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हाल ही में लोकपाल के पास शिकायतें दर्ज करने के तरीकों में हुए बदलाव ने भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगाया है। इस कथन के संदर्भ में आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

14 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण:

  • लोकपाल को एक संस्था के रूप में वर्णित करते हुए उसके कार्यों के बारे में संक्षेप में बताएंँ।
  • शिकायतों के समाधान एवं निपटान के संदर्भ में लोकपाल की प्रभावकारिता पर चर्चा कीजिये।
  • भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी के रूप में लोकपाल की कमियों को उजागर कीजिये।
  • लोकपाल की कार्यप्रणाली में सुधार हेतु उपाय सुझाइये।

परिचय:

लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 के अनुसार, लोकपाल भ्रष्टाचार के आरोपों पर लोक सेवकों के कार्यों की जांँच करता है। लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में प्रधानमंत्री, मंत्री, संसद सदस्य, समूह A, B, C और D के अधिकारी तथा केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल हैं। इसका गठन सीबीआई जैसे अन्य भ्रष्टाचार रोधी निकायों में आंतरिक पारदर्शिता और जवाबदेही की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए किया गया था।

प्रारूप:

लोकपाल का महत्त्व:

  • इसका उद्देश्य कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के मुद्दों का समाधान करना है।
  • भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों में से अधिकांशत: सलाहकार प्रकृति की होती हैं, जिनके पास प्रभावी शक्तियों का अभाव होता है।
  • आंतरिक पारदर्शिता और जवाबदेही की समस्याओं की जांँच करने के लिये कोई अलग और प्रभावी तंत्र नहीं है।
  • इस संदर्भ में भारतीय राजनीति के इतिहास में लोकपाल और लोकायुक्त की स्वतंत्र संस्थान के रूप में स्थापना एक ऐतिहासिक कदम है जो भ्रष्टाचार और प्रशासनिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है।

शिकायतों के समाधान एवं निपटान के संदर्भ में लोकपाल की प्रभावकारिता:

  • लोकपाल के पास शिकायत को डाक या व्यक्ति द्वारा निर्धारित तरीके से अंग्रेज़ी में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दर्ज़ किया जा सकता है।
  • यदि शिकायते लोकपाल के पास इलेक्ट्रॉनिक रूप में सही तरीके से दर्ज़ है तो उसे लंबित नही रखा जायेगा।
  • लोकपाल के पास संविधान की आठवीं अनुसूची में संदर्भित हिंदी, गुजराती, असमिया और मराठी सहित 22 भाषाओं में से किसी में भी शिकायत दर्ज की जा सकती है।
  • लोकपाल द्वारा 30 दिनों के भीतर शिकायत का निपटारा किया जाएगा।
  • जाँच पूर्ण या किसी निष्कर्ष पर पहुँचने तक भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोकपाल को की गई शिकायत के शिकायतकर्ता या लोक सेवक की पहचान को गुप्त रखा जाता है।

भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी के रूप में लोकपाल की कमियांँ:

  • राजनीतिक प्रभाव: लोकपाल राजनीतिक प्रभाव से मुक्त नहीं है क्योंकि नियुक्ति समिति में स्वयं राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल होते हैं।
  • व्हिसल ब्लोअर के संरक्षण का अभाव: 2013 का अधिनियम व्हिसल ब्लोअर को प्राप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करता है। अगर आरोपी व्यक्ति निर्दोष पाया जाता है तो शिकायतकर्त्ता के खिलाफ जांँच शुरू करने का प्रावधान लोगों को हतोत्साहित करेगा।
  • न्यायपालिका को लोकपाल की परिधि से बाहर रखा गया है।
  • लोकपाल को किसी भी प्रकार का संवैधानिक सहयोग प्रदान नहीं किया गया है एवं लोकपाल के खिलाफ अपील का कोई पर्याप्त प्रावधान नहीं है।

आगे की राह:

  • लोकपाल एवं लोकायुक्त को वित्तीय, प्रशासनिक और कानूनी रूप से उन लोगों से स्वतंत्र किया जाना चाहिए, जिन्हें लोकपाल एवं लोकायुक्त में जांच करने और मुकदमा को कर्यान्वित करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्तियांँ पारदर्शी तरीके से की जानी चाहिये ताकि गलत लोगों के चयन से बचा जा सके।