% है। इसमें ऊर्जा (24%), सड़क (19%), शहरी (16%) और रेलवे (13%) जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
प्रारूप:
राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन का महत्त्व:
समावेशी विकास: राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं पर एक अग्रगामी दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेगी जो रोज़गार सृजन , जीवनयापन के साधनों में सुगमता लाने तथा सभी तक बुनियादी ढाँचे की समान पहुँच सुनिश्चित करने में सहायक होगी इससे समावेशी विकास को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
विकास को प्रोत्साहन:
- यह अनुमानित है कि भारत को तीव्र विकास के लिये वर्ष 2030 तक बुनियादी ढाँचे में 4.5 ट्रिलियन डाॅलर का निवेश करने की आवश्यकता है। अतः राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन 4.5 ट्रिलियन डॉलर के निवेश का एक हिस्सा है।
- यह वर्ष 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डाॅलर के सकल घरेलू उत्पाद को प्राप्त करने के लिये वार्षिक अवसंरचना निवेश को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा।
- परियोजनाओं का समय पर कार्यान्वयन: राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन यह सुनिश्चित करेगी कि बुनियादी ढांँचा परियोजनाएँ सही तरीके से तैयार की गई हो तथा उनका क्रियान्वयन समय पर किया गया हो।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: यह कृषि और ग्रामीण बुनियादी ढांँचे को मज़बूती प्रदान करके कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी।
- यह भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, सड़कों और रेलवे के विस्तार द्वारा कनेक्टिविटी को और अधिक बढ़ायेगा।
- ऋण की उपलब्धता में वृद्धि: यह निजी स्रोतों में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये सरकारी स्रोतों के माध्यम से ऋण की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगा विशेष तौर पर ऐसे समय पर जब निजी निवेश की कमी हो।
- राजस्व आधार में सुधार: अच्छी तरह से विकसित बुनियादी ढांँचा आर्थिक गतिविधि के स्तर को बढ़ावा देता है तथा सरकार के राजस्व आधार में सुधार करके अतिरिक्त वित्तीय उत्सर्जन को सुनिशित करता है साथ ही उत्पादक क्षेत्रों में केंद्रित व्यय की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।
- मंदी पर नियंत्रण: बुनियादी ढांँचे में उच्च सरकारी खर्च की नीति अन्य क्षेत्रों में मांँग को बढ़ाती है जो मूल्यवान संपत्तियों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में अधिक वित्तीय प्रवाह को सुनिश्चित करती है।
चुनौतियांँ
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के संकट की स्थिति में ऋण की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती है। पूंजीगत व्यय (22%) में परिकल्पित निजी क्षेत्र की भागीदारी इसके कारण बड़े पैमाने पर प्रभावित हो सकती है।
- राज्य सरकारों की वित्तीय प्रतिबद्धताओं को खराब राजकोषीय स्थिति के कारण पूरा कर पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि वर्तमान में, 20 से अधिक राज्यों में पहले से ही ऋण-जीडीपी अनुपात 25% से अधिक है।
- बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं के पूरा करने के लिये भूमि अधिग्रहण एक बड़ी चुनौती है।
निष्कर्ष:
स्थायी आधार पर व्यापक और समावेशी विकास को प्राप्त करने की दृष्टि से गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांँचे की उपलब्धता एक आवश्यक शर्त है। यदि राजकोषीय समस्याओं से संबंधित चिंताओं को हल कर लिया जाता है तो राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन की वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में महत्त्वपूर्ण भूमिका रहेगी।