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जनसंख्या की बदलती उम्र संरचना ने भारत को अपने वरिष्ठ नागरिकों की चुनौतियों और कल्याण की पहचान पर ध्यान केंद्रित करने के लिये प्रेरित किया है। इस वक्तव्य के आलोक में वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याओं के बारे में संक्षेप में बताते हुए सरकार की नीति प्रतिक्रिया पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

09 Dec 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण

  • परिचय में दिये गए कथन का विस्तृत संदर्भ प्रस्तुत कीजिये।
  • वृद्धावस्था से संबंधित समस्याओं के बारे में विस्तार से बताएंँ।
  • सरकार के नीतिगत प्रयासों पर चर्चा कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

परिचय

  • अध्ययनों के अनुसार, भारत में वर्ष 2050 तक 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों की लगभग 20 प्रतिशत आबादी हो सकती है। बदलती जनसांख्यिकीय रूपरेखा ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में कई प्रकार की नई चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं।

प्रारूप

वरिष्ठ नागरिको से संबंधित समस्याएंँ

  • औद्योगीकरण, शहरीकरण और जनसंख्या के प्रवासन ने छोटे/न्यूक्लियर परिवार की अवधारणा को जन्म दिया है, परिणामस्वरूप परिवार का एक वर्ग मुख्य रूप से बुजुर्ग वर्ग, वित्तीय और शारीरिक सहायता के अभाव की समस्याओं का सामना कर रहा है।
  • भारत में वृद्ध लोगों की कुल आबादी के लगभग 65% लोग गरीब हैं। उनमें से कई लोग चिकित्सा खर्चों पर एक अनिश्चित राशि व्यय करते हैं तथा कुछ तों इतने गरीब हैं कि वे यह नहीं जानते कि उन्हें अगले समय का भोजन मिलेगा भी या नहीं।
  • सरकार ने हाल ही में संसद में कहा कि भारत में वर्ष 2050 तक 60 वर्ष से अधिक आयु समूह में 34 करोड़ लोग शामिल हो जाएंगे जो अमेरिका की कुल जनसंख्या से अधिक होंगे।
  • हाल ही में एसबीआई की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत के पास विकसित देश के टैग में शामिल होने या उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के समूह में शामिल होने के लिये केवल 10 वर्ष की सीमित समयावधि है। वास्तव में भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश वर्ष 2030 भारत को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

सरकार की नीति प्रतिक्रिया:

  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम को वर्ष 2007 में उन वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया जिनकी देखभाल उनके बच्चों द्वारा नहीं की जाती है। अधिनियम की धारा 19 प्रत्येक ज़िले में कम-से-कम एक वृद्धाश्रम की अनिवार्य रूप से स्थापना का प्रावधान करती है।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वृद्ध व्यक्तियों के लिये एकीकृत कार्यक्रम (आईपीओपी) लागू कर रहा है, जिसके तहत वृद्ध विधवाओं आदि के लिये वृद्धाश्रम, डे केयर सेंटर, मोबाइल मेडिकेयर इकाइयांँ, बहु-सुविधा देखभाल केंद्र के संचालन और रखरखाव हेतु अनुदान प्रदान किया जाता है।
  • वृद्धावस्था पेंशन, इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत प्रदान की जाती है जो राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम का एक घटक है तथा इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा लागू किया जाता है।
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य वितरण प्रणाली के माध्यम से बुजुर्ग लोगों को स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ प्रदान करने हेतु स्वास्थ्य देखभाल का राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया है।
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिये कई पहलों को आयकर अधिनियम, 1961 और रेल मंत्रालय एवं एयर इंडिया द्वारा शुरु किया गया है।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिये नोडल मंत्रालय है। मंत्रालय के सामाजिक सुरक्षा ब्यूरो में एजिंग डिवीज़न राज्य सरकारों तथा गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर वरिष्ठ नागरिकों के लिये कार्यक्रमों और नीतियों को विकसित और कार्यान्वित करता है।

निष्कर्ष:

भारत में वृद्ध लोगों से संबंधित नीतियाँ कागज़ों पर तों बहुत अच्छी लगती हैं लेकिन यहाँ कार्यान्वयन का मुद्दा अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। बढ़ती उम्र के लोगों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने तथा समाज के बुज़ुर्ग लोगों की समस्याओं से निपटने के लिये समग्र नीतियों एवं कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।