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  • 19 Nov 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    डीप फेक से आप क्या समझते हैं? चर्चा कीजिये कि यह सामाजिक-आर्थिक संस्थानों को किस प्रकार नुकसान पहुँचा सकता है। (250 शब्द)

    उत्तर

    दृष्टिकोण:

    • डीप फेक और इसके महत्त्व के बारे में संक्षेप में बताएंँ।
    • डीप फेक तकनीक से उत्पन्न कुछ चुनौतियों पर चर्चा करते हुए बताएँ कि यह संस्थानों को किस प्रकार नुकसान पहुंँचा सकती है।
    • डीप फेक की चुनौतियों से उबरने के लिये कुछ उपायों पर प्रकाश डालिये।
    • आगे की राह और निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • जैसे-जैसे तकनीक तक पहुंँच बढ़ती है, वैसे-वैसे इसके उपयोग से शोषण का खतरा भी बढ़ जाता है। डीप तकनीक फ़ेक में डिजिटल इंटेलिजेंस का उपयोग करके डिजिटल मीडिया (वीडियो, ऑडियो और चित्र) में हेरफेर किया जाता है।
    • डीप फेक एक सिंथेटिक मीडिया तकनीक है जिसमें किसी मौजूदा वीडियो/ व्यक्ति की छवि को किसी अन्य व्यक्ति की छवि के साथ बदल दिया जाता है। इसमें ऑडियो/वीडियो में हेरफेर करने के लिये मशीन लर्निंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया जाता है। आसानी से ऑनलाइन प्रसारित होने वाले फर्जी समाचार, सेलिब्रिटी आदि से संबंधित प्रसारित सामग्री के कारण इसने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
    • डीप फेक का विकास सामाजिक कलह, बढ़ते ध्रुवीकरण और कुछ मामलों में, चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के उद्देश्यों के चलते हुआ है। यह अति-यथार्थवादी डिजिटल मिथ्याकरण की अनुमति देता है जो व्यक्तियों, संस्थानों, व्यवसायों और लोकतंत्र को नुकसान पहुँचा सकता है।

    प्रारूप:

    डीप फेक द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ:

    • व्यक्ति की पहचान और प्रतिष्ठा के साथ समझौता: गलत एक्शन वीडियो/ऑडियो किसी को भी यह विश्वास दिलाने में भ्रम उत्पन्न कर सकते हैं कि कार्रवाई किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की गई है जिसने वास्तव में ऐसा किया ही नहीं किया है। उदाहरण के लिये अश्लील साहित्य का प्रकाशन।
    • Misrepresentation of Information and Personalities: Especially in politics that could lead to social engineering.
    • सूचना और व्यक्तित्व की गलत व्याख्या: विशेष रूप से राजनीति में सामाजिक इंजीनियरिंग का कारण बन सकती है।
      • उदाहरण के लिये चुनावों में उम्मीदवार द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से एक से अधिक भाषाओं का उपयोग किया जाना।
    • वित्तीय धोखाधड़ी का जोखिम: इससे वित्तीय धोखाधड़ी भी हो सकती है जिससे समग्र वित्तीय प्रणाली के समक्ष चुनौती उत्पन्न हो सकती है।

    साइबर अपराध: यह उस समय साइबर सिस्टम को सुरक्षित करने और ऑनलाइन सामग्री की सत्यता के लिये खतरा उत्पन्न कर सकती है, जब फर्जी खबरों के प्रसारण के लिये सोशल मीडिया का बेजा इस्तेमाल किया जाताहै।

    डीप फेक के साथ जुड़े खतरे:

    डीप फेक का उपयोग ज्यादातर मीडिया क्षेत्र में बिना सहमति के किया जाता है जैसे- स्वैप फेस, लिप-सिंकिंग इत्यादि में जो मनोविज्ञान, सुरक्षा, राजनीतिक स्थिरता और व्यावसायिक व्यवधान उत्पन्न कर सकती ह।

