भारत में चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम परियोजना की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
20 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
दृष्टिकोण:
- भारत में चक्रवातों के खतरों के बारे में आंँकड़े/तथ्य देकर दिये गए कथन की व्याख्या कीजिये।
- भारत में चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि के कारणों पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
- चक्रवातों के खतरों के प्रबंधन में राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा में से लगभग 5,700 किलोमीटर का हिस्सा उष्णकटिबंधीय चक्रवातों तथा अन्य मौसमी घटनाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिस कारण जन एवं धन की क्षति होती रहती है। समुद्री राज्यों में कुल आबादी का लगभग 40 प्रतिशत समुद्र तट क्षेत्र के 100 किलोमीटर के दायरे में रहता है।
प्रारूप:
चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि का कारण
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में वैश्विक वृद्धि: एक अध्ययन में देखा गया है कि पिछले चार दशकों में प्रमुख उष्णकटिबंधीय तूफानों की संभावना में वैश्विक स्तर पर 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
- फिलीपीन द्वीपों सहित हिंद महासागर क्षेत्र, फ्लोरिडा, बहामास, पूर्वी अफ्रीका, जापान और चीन में पहले से ही तूफानी क्षेत्रों में बड़ी वृद्धि देखी गई है।
- ग्लोबल वार्मिंग: जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग को चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि का मुख्य कारण माना जाता है।
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण अत्यधिक गर्म महासागर, महासागरीय उष्णकटिबंधीय तूफान उत्पन्न करते हैं, साथ ही वर्ष-दर-वर्ष होते मौसमी बदलाव जिनमें एल-नीनो जैसे अल्पकालिक जलवायु चक्र और हिंद महासागर में मानसून जैसे अन्य स्थानीय प्रभाव शामिल है, चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता को प्रभावित करते हैं।
राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना
- जोखिम प्रबंधन को सुगम बनाना: यह अच्छी तरह से स्पष्ट है कि दीर्घकालिक और अल्पकालिक शमन उपाय करके, जीवन और संपत्ति के नुकसान को कम किया जा सकता है। खतरनाक जोखिमों का शमन स्थायी विकास की कुंजी है जो कि सरकार की नीति भी रही है। भारत द्वारा चक्रवातों की रोकथाम की तैयारी और शमन पर अत्यधिक ज़ोर दिया जाता है।
- शमन के लिये संरचनात्मक उपायों की स्थापना: केंद्र सरकार ने देश में चक्रवात जोखिमों को दूर करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम परियोजना (NCRMP) की शुरुआत की है। परियोजना का समग्र उद्देश्य तटीय राज्यों और भारत के संघ शासित प्रदेशों में चक्रवातों के प्रभाव को कम करने के लिये उपयुक्त संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपाय करना है।
- चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों का नक्शा: परियोजना में 13 चक्रवात प्रभावित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की पहचान की गई है, जिसमें विभिन्न स्तर की भेद्यता विद्यमान है। इन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को चक्रवातों की घटना की आवृत्ति, जनसंख्या के आकार और आपदा प्रबंधन के लिये मौज़ूदा संस्थागत तंत्र के आधार पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।
- 13 तटीय राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों में चक्रवात से प्रभावित कुल 84 तटीय ज़िले शामिल हैं। चार राज्य (आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल) तथा पूर्वी तट पर एक केंद्रशासित प्रदेश (पांडिचेरी) और पश्चिम तट पर एक राज्य (गुजरात) चक्रवात आपदाओं के प्रति अत्यधिक सुभेद्य हैं। हाल में चक्रवात टिटली, गाजा, पेथाई ने भारत को अलग-अलग तीव्रता के साथ प्रभावित किया है।
निष्कर्ष:
इस प्रकार राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना आपदा हेतु तैयारियों में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। हालांँकि, चक्रवातों की बारंबारता को समाप्त करने के कार्य योजना के प्रत्येक चरण में बहुत कुछ किया जाना बाकी है जिनमें प्रारंभिक चेतावनी, शमन, प्रतिक्रिया, जागरूकता और क्षमता विकास इत्यादि शामिल है।