आधुनिक सरकारी संरचनाओं के विकास के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये जवाबदेही तंत्र की आवश्यकता है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
10 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
दृष्टिकोण:
परिचय में जवाबदेही शब्द को परिभाषित कीजिये।
आधुनिक सरकारी संरचनाओं में जवाबदेही के महत्त्व को समझाइये।
संस्थानों के संबंध में जवाबदेही के विभिन्न आयामों पर संक्षेप में चर्चा कीजिये।
अधिकाधिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये उचित उपाए बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- जवाबदेही द्वारा उस प्रक्रिया एवं मानदंडों को संदर्भित किया जाता है जो निर्णय निर्माताओं को उन लोगों के लिये जवाबदेह बनाते हैं जिनके लिये निर्णय लिया जाता है अर्थात् निर्णय निर्माता और लाभार्थी।
- हाल ही में शासन और सरकारी कामकाज में सरकार की बढ़ती जवाबदेही की मांग करने वाले जागरूक लोकतंत्र में मज़बूत एवं दृढतापूर्वक इसकी आवश्यकता और महत्त्व पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- राज्य का जवाबदेही तंत्र-कार्यप्रणाली सामान्य रूप से नागरिक समाज, शिक्षाविदों और कानूनविदों तथा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और ऋण दाताओं का ध्यान आकर्षित करता है।
- इस संदर्भ में, जवाबदेही संस्थान अनुमान लगाकर हितधारकों और निर्णय निर्माताओं के बीच अंतर को कम करने में मदद करने वाले किसी भी सुशासन तंत्र को स्थापित करते हैं।
शासन में जवाबदेही का महत्त्व:
- लोकतांत्रिक शासन: नागरिकों के प्रति जवाबदेही लोकतांत्रिक शासन का एक बुनियादी सिद्धांत है। यह पदानुक्रम में केवल श्रृंखला के रूप में वरिष्ठों के प्रति जवाबदेही तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका विस्तार नागरिकों और नागरिक समाज सहित हितधारकों तक है।
- इसका निर्धारण कानूनी आवश्यकताओं से परे संगठन के नैतिकता और नैतिक ढांँचे के आधार पर किया जा सकता है।
- उत्तरदायित्व: जवाबदेही को कार्रवाई के संदर्भ में उत्तरदायित्व के बाध्यकारी घटक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग उन मामलों में किया जाता है जहाँ कोई भूल हुई हो या किसी कमीशन को किसी कार्यवाही के लिये स्थापित किया गया हो।
- उपचारात्मक उपाय: यह मानदंडों से विचलन के मामले में सज़ा सहित उपचारात्मक उपायों को प्रदान करता है।
- जनता का विश्वास: जवाबदेही सरकार के कार्यों में जनता के विश्वास को बेहतर बनाने में मदद करती है
- हितधारकों को सशक्त बनाना: जवाबदेही हितधारकों को लोगों के लिये निर्णय लेने में सशक्त बनती हैं जिनके लिये हितधारक आवश्यक स्पष्टीकरण देने के लिये बाध्य होते हैं।
- जवाबदेही एक दायित्व: जवाबदेही अनिवार्य रूप से उन निर्णयों से प्रभावित हितधारकों के लिये किये गए कार्यों या प्राधिकरण के निर्णयों के प्रति एक दायित्व है जो उनसे प्रभावित होते हैं।
- आवश्यक पारदर्शिता: जवाबदेही के साथ निर्णय लेने में पारदर्शिता की आवश्यकता होती है, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि सटीक और विश्वसनीय जानकारी और डेटा सरकारी एजेंसियों के पास जांँच के लिये सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हो। जानकारी एवं तथ्यों के अभाव में न तो नागरिकों की शिकायत को दूर किया जा सकता और न ही कमीशन के कृत्यों को ज़िम्मेदारी के साथ लागू किया जा सकता है।
जवाबदेही और सूचना का अधिकार अधिनियम
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 ने सरकार के निर्णय लेने में पारदर्शिता के साथ-साथ सूचनाओं तक पहुँच में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है।
विभिन्न सेवाओं के डिजिटलीकरण से न केवल नागरिकों को सेवाओं के तेज़ी से वितरण की सुविधा प्रदान की गई, बल्कि एक निगरानी एजेंसी द्वारा किसी भी विश्लेषण के लिये लेन-देन का स्पष्ट प्रमाण भी प्रदान किया गया है।
जवाबदेही और नागरिक चार्टर:
- सिटीजन चार्टर में सरकार की विभिन्न एजेंसियों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से बताया गया है जिसमे इन एजेंसियों को विशिष्ट सेवाओं को एक निर्धारित समयसीमा में प्रदान करने के लिये स्वयं को नागरिकों के प्रति जवाबदेह बनाया गया हैं।
- उदाहरण के लिये केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड का नागरिक चार्टर में इंटर-अलिया सर्विस डिलीवरी मानकों में रिफंड जारी करने या शिकायतों के निवारण के लिये विशिष्ट समयसीमा को शामिल किया गया है।
जवाबदेही में सतर्कता की भूमिका:
- संस्थागत तंत्र: सुशासन हेतु मज़बूत और स्वतंत्र जवाबदेही संस्थानों के अस्तित्व के लिये संस्थागत तंत्र एक आवश्यक शर्त है।
- ये संस्थाएँ निर्धारित मानदंडों के उल्लंघन और विचलन के साथ-साथ खराब प्रशासन के उदाहरणों का पता लगा सकती हैं।
- ये शक्ति के अनुचित प्रयोग और असंवैधानिक आचरण के बारे में सूचित करती हैं।
- सरकार के संदर्भ में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये संस्थागत तंत्र को संवैधानिक प्रावधानों, विधायी ढाँचे और प्रशासनिक व्यवस्था से बाहर रखा जा सकता है।
- चेक एंड बैलेंस: भारतीय संविधान निर्मात्ताओं द्वारा विधानमंडल, न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का पालन करते हुए प्रशासनिक निष्पक्षता और जवाबदेही के लिये उपयुक्त चेक और बैलेंस तंत्र स्थापित किया गया है।
- क्षैतिज जवाबदेही: भारतीय संदर्भ में क्षैतिज जवाबदेही हेतु संस्थाओं में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, चुनाव आयोग, सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और लोकपाल को शामिल किया गया है।
- इसके साथ ही सीएजी और चुनाव आयोग के अलावा बड़ी संख्या में सेबी, ट्राई, सीईआरसी, सीपीसीबी आदि नियामक निकाय शामिल हैं जो संविधान के माध्यम से अपने जनादेश को जारी करतेहैं।
वित्तीय जवाबदेही
- वित्तीय जवाबदेही सरकार के समग्र कार्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।संसद विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं को लागू करने के लिये बजट द्वारा मंत्रालयों और विभागों को विशिष्ट रकम का आवंटन करती है।
- कार्यकारिणी को देश के नागरिकों के विकास और कल्याण के लिये योजनाओं और परियोजनाओं को तैयार करने, डिजाइन करने तथा लागू करने का पूर्ण अधिकार एवं स्वतंत्रता प्राप्त है।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक: विधायिका की कार्यपालिका के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये, संविधान निर्माताओं द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत भारत की एक स्वतंत्र निगरानी एजेंसी CAG का गठन किया गया है।
आगे की राह:
लचीली जवाबदेही: वर्तमान में सरकारें विभिन्न हित समूहों से जुड़े हितधारकों के साथ मिलकर एक बहुत ही जटिल वातावरण में कार्य करती हैं तथा सीमित संसाधनों और जटिल कानूनी आवश्यकताओं के आधार पर प्रतिस्पद्धा करती हैं, इसलिये एक अधिक लचीले जवाबदेही तंत्र की आवश्यकता होती है जो उत्तरदायी शासन व्यवस्था को प्रोत्साहित करे।
- सार्वजनिक विश्वास को सुनिश्चित करना: जवाबदेहीता, सरकार और उसके नागरिकों के मध्य एक प्रतिक्रिया तंत्र की सुविधा प्रदान करती है। मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में जनता के विश्वास को प्राप्त करने और विश्वास को बनाए रखने के लिये नागरिकों के प्रति जवाबदेही सबसे महत्त्वपूर्ण है।
- डिजिटलीकरण के इस युग में जवाबदेही तंत्र को विशेष रूप से आधुनिक सरकारी संरचनाओं के विकास के साथ तालमेल बनाने की आवश्यकता है।
- जवाबदेही ढाँचे के संदर्भ में पदाधिकारियों को उनके उत्तरदायित्वों और कर्तव्यों के प्रति सचेत करने की भी आवश्यकता है।
विवेकाधिकार का न्यूनतम उपयोग:
बेहतर पारदर्शिता के लिये न केवल एक नागरिक चार्टर का होना आवश्यक है बल्कि नौकरी करने के लिये अच्छी तरह से परिभाषित मानक संचालन प्रक्रियाएँ (एसओपी) भी उपलब्ध होनी चाहिये। उत्तरदायित्व , पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये कार्य स्वतंत्रता अर्थात विवेकाधिकार द्वारा निर्णय लेने की स्वतंत्रता सीमित होनी चाहिये।