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26 Nov 2020
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
वर्तमान संदर्भ में निम्नलिखित उद्धरण आपके लिये क्या मायने रखता है? (150 शब्द)
"पाप से घृणा करो, पापी से प्यार करो" - महात्मा गांधी
उत्तर
दृष्टिकोण:
- इस उद्धरण को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी की विचारधारा के बारे में बताएँ।
- दिये गए उद्धरण के नैतिक अर्थों को विस्तारित कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- महात्मा गांधी द्वारा प्रेम, शांति और करुणा के संदेश पर ज़ोर दिया गया। गांधी जी द्वारा प्रतिद्वंद्वी के प्रति भी प्रेम और करुणा की भावना देखी जा सकती है।
- गांधी जी के सत्याग्रह और अहिंसा जैसे महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों में उनके इस दृष्टिकोण का दृढ़ता के साथ पालन किया गया है।
प्रारूप:
गांधी जी के "पाप से घृणा करो, पापी से प्यार करो" सिद्धांत का नैतिकता के संदर्भ में निम्नलिखित अर्थ है:
- कर्म और कर्त्ता के मध्य अंतर: गांधी का विश्वास था कि केवल प्रेम के माध्यम से किसी भी प्रतिद्वंद्वी के ह्रदय को स्थायी रूप से जीता जा सकता है। जब गांधी कहते हैं, ‘पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो’ तो उद्धरण मेंकर्म और कर्त्ता के के बीच अंतर देखा जा सकता है। उनके अनुसार, कार्य (कर्म) करने वाला(कर्त्ता) चाहे अच्छे हो या दुष्ट, हमेशा सम्मान या दया के पात्र होता है।
- स्थायी संघर्ष समाधान: गांधी जी के अनुसार, जो लोग शिष्टाचार के बजाय शिष्ट आचरण करने वाले को नष्ट करना चाहते हैं, उनकी स्थिति उन लोगों से भी ज्यादा ख़राब हो जाती है जिन्हें वो गलत धारणा के चलते कि शिष्टाचार आचरण करने वाले की समाप्ति के साथ ही यह धारणा भी नष्ट हो जाएगी जैसी गलत धारणा रखते हैं। गांधी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार संघर्ष का अंत किये बिना हिंसा का चक्र अपने आप को दोहराता है।
- क्षमा: क्षमा के प्रति गांधी जी का विश्वास काफी दृढ़ है। अतः उन्होनें क्षमा को उच्च गुण माना है। उनके अनुसार कमज़ोर मनुष्य कभी माफ नहीं कर सकता। यह शक्तिशाली या ताकतवर लोगों की विशेषता है।अहिंसा हिंसक संघर्ष में एक एसिड टेस्ट के समान है, जिसमें कोई भी शत्रु नहीं बचता है तथा अंत में यह दुश्मनों को दोस्तों में बदल देती है।
- सहिष्णुता की भावना: गांधी जी द्वारा सहिष्णुता के मूल्य पर भी प्रकाश डाला गया। उनके अनुसार आज चिंता का मुख्य कारण असहिष्णुता और हिंसा के प्रति घृणा है। कर्त्ता और कर्म के मध्य अंतर को समझना और कर्त्ताको क्षमा करना सहिष्णुता की भावना को बढ़ाता है। यह एक ऐसे शांतिपूर्ण, सहिष्णु समाज की स्थापना करता है जहांँ समाज के विभिन्न वर्ग परस्पर एक शांतिपूर्ण समाज में रहते हैं। भारत जैसे विविधतापूर्ण देशों में सहिष्णुता की यह भावना महत्त्वपूर्ण है।
आगे की राह:
वर्तमान समय में गांधी जी का उपर्युक्त उद्धरण "पाप से घृणा करो, पापी से प्यार करो" का संदेश उन वैश्विक और साथ ही घरेलू संघर्षों के संदर्भ में अत्यधिक प्रासंगिक है जो लोगों या समाजों द्वारा क्षमा न करने की प्रवृत्ति के कारण लगातार स्थायी बने हुए है तथा इनमें वृद्धि हो रही हैं।