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11 Dec 2020
सामान्य अध्ययन पेपर 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
21वीं सदी में खाड़ी देशों के साथ भारत को न केवल आर्थिक बल्कि सामरिक महत्त्व के आधार पर भी संबंधों को समझना होगा। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
दृष्टिकोण
- खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंधों के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
- खाड़ी देशों के साथ हितों में हुए परिवर्तनों पर चर्चा कीजिये।
- खाड़ी देशों में भारत के लिये उत्पन्न होने वाले राजनीतिक-रणनीतिक अवसरों की व्याख्या कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय
- भारत द्वारा दशकों से तेल स्रोत और श्रम निर्यात के एक गंतव्य स्थान के रूप में खाड़ी देशों को बड़े पैमाने पर आर्थिक नज़रिये से देखा गया है। हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में इस आर्थिक परिदृश्य को रणनीतिक रूप से भी अपना लिया गया है।
- वर्तमान प्रधानमंत्री की खाड़ी शासकों तक व्यक्तिगत पहुँच ने राजनीतिक और रणनीतिक सहयोग की अपार संभावनाओं के लिये मार्ग खोल दिया है। खाड़ी देशों में भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं की यह ऊँचाई इस क्षेत्र में हो रहे संरचनात्मक परिवर्तनों और हिंद महासागरीय क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।
प्रारूप
खाड़ी क्षेत्र में परिवर्तन
- नो लॉग एक्सक्लूसिव पेट्रो-स्टेट्स: खाड़ी देशों को अब पेट्रो-राज्यों के समूह के रूप में नहीं देखा जाता है क्योकिं खाड़ी देशों द्वारा पिछले कुछ दशकों में बड़े पैमाने पर तेल राजस्व से वित्तीय पूंजी संचय कर मज़बूत अवसंरचना स्थापित कर ली गई है।
- जिसने वर्तमान में ‘खलीजी’ या ‘खाड़ी पूंजीवाद’ की अवधारणा को जन्म दिया है।
- ‘खलीजी’ पूंजीवाद : यह एडम हनीह द्वारा विकसित एक अवधारणा है, जो लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ कैपिटलिज़्म में स्थित एक विद्वान हैं तथा खाड़ी में बड़े समूह और संप्रभु धन कोष पर नज़र रखने का कार्य करते हैं।
- यह पूंजीवाद मॉडल के कारण खाड़ी देशों के कई क्षेत्रों पर हावी है जिसका विस्तार बैंकिंग और वित्त से लेकर बुनियादी ढाँचे, रसद, कृषि व्यवसाय तथा रियल एस्टेट से लेकर खुदरा दूरसंचार के क्षेत्र तक देखा जा सकता है।
- आधुनिकता की तरफ झुकाव: वर्तमान समय में खाड़ी देश सामाजिक जीवन पर धर्म के प्रभाव को कम करने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार करने, धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त करने, सहिष्णुता को बढ़ावा देने तथा एक राष्ट्रीय पहचान विकसित करने की मांग कर रहे हैं जो धर्म के किसी विशेष रूप से बंँधी न हो।
- यूएई इस संदर्भ में अग्रणी उदाहरण प्रस्तुत रहा है। इसने शराब के उपयोग को कम करने, अविवाहित जोड़ों के बीच सहवास की अनुमति, महिलाओं के सम्मान के खिलाफ अपराधों के अपराधीकरण और दीर्घकालिक वीज़ा स्थितियों में सुधारों की शुरुआत की है।
- भारत-पाकिस्तान संबंधों की अनदेखी: वर्तमान में भारत-पाकिस्तान संबंधों से प्रभावित हुए बिना खाड़ी देश भारत के साथ मज़बूत और स्वतंत्र राजनीतिक संबंध स्थापित करने के लिये उत्सुक हैं।
भारत के लिये नईं संभावनाएँ
- भारत के आर्थिक हितों की सुरक्षा: सबसे पहली और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय विदेश नीति को महामारी के बाद की स्थिति में भारतीय हितों के अनुरूप सुरक्षित करना चाहिये।
- महामारी की वज़ह से उत्पन्न आर्थिक अस्थिरता के कारण खाड़ी देश विदेशी श्रम में कटौती करने पर विचार कर रहे हैं।
- भारत को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि भारतीय प्रवासी जो खाड़ी देशों में कार्य करते है, इस कटौती से प्रभावित न हों।
- तेल से परे ध्यान केंद्रित: खाड़ी देशों से आर्थिक सहयोग प्राप्त करने के लिये नई और दीर्घकालिक संभावनाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है जो तेल की आवश्यकताओं से बढ़कर भविष्य पर केंद्रित हो।
- खाड़ी देशों द्वारा बड़े पैमाने पर आर्थिक विविधीकरण को शुरू किया गया है जिसके माध्यम से ये देश अक्षय ऊर्जा, उच्च शिक्षा, तकनीकी नवाचार, स्मार्ट शहरों और अंतरिक्ष वाणिज्य सहित कई नई परियोजनाओं में निवेश कर रहे हैं।
- भारत को अपने स्वयं के आर्थिक विकास के लिये खाड़ी देशों की पूर्ण संभावनाओं पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। भारत द्वारा खाड़ी देशों में निवेश तथा निवेश के लिये भारत की क्षमताओं के मध्य उत्पन्न अंतर को कम करना होगा।
- वर्ष 2015 में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा भारत में 75 बिलियन डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। हालांँकि निवेश के उस पैमाने को सुगम बनाने हेतु अभी भी एक लंबी दूरी तय की जानी बाकी है।
- खाड़ी-इज़राइल संबंधों के सामान्यीकरण का लाभ प्राप्त करना: इस वर्ष की शुरुआत में यूएई और बहरीन ने इज़राइल के साथ सामान्य संबंध स्थापित किये जो भारत को इजरायल के साथ आर्थिक और तकनीकी सहभागिता बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं।
- ‘खलीजी’ पूंजीवाद को बढ़ावा: ‘खलीजी’ पूंजीवाद के उदय के साथ ही खाड़ी देशों द्वारा वर्तमान में अपने मित्र देशों को आर्थिक और सुरक्षा सहायता प्रदान की जा रही है जिसके तहत बंदरगाहों और बुनियादी ढांँचे का निर्माण, युद्धरत दलों और देशों के बीच सैन्य ठिकाने और शांति स्थापित की जा रही है।
- वर्तमान में यूएई द्वारा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की अध्यक्षता की जाती है और वह संयुक्त बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं के विकास में भारत के साथ मिलकर कार्य करने के लिये उत्सुक है।
- भारत को हिंद महासागर में कनेक्टिविटी और सुरक्षा हेतु अपनी क्षेत्रीय पहल पर और अधिक गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है।
निष्कर्ष
मध्य-पूर्व क्षेत्र अधिक बहुध्रुवीय हो गया है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रीय और अतिरिक्त-क्षेत्रीय ताकतों के मध्य शक्ति का विस्तार हुआ है। इस मिश्रण के तहत भारत में खाड़ी देशों की पुरानी धारणाओं को त्यागने और क्षेत्र के साथ नई रणनीतिक संभावनाओं की तलाश के लिये भारत और खाड़ी देशों में ‘खलीजी’ पूंजीवाद का उदय हुआ है।