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15 Dec 2020
सामान्य अध्ययन पेपर 3
पर्यावरण
पर्यावरणीय गिरावट सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं का प्रत्यक्ष परिणाम है। स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
दृष्टिकोण
- पर्यावरण में गिरावट/क्षरण के मुद्दे को सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों के साथ जोड़कर पेश कीजिये।
- पर्यावरणीय समस्याओं से संबंधित प्रचलित आर्थिक प्रक्रियों का तत्काल परिणामों के रूप में चर्चा कीजिये।
- ये समस्याएंँ सामाजिक प्रक्रियाओं से किस प्रकार जुड़ी हैं - दोनों एक-दूसरे को किस प्रकार प्रभावित करती हैं।
- आगे की राह बताते हुए उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय
सामाजिक-आर्थिक विकास शहरीकरण और औद्योगीकरण के साथ मिलकर वास्तविक उत्पादन (वास्तविक जीडीपी) में वृद्धि को दर्शाता है। इसलिये बढ़ी हुई अपारदर्शिता और खपत से पर्यावरण लागत बढ़ने की संभावना होती है। अस्थिर सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं के पर्यावरणीय प्रभाव में गैर-नवीकरणीय संसाधनों की बढ़ती खपत, प्रदूषण का उच्च स्तर, ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय आवासों की संभावित हानि शामिल होती है।
प्रारूप
वर्तमान पर्यावरणीय गिरावट औद्योगीकीकरण के मद्देनज़र अपनाई गई आर्थिक प्रथाओं का तत्काल परिणाम है जिसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिकी के प्रति लोगों का उदासीन रवैया देखने को मिलता है।
- संसाधन की कमी: जीवाश्म ईंधन, सघन लागत आधारित अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का अधिक दोहन देखने को मिलता है परिणामस्वरूप हरित क्रांति वाले क्षेत्रों में भूजल का अधिक उपयोग तथा बदलते भू उपयोग पैटर्न के कारण वन पारिस्थितिकी तंत्र का क्षेत्र कम हो रहा है।
- प्रदूषण: शहरी और औद्योगिक समाजों की वजह से बढ़ते उत्सर्जन और अपव्यय के कारण वायु, जल और भूमि प्रदूषण की स्थिति उत्पन्न होती है।
- ग्लोबल वार्मिंग और परिवर्तनशील मौसम: अस्थिर मौसम पैटर्न और ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ राह है जो महत्त्वपूर्ण रूप से पर्यावरणीय आर्थिक लागत को बढ़ा सकता है
- मृदा अपरदन: आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप होने वाली वनों की कटाई मिट्टी को नुकसान पहुँचाती है जिस कारण इन क्षेत्रों में सूखे की अधिक संभावना बनती है।
- जैव विविधता का नुकसान: आर्थिक विकास के लिये संसाधनों की कमी होती है तथा जैव विविधता का नुकसान होता है। यह भविष्य में अर्थव्यवस्था के लिये 'पारिस्थितिक प्रणालियों की क्षमता' को नुकसान पहुंँचा सकता है। हालांँकि यह लागत अनिश्चित होती है क्योंकि हुए आनुवंशिक नुकसान के लाभ को कभी भी नापा नहीं जा सकता है।
- दीर्घकालिक विषाक्त पदार्थ: आर्थिक विकास दीर्घकालिक अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों का निर्माण करता है जिसके अज्ञात परिणाम देखने को मिलते हैं। उदाहरण के लिये, आर्थिक विकास ने प्लास्टिक उपयोग को बढ़ावा दिया है, जिसका निस्तारण नहीं किया जा सकता है इसलिये समुद्र और पर्यावरण दोनों जगह प्लास्टिक का भंड़ारण देखा गया है जो वन्य जीवन के लिये भी हानिकारक है।
- इस प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएँ सामाजिक प्रक्रियाओं से भी जुड़ी होती हैं जो चक्रीय तरीके से एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं।
अस्थिर सामाजिक प्रक्रियाओं की पर्यावरणीय लागत
- प्रवासन के अंतर्राष्ट्रीय संगठन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण समाज के कमज़ोर वर्ग जैसे-महिलाएँ,बच्चे, वृद्ध सबसे अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित होंगे। उदाहरण के लिये उप-सहारा अफ्रीका में सूखे के कारण ज़बरन पलायन देखने को मिलेगा।
- सुविधाओं के अभाव में आपदाएँ समाज को बड़े स्तर पर प्रभावित करेंगी विशेष रूप से लोगों की संसाधनों तक कम पहुंँच के कारण। जैसे- बाढ़ या चक्रवातों के बाद पुनर्वास की समस्या।
- कुछ पारिस्थितिक समस्याएंँ सामाजिक असमानता और गरीबी के चक्र को मज़बूती प्रदान करती हैं उदाहरण के लिये विदर्भ (महाराष्ट्र) में मिट्टी की उत्पादकता कम हो गई है जिसके कारण HYV बीज बोने और भूमि पुनर्वास में फिर से निवेश करने में असमर्थता के परिणामस्वरूप किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
पर्यावरणीय समस्याओं के सामाजिक कारण
- पारिस्थितिकी मूल्यों के संबंध में उपभोक्तावाद जैसे सामाजिक मूल्यों और मानदंडों में परिवर्तन, प्रकृति के आधुनिकीकरण के परिणामस्वरूप इसे अतिसक्रियता की ओर ले जाता है।
- संसाधनों तक पहुंँच हेतु सामाजिक असमानता तथा उनके उपयोग का तरीका पर्यावरणीय संघर्षों का कारण बनता है। उदाहरण के लिये वन संरक्षण से जनजातीय समुदायों का अलगाव और इसके संसाधन का उपयोग पर्यावरण विकास पर प्रचलित आर्थिक विकास के लिये होता है।
- खाद्य सुरक्षा, उत्पादकता में वृद्धि हेतु समाज की बदलती मांग व दबाने के चलते सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर पहले ही दबाव है।
निष्कर्ष
- इस प्रकार पर्यावरणीय समस्याएंँ सामाजिक प्रक्रियाओं के साथ परस्पर जुड़ी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र-हैबिटेट के एजेंडा, एसडीजी -2030 लक्ष्यों में हाइलाइट किये गए सामाजिक, आर्थिक लक्ष्यों तथा साथ ही पारिस्थितिक स्तर पर स्थिरता प्राप्त करने की आवश्यकता है।