    • युद्ध के नए मोर्चे: डीप फेक एक राष्ट्र-राज्य की सार्वजनिक सुरक्षा को कमजोर कर सकता है तथा लक्षित देश में अनिश्चितता और अराजकता की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
      • राष्ट्र-राज्य के अभिकत्तों संगठन भू-राजनीतिक आकांक्षाओं, वैचारिक विश्वास, हिंसक अतिवादियों और आर्थिक रूप से प्रेरित उद्यमों के साथ मिलकर डीप फेक का उपयोग करके मीडिया के बयानों के साथ हेरफेर कर सकते हैं।
      • इसका इस्तेमाल विद्रोही समूहों और आतंकवादी संगठनों द्वारा लोगों को भड़काऊ भाषण देने या उत्तेजक कार्रवाई में उलझाकर राज्य विरोधी भावनाओं को भडकाने में किया जाता है।
    • महिलाओं को निशाना बनाना: डीप फेक का गलत उपयोग पोर्नोग्राफी का दुर्भावनापूर्ण उपयोग अश्लील साहित्य में देखा जा सकता है। यह भावनात्मक, प्रतिष्ठित और कुछ मामलों में व्यक्ति के प्रति हिंसा को भड़काता है।
      • डीप फेक पोर्नोग्राफी के माध्यम से महिलाओं को प्रमुख रूप से निशाना बनाया जाता है जिसका उपयोग महिलाओं को यौन नुकसान पहुँचाने, डराने, मनोवैज्ञानिक रूप से नुकसान पहुँचाने तथा धमकियांँ देने के लिये किया जाता है।
    • व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को नुकसान: डीप फेक एक व्यक्ति को असामाजिक व्यवहार में लिप्त होने और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए चित्रित कर सकता है।
      • यह लोगों की प्रतिष्ठा पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है जो उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।
      • भले ही पीड़ित द्वारा डीप फेक को नष्ट किया जा सकता है, लेकिन प्रारंभिक नुकसान की भरपाई करने में बहुत देर हो सकती है।
      • इसके अलावा डीप फेक का उपयोग धन की उगाही करने में गोपनीय सूचनाएँ प्राप्त करने तथा लोगों की व्यक्तिगत राय प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
    • लोकतंत्र की अनदेखी:
      • डीप फेक संस्थानों के लोकतांत्रिक को बदलने संस्थानों के प्रति लोगों के विश्वास को कमजोर करने और कूटनीति प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
    • चुनाव अभियान को बाधित करना: डीप फेक एक राजनीतिक उम्मीदवार की छवि और प्रतिष्ठा को खराब कर सकती है। मतदान से पूर्व एक राजनीतिक उम्मीदवार के नस्लीय बयान देने या अनैतिक कार्य में लिप्त होने को डीप फेक द्वारा दर्शाया जा सकता है तथा उनके अभियान को नुकसान पहुँचाया जा सकता है।
      • एक उच्च गुणवत्ता वाले डीप फेक द्वारा झूठी सूचनाओं को एकत्र कर मतदान प्रक्रिया एवं चुनाव परिणामों की वैधता पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा सकता है।
      • इसका उपयोग नेताओं द्वारा लोकलुभावनवाद को बढ़ाने और अपनी सत्ता को मज़बूत करने के लिये भी किया जा सकता है।
      • डीप फेक ध्रुवीकरण को बढाने, सामाजिक विभाजन को तीव्र करने तथा असंतोष को दबाने के लिये एक प्रभावी उपकरण साबित हो सकता है।

    आगे की राह:

    • मीडिया साक्षरता को बढ़ाना: उपभोक्ताओं और पत्रकारों के लिये मीडिया साक्षरता, डीप फेक से निपटने के लिये सबसे प्रभावी उपकरण है।
      • मीडिया साक्षरता में सुधार डीप फेक द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों को संबोधित करने के संदर्भ में एक अग्रदूत है।
      • लोगों को को जागरुक करने के लिये मीडिया साक्षरता के प्रयासों को बढ़ाया जाना चाहिये।
      • मीडिया के पास उपभोक्ताओं की जानकारी को समझने, अनुवाद करने और उपयोग करने की क्षमता होनी चाहिये।
    • नियमन की आवश्यकता: प्रौद्योगिकी उद्योग, सिविल सोसाइटी और नीति निर्माताओं के साथ सहयोगात्मक चर्चा के साथ सार्थक नियम, दुर्भावनापूर्ण से युक्त डीप फेक के निर्माण और वितरण को प्रोत्साहित करते हैं।
    • टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन: डीप फेक का पता लगाने, मीडिया को प्रमाणित करने और आधिकारिक स्रोतों को बढ़ावा देने के लिये आसान उपयोग और सुलभ प्रौद्योगिकी समाधान की आवश्यकता है।
    • व्यावहारिक परिवर्तन: समाज के उस हिस्से पर, जहाँ डीप फेक के खतरे का मुकाबला करने के लिये, इंटरनेट पर मीडिया को एक महत्त्वपूर्ण उपभोक्ता होने की जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है, सोशल मीडिया पर कुछ भी साझा करने से पहले सही से विचार करने की आवश्यकता है।

    निष्कर्ष

    यह महत्त्वपूर्ण है कि ऑनलाइन सामग्री की विश्वसनीयता बरकरार रहे, ताकि उपर्युक्त चुनौतियों उनकी अखंडता से समझौता न करना पड़े । इसके लिये ब्लॉकचेन का उपयोग कर मीडिया के स्रोत का पता लगाने, ऑनलाइन निगरानी के लिये बेहतर सामग्री और रिपोर्टिंग तंत्र जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका का डीप फेक्स एकाउंटेबिलिटी एक्ट और साइबरस्पेस में चीन की तरह सतर्क प्रशासन द्वारा समर्थित उपायों को अपनाना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

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