लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Be Mains Ready

  • 03 Dec 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    मध्ययुगीन भारत की ऐतिहासिक संरचनाएंँ जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने से संबंधित संरचनाओं की पूर्ण शृंखला को दर्शाती हैं। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    दृष्टिकोण

    • मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • उस समय निर्मित संरचनाओं की विविधता को सूचीबद्ध कीजिये।
    • इस बात का औचित्य सिद्ध कीजिये कि किस प्रकार उस समय निर्मित संरचनाएंँ रोजमर्रा के जीवन को प्रदर्शित करती हैं।

    परिचय:

    • मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला द्वारा उस समय की स्थानीय, क्षेत्रीय सांस्कृतिक परंपराओं, सामाजिक आवश्यकताओं, आर्थिक समृद्धि और धार्मिक व्यवहार को समायोजित किया गया।
    • भारतीय वास्तुकला स्वदेशी शैलियों और बाहरी/विदेशी प्रभावों का मिश्रण है जिसने इसे स्वयं की एक अनूठी विशेषता प्रदान की। मध्यकाल में भारतीय वास्तुकला में फारसी एवं स्वदेशी वास्तुकला शैलियों का मिश्रण देखा जा सकता है।
    • मंदिरों, मस्जिदों, तालाबों, कुओं, बाज़ारों सहित सार्वजनिक गतिविधियों के लिये संरचनाओं का निर्माण ज़रूरतों, कल्पनाशीलता, कारीगरों और श्रमिकों की क्षमताओं को समायोजित करने के उद्देश्य से किया गया था।

    प्रारूप:

    • 13वीं शताब्दी के दौरान भारत में तुर्की नागरिकों के आगमन के साथ ही फारस, अरब और मध्य एशिया की स्थापत्य वास्तुकला शैली की एक नई तकनीक का आगमन हुआ। इन शैलियों से निर्मित इमारतों की वास्तुकला विशेषताओं में गुंबद, मेहराब और मीनारें शामिल थीं। अत: समय के साथ भारतीय वास्तुकला के साथ इस्लामी शैली के मिश्रण से समकालिन विशेषताओं से युक्त इंडो-इस्लामिक वास्तुकला उभरकर सामने आई।
    • कई किलों को परिष्कृत रक्षा प्रणालियों के साथ निर्मित किया गया। इनमें से अधिकांश किलों में फसलों के भंडारण तथा जल संग्रहण के लिये सरल संरचनाएंँ तैयार की गई थी जिनमें सीढ़ीदार कुएँ, विस्तृत जलाशय और नालियांँ शामिल हैं।
      • उदाहरण के लिये- प्रसिद्ध श्रीरंगपट्टना किला, जिसे मैसूर, कर्नाटक में टीपू का महल भी कहा जाता है वर्ष 1537 में इंडो-इस्लामिक शैली में निर्मित किया गया था। इस शानदार किले को भारत का दूसरा सबसे मज़बूत किला माना जाता है।
    • समय के साथ दैनिक प्रार्थना के लिये मस्जिदें, जामा मस्जिद, मकबरें, दरगाहों, मीनारों, हम्मामों जैसे स्थापत्य भवन, बागीचे, मदरसे, कोस मीनार, आदि का निर्माण किया गया।
      • उदाहरण के लिये, दिल्ली की कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद और कुतुब मीनार में कलात्मक सुंदर नक्काशी कार्य देखने को मिलता है।
      • बीजापुर का गोल गुंबद और गोलकुंडा का किला मध्यकालीन स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण है।
      • कुछ मस्जिदों की दीवारों पर सजावट के लिये दीवारों पर इस्लामी सुलेख और हस्तलिपि में कुरान की आयतों को उकेरा गया। हैदराबाद में मक्का मस्जिद और दिल्ली की जामा मस्जिद में भारतीय मस्जिदों की इन विशेषताओं को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
    • शाही सदस्यों की यादों में कई भव्य मकबरों का निर्माण किया गया। उदाहरण के लिये- ताजमहल, आगरा में अकबर का मकबरा ,दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा, बीजापुर में मोहम्मद आदिल शाह का मकबरा इत्यादि।
    • बहते झरनों के साथ कश्मीर का निशात बाग, लाहौर का शालीमार बाग और पंजाब में पिंजौर गार्डन का निर्माण किया गया है।
    • राजाओं का महिमामंडन करने के लिये विस्तृत स्मारक वास्तुकला का निर्माण किया गया था। उदाहरण के लिये:
      • वर्ष 1571-72 में अकबर की गुजरात विजय के उपलक्ष मेंबुलंद दरवाज़े (शानदार प्रवेश द्वार) का निर्माण किया गया।
      • भारत के राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित विजय स्तम्भ एक भव्य विजय स्मारक है। मेवाड़ के राजा, राणा कुंभ द्वारा इस मीनार/बुर्ज का निर्माण करवाया गया था।
    • मध्ययुगीन भारत में मंदिर सामाजिक केंद्र थे जहाँ लोग एकत्र हुआ करते थे। ये नृत्य, संगीत और युद्ध की कलाओं के प्रमुख प्रशिक्षण स्थल थे जहाँ आने वाली पीढ़ियों को इन कलाओं मे पारंगत किया जाता था। उदाहरण के लिये तमिलनाडु स्थित चेन्नाकेशव मंदिर, कुंभेश्वर मंदिर इत्यादि।
    • मध्ययुगीन भारत में सीढ़ीनुमा कुओं या तालाबों का निर्माण किया गया जिनमें पानी तक पहुँचने के लिये सीढ़ियों का प्रयोग किया जाता है। वे एक बैलगाड़ी के साथ बहु-मंजिला तक हो सकते थे जिसमें चक्रों का उपयोग पानी को पहले या दूसरे तल पर पहुँचाने के लिये किया जाता था।
      • इस प्रकार के कुओं का निर्माण पश्चिमी भारत में सामान्य हैं तथा ये पाकिस्तान एवं भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य शुष्क क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं।
      • सीढ़ीनुमा कुओं का निर्माण काफी उपयोगी है, हालांँकि इनका महत्त्व वास्तुशिल्प के अलंकरण और मंदिर के तहखानों के रूप में भी हो सकता है।
      • मध्यकाल में बावड़ी के भी कुछ उदाहरण देखने को मिलते हैं जिनमें गुजरात स्थित रानी का वाव, राजस्थान में चाँद बावडी, दिल्ली में अग्रसेन की बावली इत्यादि शामिल है।

    निष्कर्ष:

    • इस प्रकार भारतीय मध्ययुगीन काल में सैन्य और रक्षात्मक संरचनाओं, शाही अदालतों, मस्जिदों, मंदिरों से लेकर ऐतिहासिक संरचनाओं तक में जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली संरचनाओं की एक पूर्ण शृंखला को देखा जा सकता है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2