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  • 26 Nov 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    भारत में वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व के संदर्भ में कौटिल्य के दर्शन "यथा राजा तथा प्रजा" (जैसा राजा है, वैसे ही प्रजा होगी) पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    दृष्टिकोण:

    • कौटिल्य के विचार “यथा राजा तथा प्रजा” का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • वर्तमान भारतीय राजनीतिक नेतृत्व के संदर्भ में "यथा राजा तथा प्रजा" को चित्रित कीजिये।
    • भारतीय राजनीतिक प्रणाली की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को सूचीबद्ध करते हुए बताएँ कि दिया गया उद्धरण किस प्रकार लोगों को प्रभावित करता है।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • कौटिल्य के अर्थशास्त्र में शासन से संबंधित मुद्दों, भ्रष्टाचार के व्यवहार और सिद्धांतों पर चर्चा की गई है।
    • कौटिल्य के उद्धरण "यथा राजा तथा प्रजा" के अनुसार, एक राज्य में लोगों का चरित्र राजा के समान होगा। इसका निहितार्थ है कि एक राजा में नेतृत्व, जवाबदेही, बुद्धि, ऊर्जा, अच्छा नैतिक आचरण और शारीरिक मज़बूती इत्यादि गुण विद्यमान होने चाहिये जो राजा को त्वरित निर्णय लेने में सक्षम बनाते हों। अतः इन गुणों से युक्त कोई भी राजा अपनी प्रजा या लोगों को प्रेरित करने की क्षमता रखता है।

    प्रारूप:

    • वर्तमान समय में भारतीय राजनीतिक प्रणाली अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, चुनाव प्रणाली, भाई-भतीजावाद, वंशवादी राजनीति में हेरफेर करने के लिये धन और बल की शक्ति का उपयोग इत्यादि के कारण गंभीर राजनीतिक समस्याओं का सामना कर रही है।
    • भारतीय राजनीतिक संस्कृति में राजनीतिक विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता की कमी, पार्टियों के भीतर मौकापरस्ती, गुटबाज़ी, पहचान की राजनीति अर्थात् लोगों को लुभाने के लिए जाति, धर्म, भाषा आदि जैसे पहचान चिह्नों का उपयोग करना आदि लक्षण विद्यमान हैं।
    • हाल के दिनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरें, चरमपंथी विचार, असहिष्णुता की भावना फैलाने के लिये राजनीतिक दलों को भी दोषी ठहराया जा रहा है।
    • ये राजनीतिक विशेषताएंँ भारतीय लोगों को प्रभावित करती हैं और जैसा कि कौटिल्य के "यथा राजा तथा प्रजा" की धारणा कहती है, लोग राजनीतिक नेतृत्व कर्त्ताओं के चरित्र का अनुसरण करते हैं।
    • लोगों को लामबंद करने के लिये पहचान चिह्न जैसे-जाति, धर्म, भाषा आदि के उपयोग के कारण समाज में पहचान के लिये संघर्ष बढ़ रहा है।इन पहचान चिह्नों के संस्थापकों द्वारा इन्हें स्थापित करते समय विविधता में एकता का संदेश दिया गया लेकिन हाल के दिनों में चुनाव जीतने के लिये इस विविधता का फायदा उठाकर सांप्रदायिक और जातिगत दंगा भड़काया जाता हैं जहांँ आम नागरिक आपराधिक हिंसा में शामिल होकर "यथा राजा तथा प्रजा" की भावना को और मज़बूत करता है।
    • इसी प्रकार कर में कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता है। आम नागरिक कर में हेरफेर करके, आय के स्रोतों को छिपाने तथा करों के भुगतान से बचते हैं। इस तरह का भ्रष्टाचार राजनीतिक नेतृत्व से अलग नहीं है जो जनता के धन को विनियोजित करता है।
    • वर्तमान भारतीय संदर्भ में फेक न्यूज़ का उपयोग राजनीतिक दलों की जागरूकता का परिणाम है जिसमें उन्हें लगता है कि असत्यापित एवं असंतुलित जानकारी के माध्यम से आमजन के भीतर समुदायों के खिलाफ व्याप्त पूर्वाग्रह का उपयोग चुनावी लाभ के लिये किया जा सकता है। वर्तमान समाज में यह परिलक्षित भी हो रहा है क्योंकि लोगों को असत्यापित दावों पर प्रतिक्रिया करते देखा जा सकता है। उदाहरण के लिये मॉब लिंचिंग, गुजरात तथा इससे पूर्व बंगलूरू से प्रवासियों का पलायन आदि।

    निष्कर्ष:

    • कौटिल्य का कहना है कि " अपनी प्रजा की खुशी में ही राजा की खुशी है, प्रजा के कल्याण में ही राजा का भी कल्याण है। राजा के लिये वह उत्तम नहीं है जो उसे प्रसन्नता प्रदान करे बल्कि वह उत्तम है जो प्रजा को आनंद प्रदान करे।”
    • इस प्रकार भारत में राजनीतिक नेतृत्वकर्त्ताओं को भारतीय लोगों के कल्याण के लिये आत्मनिरीक्षण करने और कार्य करने की आवश्यकता है तथा उनमें आम लोग के लिये नेतृत्व उनके प्रति सहिष्णुता, त्याग, प्रेम तथा विरोधी नेताओं के लिये परस्पर सम्मान, अखंडता, नैतिक ज़िम्मेदारी आदि गुणों को विकसित किया जाना चाहिये।
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